लालची शेर ने किया शर्मासार : जासूसी के जाल में फंसा शूरवीरों का उत्तराखंड!
नापाक कनेक्शन से रहें सावधान--देश के प्रमुख पदों पर तैनात अफसरों के गृह प्रदेश में बड़ी साजिश, रूड़की के बाद अब बागेश्वर के जवान ने किया शर्मशार, जवान की फोटो और गोपनीय जानकारी वायरल होन से उठे सवाल,परिजनों को नहीं हो रहा कंचन पर शक,उत्तराखंड के जवानों को फंसाने के पीछे किसी अपने की साजिश तो नहीं!
देहरादून। मातृभूमि की रक्षा और देश की आन बान और शान को हमेशा जिंदा रखने के लिये अपनी जान तक कुर्बान करने वाले फौजी भी गद्दारी कर देंगे ऐसा सोचते ही हर देशभक्तों के मन में आक्रोश फूटने लगता है। मगर देश की सुरक्षा में तैनात एक फौजी बेटे की इसी तरह की शर्मनाक करतूतों से पूरे प्रदेश को शर्मशार होना पड़ा है। पहले रूड़की का वैज्ञानिक छात्र और फिर बागेश्वर जिले के मेरठ में तैनात जवान ने अपने ही दुश्मन देश के लिये न सिर्फ गद्दारी करने की हिम्मत कर दी बल्कि लगातार पाकिस्तानी दुश्मनों के लालची जाल में फंसकर गोपनीय सूचनायें भी बेचते रहे। इन जवानों की गद्दारी को लेकर देशवासियों के साथ ही उत्तराखंड के लोग भी आका्रेशित है। सबसे बड़ा सवाल तो यह भी उठने लगा है कि आखिर पाकिस्तान की नापाक हरकतें अब देश के प्रमुख पदों पर तैनात उन अफसरों के घर पर पड़ गई है। इन जवानों को निशाना बनाकर कहीं आतंकवाद की चिंगारी को भड़काने या फिर उत्तराखंड जैसे इस सैनिंक प्रदेश को बदनाम की कोशिश तो नहीं हो रही है? पाकिस्तान के आतंक के इस लालची जाल में जम्मू कश्मीर के साथ ही अन्य प्रदेशों के युवक भी फंस रहे हैं। आखिर फौज के जवानों को फोन की खुली छूट क्यों दी जा रही है। गौर हो कि जनरल विपिन रावत मौजूदा समय सेना के प्रमुख है जो उत्तराखंड से ही ताल्लुक रखते है। जबकि देश की सबसे बड़ी सुरक्षा एजेंसी के प्रमुख एनएसए अजीत डोभाल भी उत्तराखंड के निवासी है। इसके अलावा कई अन्य अफसर भी है जो देश की सुरक्षा व्यवस्था में अहम पदों पर तैनात है। इसके बावजूद अगर इन वीर जांबाज अफसरों के घर में भी पाकिकस्तान की साजिश सफल हो गई। एक के बाद एक जवान को गद्दारी में पकड़े जाने बाद यहां बड़ी साजिश की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। इस सैन्य बाहुल्य प्रदेश के अफसर जहां एक तरफ देश का नेतृत्व करते हुए दिन रात हमारी सुरक्षा कर रहे तो वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे नादान फौजी भी पैदा हो गये हैं जो इन्ही अफस्रों के घर उत्तराखंड से ही निकल कर दुश्मनों की राह आसान कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि इन मक्कार बेटों को सबक सिखाने के साथ ही एक ऐसी मजबूत सुरक्षा तंत्र को तैयार करने की जो दोबारा किसी फौजी को नापाक साजिश का शिकार नहीं होना पड़े।
उत्तराखंड के जवानों को फंसाने के पीछे किसी अपने की साजिश तो नहीं!
देश के सबसे बड़े दुश्मन देश के लिये जासूसी कर सेना के जवान ने सिर्फ अपना नाम बदनाम किया बल्कि उत्तराखंड जैसे राज्य से सेना में भर्ती होकर देशवासियों की रक्षा के लिये अपनी जान कुर्बान करने वाले सैकड़ों जवानों की शहादत का अपमानित कर दिया। बागेश्वर के रहने वाला यह फौजी बेटा भी सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने गया था। लेकिन दुश्मन देश की नापाक हरकतों के जाल में फंसा यह नौसिखिया गद्दार सैनिक आखिर हमारी सतर्क सेना से नहीं बच पाया। बीते दिनों एटीएस ने बीएसएफ के जवान अच्युतानंद मिश्र को भी जासूसी के मामले में पकड़ा था। बीएसएफ जवान हनीट्रैप का शिकार हुआ था। जिसके बाद से एटीएस सोशल मीडिया नेटवर्क पर ऽास नजर रऽ रही है। मूल रूप से बागेश्वर निवासी कंचन सिंह की पूरी पढ़ाई बागेश्वर के बिलौना में ही हुई है। राजकीय इंटर कालेज में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वहीं गवर्नमेंट पीजी कालेज से स्नातक की पढ़ाई की। कंचन के पुकार के नाम कांचू का जिक्र जांच में आ रहा है। पाकिस्तान में जासूसी करने वाले इस जवान की फोटा भी सोशल मीडिया में वायरल हुई है। हांलाकि जांच टीम ने उसकी पहचान के साथ ही गोपनीय सूचनायें अभी तक सार्वजनिक नहीं की है। इधर कंचन के परिजनों का कहना है कि उनका बेटा बहादुर है। देश की रक्षा के लिये उसने कसम खाई है फिर वह ऐसा कैसे कर सकता है। उसे पाकिस्तान या फिर देश में छिपे किसी गद्दार ने फंसाया है। उनका कहना है कि आखिर जिस प्रदेश में जांबाज बेटे देश की सुरक्षा के लिये अपनी जान देने को तैयार रहते हैं फिर भा उनका बेटा गद्दारी कैसे कर सकता है। वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पाकिस्तान आये दिन नयी नयी साजिश रचता है और इस बार भी उसने उत्तराखंड को निशाना बनाकर कंचन को फंसाया है। कंचन को फंसाने के पीछे उत्तराखंड के जांबाज बड़े अफसरों को देखते हुए भी किया जा सकता है जो मौजूद समय में सभी प्रमुख पदों पर तैनात हैं। चुनाव को देखते हुए इन अफसरों के विरोधी भी साजिश रच सकते हैं।
पाकिस्तानी एजेंट ने आईफोन और मोटी रकम दिलायी
देहरादून। जासूरी के आरोप में पकड़े गये कंचन ने दस साल से भारतीय सेना में सेवा की है। पिछले दस महीन से वह पाकिस्तान के संपर्क में था। कंचन को सेना पुलिस ने नौ अक्टूबर को ही अपनी गिरफ्रत में ले लिया था। सेना की जांच सबसे पहले पिछले 10 महीनों के दौरान कंचन और पाकिस्तान के बीच संपर्क के इर्द-गिर्द चल रही है। कंचन सिंह ने बातचीत और दस्तावेजों को भेजने के समय में कुछ अंतराल रऽा है। प्राथमिक तौर पर करीब आठ बार उसके दस्तावेज भेजने और इससे अधिक बार बातचीत की जानकारी मिली है। जासूसी के एवज में पाकिस्तानी एजेंसी की ओर से मोटी रकम दिए जाने की आशंका में सेना पकड़े गए जासूस के बैंक ऽातों की जांच कर रही है। प्राथमिक तौर पर बैंक ऽाते में मिले कुछ अनियमित ट्रांजेक्शन की जांच शुरू की गई है। कंचन के परिजनों के बैंक ऽातों को भी जांचा जा रहा है। हांलाकि अब तक सिर्फ दिल्ली के एक एजेंट से कंचन को आईफोन और कुछ रकम भी मिलने की बात सामने आयी है। इसके साथ ही यह भी देऽा जा रहा है कि सैनिक ने जासूसी केवल रुपयों के लिए की है या फिर उसे किसी तरह के हनी ट्रैप में फंसा कर यह काम कराया जा रहा है। दस्तावेजों की रिकवरी के साथ ही बातचीत के अंश भी निकाले जा रहे हैं। सेना के लिए रणनीतिक दस्तावेज बेहद अहम होते हैं। उसी रणनीति के आधार पर ही सेना के तमाम यूनिटों की जगह-जगह पर तैनाती होती है। सेना कंचन के मोबाइल फोन से हुए पुरानी बातचीत व दस्तावेजों के आदान-प्रदान के रिकॉर्ड को निकाल रही है। उसकी किन-किन पाकिस्तानी नंबरों पर बात हुई और किसे दस्तावेज भेजे गए, ये रिकॉर्ड निकाले जा रहे हैं। निजी कंप्यूटर व अन्य उपकरणों की आइटी विशेषज्ञ जांच कर रहे हैं। गैजेट्स से निकाली गई ये जानकारियां आइटी एक्ट में उसके िऽलाफ सुबूत के तौर पर भी पेश की जाएंगी।
पाकिस्तानी जासूसों से एक नहीं आठ बार फोन पर हुई बातें
देश के दुश्मन देश के लिये गद्दारी करने वाले इस फौजी को पकड़ते ही जांच एजेंसियों ने उसकी कुंडली खंगालते हुए अहम सबुत भी जुटाये है। इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (पीआईओ) के लिए जासूसी करते पकड़ा गया सैनिक आठ बार पाकिस्तान को सूचनाएं भेज चुका है। जासूसी का मामला सामने आने के बाद मेरठ छावनी में हड़कंप मचा हुआ है। सभी सैन्य इस्टेब्लिशमेंट में वरिष्ठ अधिकारियों ने घटनाक्रम को लेकर आगाह कर दिया गया है। सेना के अफसरों के अलावा प्रदेश व केंद्र सरकार की जांच एजेंसियां भी पड़ताल में जुटी हैं। उत्तराऽंड के बागेश्व में रहने वाले सैनिक कंचन सिंह को सेना पुलिस ने जासूसी के आरोप में पकड़ा है। मेरठ छावनी में दो साल से कंचन की तैनाती है। वह चार्जिंग रैम डिवीजन के इंटर डिवीजन सिग्नल रेजिमेंट (आईडीएसआर) में सिग्नलमैन के पद पर कार्यरत है। आइडीएसआर में तैनाती के पहले वह इसी डिवीजन की एक ब्रिगेड में तैनात था। ब्रिगेड के अंतर्गत सेना की तीन बटालियन तैनात होती हैं। इस लिहाज से दुश्मन एजेंसी के लिए जासूसी करते पकड़ा जाना सेना के लिए अधिक गंभीर विषय बन गया है। बहरहाल अब सेना की सगजता से पाकिस्तान की इस साजिश का भी खुलासा हेा चुका है मगर जब तक पाकिस्तान को कड़े से कड़ा सबक नहीं सिखया जाता वह इस तरह की नापाक हरकतों से बाज आने वाला नहीं है। सेना के जवानों को अब पहले से भी अधिक सगज रहने की जरूरत है।
सेना के जवानों को फोन में फंसने से रोकने की जरूरत
एक ओर जहां दुश्मन देश की नापाक हरकतों से जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बल शहीद हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों के एजेंट हिदुस्तान पर अपनी बुरी नजरें हटाने की बजायें लगातार कभी घुसपैठ करवाकर दहशत फैला रहे तो कभी पैसों और हुस्न के लालच में फंसाकर हमारे बहादुर बेटों को भी हमारे ही देश के खिलाफ इस्तेमाल करने में जुट गये है। अगर जल्द ही देश के सेना प्रमुख ने इन नादान जवानों की हरकतों पर काबू नहीं पाया तो आने वाले समय में उत्तराखंड जैसे सेना बाहुल्य राज्य जहां घर घर से फौजी बेटे अपनी बहादुरी का लोहा मनवाने के लिये सेना में भर्ती तो हो रहे है लेकिन आधुनिकता के इस रंगीन युग में कहीं न कहीं वह अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये पूरी तरह से विश्वासपात्र नहीं बन पा रहे है। हांलाकि बदलते समाज में अब मोबाईल जैसे संचार के साधन का दुरूपयोग भी काफी हो रहा है। इस दिशा में भी सेनाओं के सभी अंगों को अपने जवानों के लिये जागरूकता और सख्त कार्ययोजना बनानी होगी। जवानों को भी पाकिस्तान की चाल को समझना होगा और देश के सुरक्षा तंत्र को इन बहादुर बेटों को फोन के बेजा इस्तेमाल से बचना होगा। हांलाकि सेना में जवानों को स्मार्टफोन रखने की खूली छूट मिली है। मगर यह छूट आने वाले दिनों में बड़ी चूक भी बन सकती है। बेहतर होगा कि सेना में फोन के इस्तेमाल को लेकर विशेष रूल बनाये जाये।