पत्थबाज दुश्मनों का शिकार हुआ पिथौरागढ़ का लाल,सेना प्रमुख बिफरे

गांव पहुंचा शहीद राजेंद्र का शव, मुख्यमंत्री समेत सैकड़ों लोगों ने दी श्रद्धांजलि,तीन बहनों के इकलौते अविवाहित भाई था राजेंद्र

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पिथौरागढ़/ देहरादून। जम्मू कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान स्थानीय पत्थरबाजों के हमले में शहीद हुए राजेंद्र का शव पिथौरागढ़ पहुंचने पर क्षेत्र का माहौल गमगीन हो गया। इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत समे सैकड़ों ग्रामीणों ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। ब्रिगेड हैड क्वार्टर क्षेत्र में शहीद का शव पहुंचा। इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, स्टेशन कमांडर, डीएम, एसपी सहित जनप्रतिनिधियो, सैन्य अधिकारियों, पूर्व सैनिकों ने शहीद के पार्थिव शरीर पर मातमी धुन के बीच पुष्पचक्र अर्पित किए। वहीं आज सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने पाकिस्तान की नापाक हरकतों और कश्मीरी अलगाववादियों के खिलाफ कड़ा प्रहार किया। उन्होंने पत्थरबाजी में हुई जवान की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश का यह जवान उन्ही लोगों के हमले का शिकार हुआ जो उनकी सुरक्षा और सड़क निर्माण के लिये तैनात था। अगर पाकिस्तान औश्र अलगाववादियों ने जल्द से जल्द इस तरह कायराना हरकत नहीं रोकी तो सेना को खुली छूट देकर सबक सिखाया जायेगा। उनका कहना था कि बार बार पत्थरबाजी की घटनाओं में जवानों को नुकसान हो रहा है। अब सेना और इंतजार नहीं करेगी। समय आने पर पाकिस्तानी आतंकबादियों का सफाया कर देंगे। सेना प्रमुख ने कहा कि एक ओर कश्मीरी सेना के जवानों पर पत्थर बरसा रहे है वहीं यहां के नेता खुद को मासूम बताते हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी घटनायें नहीं रूकी तो सेना कड़ी कार्यवाही करने से पीछे नहीं हटेगी। राजेंद्र सिंह गंगोलीहाट तहसील के बुंगली क्षेत्र के मूल निवासी थे। उन्हें इसी दीपावाली पर छुट्टी लेकर घर पहुंचना था, लेकिन शुक्रवार को उसकी शहादत की खबर ने परिजनों, दोस्तों एवं क्षेत्रवासियों को स्तब्ध कर दिया। बुंगली क्षेत्र के बडेनाकुंड गांव का रहने वाले राजेंद्र सिंह बुंगला शुक्रवार को अनंतनाग जिले के काजीकुंडाताल में पेट्रोलिंग पर थे। इसी दौरान आतंकवादी हमला हो गया। बहादुरी से लड़ते हुए राजेंद्र ने अंतिम सांस तक मोर्चा संभाला। बताया जा रहा ै कि इस बीच स्थानीय पत्थरबाजों ने सेना के काफिले पर प्रत्थरबाजी शुरू कर दी। इस हमले में जवान राजेंद्र के सिर पर पत्थर लगा और वह घायल हो गये। बाद में उन्हें श्रनगर बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया मगर वह शहीद हो चुके थे। वर्ष 2016 में सेना में भर्ती होकर 24 वर्ष के राजेंद्र ने देश की सेवा और सुरक्षा की कसम खाई थी। लेकिन आज वह हम सबसे दूर चला गया। एक माह पूर्व तक वह बरेली में पोस्टेड थे। इसके बाद उसकी तैनाती जम्मू कश्मीर में हो गई। 15 दिन पूर्व ही वह जम्मू कश्मीर पहुंचे थे।राजेंद्र की सीमा पर शहीद होने की जानकारी मिलते ही बुंगली क्षेत्र में शोक की लहर है। शहीद के पिता चंद्र सिंह गांव में ही खेतीबाड़ी कर आजीविका चलाते हैं। मां मोहिनी देवी गृहणी हैं। तीन बहनों के इकलौते अविवाहित भाई राजेंद्र की बड़ी बहन रेखा की शादी हो चुकी है। दो छोटी बहन खीमा और पूजा की जिम्मेदारी राजेंद्र के कंधों पर ही थी। राजेंद्र तीन वर्ष पूर्व ही जाट रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। इकलौते पुत्र की शहीद होने सूचना से मां-पिता सदमे में हैं। मां बार-बार बेहोश हो रही हैं। छोटी बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। राजेंद्र काफी होनहार थे। विज्ञान वर्ग से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उसने सेना में जाने लक्ष्य तय किया था और इसमें सफल रहे।

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