स्टिंग कांड पर हाईकोर्ट नाराज,त्रिवेंद्र की गुगली से विरोधी बेचैन

मुख्यमंत्री ने कहा: साफ नीयत से कर लो स्टिंग पर ब्लैकमेलिग बर्दाश्त नहीं, कोर्ट की टिप्पणी से चैतरफा घिरी भाजपा सरकार, पुलिस के लिये भी खुलासा करना बड़ी चुनौती

0

देहरादून। सूबे की सियासत में खलबली मचाने वाले स्टिंग किंग उमेश कुमार की गिरफ्तारी के तीन दिन बाद मुख्यमंत्री ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बड़ी नसीहत दी है। अपनी सरकार में अफसरों को ब्लैकमेलिंग कर साजिश के प्रकरण पर पहली बार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रतिक्रिया सामने आयी है। उमेश कुमार गिरफ्तारी केस में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ स्टिंग अपरेशन होना जरूरी तो है लेकिन यह देखा जाना भी बेहद जरूरी है कि स्टिंग आपरेशन करने के पीछे मकसद क्या है। आपकी नीयत स्टिंग ऑपरेशन को लेकर क्या है, यह भी साफ होना चाहिए। सीएम रावत ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि किसी भी इस तरह के काम को करने से पहले उसकी नीयत या मकसद क्या है, इस पर भी सभी के विचार साफ होने चाहिए। उन्होंने कहा कि बलैकमेलिग करके भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर कुछ लोग खुद अपने ही बिछाये जाल में फंसे है। सरकार ब्लैकमेलिंग के खिलाफ सख्ती से कार्यवाही करेगी ताकि भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ सके। वहीं स्टिंग प्रकरण पर मुख्यमंत्री के बयान को विरोधी दलों के आरोपों पर पलटवार की तरह देखा जा रहा है। जबकि मुख्यमंत्री के इस जवाब से अब एक बार फिर विरोधियों की बेचैनी बढ़ गई है। वहीं बलैकमेलिंग के आरोपी उमेश की गिरफ्तारी को लेकर कांगेस भी लगतार हमलावर हो रही है। हांलाकि मामला अब तक सिर्फ गिरफ्तारी तक ही सीमित रह गया है। पुलिस को पूछताछ में कुछ बड़ा हासिल नहीं हुआ है। हांलाकि अब भी जांच एजेंसियां अपनी कार्यवाही को तेज करने में जुटी हुई है। अगर जल्द से जल्द स्ंिटग प्रकरण एवं तथाकथित ब्लैकमेलिंग में शामिल अन्य लोगों की गिरफ्तारी के अलावा सबूतों का पूरा खुलासा नहीं किया गया तो संभव है कि उमेश के खिलाफ सरकार को भी बैकफुट पर आकर उसे बाइज्जत बरी करना पड़ सकता है। जिससे सरकार और सत्तासीन भाजपा की किरकिरी होना भी तय है। उल्लेखनीय है कि निजी चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार पर के खिलाफ चैनल के ही एक पत्रकार ने ही सरकार को ब्लैकमेल करने के इरादे से स्टिंग करवाने की एफआईआर दर्ज करवाई है। एफआईआर में यह भी कहा गया है कि उमेश ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्प्ल कुमार सिंह और प्रमुख आईएएस अधिकारियों का स्टिंग करवाने की योजना बनायी थी, ताकि सरकार से मनचाहे तरीके से काम करवाये जा सकें। सरकार को ब्लैकमेल करने के लिए कथित स्टिंग आपरेशन में लिप्त समाचार चैनल के मालिक उमेश जे कुमार के मामले में कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को ही कठघरे में खड़ा किया है। कांग्रेस ने कहा है कि उमेश के खिलाफ मुकदमे भाजपा की सरकारों ने ही दर्ज किये और बचाने वाले भी सभी भाजपा की शान बढ़ा रहे हैं। वह चाहे पैरवी करने वाले हों या मुकदमे वापस लेने वाले। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा नेताओं की सिफारिश पर उमेश जे कुमार पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने का निर्णय जिन विजय बहुगुणा ने बतौर मुख्यमंत्री लिया, वह भी आज भाजपा में ही हैं। ऐसे में यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि यदि वह व्यक्ति गलत है तो बचाने वाले सभी भाजपा की शान बढ़ा रहे हैं। नियमित ब्रीफिंग में प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि कांग्रेस इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी करने की मांग करती है। कांग्रेस यह भी मांग करती है कि हाईकोर्ट के सीटिंग जज की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन करके इस मामले की विस्तृत जांच होनी चाहिए, ताकि पूरा सच सामने आ सके।
तो रिहा हो जायेगा उमेश,पुलिस के लिये खुलासा करना बड़ी चुनौती
देहरादून। उत्तराखंड में सरकार के मुखिया और अफसरों को तथाकथित स्टिंग में फंसाने के आरोप में गिरफ्तार चैनल के मालिक उमेश पर पुलिस की कार्यवाही के साथ सरकार की मंशा को लेकर सवाल उठने लगे है। एक ओर जहां उमेश के सहयोगी ने खुद इस मामले का खुलासा कर सभी को चैका दिया है वहीं ब्लैकमेलिंग प्रकरण में हाईकोर्ट की टिप्पणी सरकार के लिये मुश्किलें चखड़ी कर सकता है। सरकार के खिलाफ स्टिंग की साजिश रचने के लिये अपने सहयोगी को उकसाने के आरोप मे ही उमेश को गिरफ्तार किया गया है। हांलाकि मामले में अन्य धाराओं को जोड़ा गया है जिसमें मुख्यमंत्री समेत बड़े अफसर को ब्लैकमेल कर मोटी रकम का लेन देन करने का आरोप खुद उसका सहयोगी आयुष गौड़ लगा रहा है। इतना ही नहीं इस साजिश में मुख्यमंत्री को भी फंसाने की बाते सामने आ रही है। जबकि दूसरी तरफ इसी मामले में शामिल होने में आरोपित बनाये गये अन्य अभियुक्तों सौरभ भाटिया और प्रवीण साहनी की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने रोक लगाते हुए कड़ी टिप्पणी भी की है। कोर्ट की टिप्पणी को आधर बनाकर अब कभी भी उमेश जमानत के लिये कोर्ट की शरण में जा सकता है। माना जा रहा है। जिस प्रकार कोर्ट ने पूरे स्टिंग प्रकरण पर ही सवाल खड़े किये है उससे कही न कहीं अब उमेश की आगे की राह भी आसान हो जायेगी। जबकि पिछले तीन दिन में पुलिस अब तक स्टिंग से जुड़े उपकरण ही हासल कर पायी है जबकि किसी प्रकार का खुलासा करने से भी बच रही है। गौर हो कि शुक्रवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने प्रदेश के बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन से जुड़े मामले में पत्रकार प्रवीण साहनी व सौरभ साहनी को फिलहाल राहत देते हुए अगली सुनवाई तक पुलिस को उनके खिलाफ कोई उत्पीड़नात्मक कार्यवाही न करने के निर्देश दिए हैं। बहरहाल अब सरकार और पुलिस पूरे प्रकरण पर आगे क्या कार्यवाही करगी इस पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। चैनल मालिक से स्टिंग का पूरा सच उगलवना भी पुलिस के लिये बड़ी चुनौती है।
सिंटग किंग अंदर तो बाकी लोग बाहर कैसे?
देहरादून। राजधानी देहरादून में स्टिंग प्रकरण को लेकर चर्चाओं का दौर छाया हुआ है। सोशल मीडिया से लेकर रियल मीडिया जगत इस बात को अब तक पचा नहीं पा रहा है कि आखिर उमेश कुमार की गिरफ्तारी सिर्फ स्टिंग कराने को लेकर की गई है। जबकि अंदरखाने पुलिस प्रशासन और सरकार के अफसरों में खलबली मची हुई है कि इस स्टिंग कांड के शिकार अब तक कौन कौन हो चुके है। इतना ही नहीं सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक आॅडियो में स्टिंग से जुड़ी बाते हो रही है। जिसमें शासन के ही एक बड़े अफसरों को शिकंजे में लेने की तैयारी करने को कहा जा रहा है। इस आॅडियो के ायरल होने के बाद जहां विपक्षी दल सरकार पर पूरे प्रकरण का खुलासा करने का दबाव बना रहे हैं तो वहीं दबी जुमान में मुख्यमंत्री ने भी मौन तोड़ते हुए कह दिया है कि ब्लैकमेलिंग को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। लेकिन मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी से बड़ी कार्यवाही की आशंका कम बल्कि मामले को दरकिनार करने की अधिक लग रही है। जिससे विरोधी दलों की बेचैनी फिर बढ़ गई है कि आखिर जिस स्टिंग मास्टर के शिकंजे में मुख्यमंत्री आने वाले थे वह इस प्रकरण में खुलकर सख्त कार्यवाही करने की बजाये पीछे क्यों जा रहे है।|
@ Narendra Baghari (Narda)

Leave A Reply

Your email address will not be published.