अलविदा एनडी.. कांग्रेस ने खोया ‘सियासी पंडित’,भाजपा को मिलेगा ‘पुण्य लाभ’
एनडी तिवारी अमर रहे,.अमर रहे..! गूंजता रहा चित्रशिला घाट,श्रद्धांजलि देने कुंमाऊ और गढ़वाल और तरायी से उमड़े समर्थक,उत्तराखंड सरकार ने राजकीय सम्मान के साथ किया अंतिम संस्कार
देहरादून/हल्द्वानी 22 अक्टूबर। उत्तराखंड के विकास पुरूष, पहाड़ पुत्र व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। चित्रशिला घाट पर हजारों लोगों के साथ ही उनके समर्थकों की भीड़ उमड़ गई। यहां प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों के साथ ही कुंमाऊ ,गढ़वाल, तरायी व यूपी से भी कई नेता पहुंचे तो गमगीन माहौल में समर्थक अपने आंसू नहीं थाम पाये। गौला नदी के किनारे एनडी तिवारी अमर रहे…अमर रहे..कहते हुए लोगों के गगनभेदी नारों के बीच उनकी चिता को पुत्र रोहित शेखर और भतीजे मनीषी ने मुखाग्नि दी। इस तरह आखिर तीन दिन के राजकीय शोक के बीच सूबे के पूर्व सीएम पंडित तिवारी जी को देवभूमि उत्तराखंड की इस महान हस्ती की याद में हर कोई गमगीन दिखा। अपने जीवन के 92 बसंत काटने वाले वयोवृद्ध नेता को खोने का गम उत्तराखंड वासियो को हमेशा सालता रहेगा। देवभमि उत्तराखंड में उनके जैसा विकास पुरूष शायद अब दोबारा मिल पायेगा। वहीं पंडित एनडी तिवारी जी के रूप में जहां कांग्रेस ने अपना सियासी पंडित खो दिया है वहीं धुर विरोधी कांग्रेस के इस नेता के प्रति भाजपाईयों ने अपनी गहरी संवेदना व्यक्त कर प्रदेशवासियों में अपने प्रति सहानुभूति को जगाने का प्रयास किया। पंडित तिवारी को उत्तराखंड की मौजूदा भाजपा की त्रिवेंद्र रावत सरकार ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ विदाकर पुण्य लाभ कमाया है। आने वाले समय में भाजपा के तिवारी प्रेम के नये निहार्थ भी निकाले जायेगे। पंडित तिवारी के निधन के तीसरे दिन हल्द्वानी में महौल पूरी तहर से गंमगीन हो गया था। प्रदेश के हर नेता के मन में उनके प्रति श्रद्धा का भाव साफ दिख रहा था। प्रदेश की सत्ता को पूरे पांच साल तक चलाने वाले वह एकलौते मुख्यमंत्री रहे। उनके इसी राजनीतिक कौशल का प्रभाव ही रहा होगा कि भाजपा के धूर विरोधी विपक्षी दल कांग्रेस के इस नेता को नमन करने के लिये पूर्व पीएम स्व अटल बिहारी वाजपायी की तरह लगभग हर दल के नेताओं ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देने की ललक दिखी। गमगीन मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत भाजपा और कांग्रेस के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे। उनकी अंतिम यात्रा में सभी राजनीतिक विचारधाराओं के लोग मौजूद थे। लोगों ने रानीबाग चित्रशिला घाट पर बने झूला पुल और ऊंची चोटियों पर खड़े होकर अपने प्रिय नेता को श्रद्धांजलि दी। अंतिम संस्कार के लिये यात्रा शुरू होते ही आकाश भी बरसने लगा। पुण्य आत्मा की शुद्वी के लिये यह भी अनोखा संयोग हुआ। वह अपने जन्म दिन की तिथी पर ही संसार से विदा हो गये थे। रविवार सुबह लोगों ने सर्किट हाउस में एनडी तिवारी के अंतिम दर्शन किए। सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एवं पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने पार्थिव शरीर पर पुष्क चक्र अर्पित किए। यह सिलसिला 12.30 बजे तक चलता रहा। इसके बाद पूर्व सीएम तिवारी के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेट कर वाहन में अंतिम यात्रा के लिए रवाना किया गया। रानीबाग में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिह रावत ने पं० नारायण दत्त तिवारी को श्रद्वासुमन अर्पित करते हुये कहा कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य करते थे। उनके विकास कार्यों के लिए उनकों युगों-युगों तक याद किया जायेगा। स्व० तिवारी द्वारा प्रदेश में जो विकास कार्य किये गये हैं, उनको वर्तमान सरकार और आगे तक लेकर जायेगी। उन्होंने कहा कि स्व० तिवारी एक सर्वमान्य नेता के साथ ही राजनीति के भीष्म पितामह के रूप में हमेशा याद कियेे जायेंगे। विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल ने कहा कि स्व० तिवारी राजनैतिक गुरू थे, उनके निधन से प्रदेश, राष्ट्र व समाज को अपूर्णीय क्षति हुई है, जिसकी भरपाई निकट भविष्य में सम्भव नहीं है।
उत्तराखंड सरकार ने राजकीय सम्मान के साथ किया अंतिम संस्कार
हल्द्वानी। पंडित तिवारी को उत्तराखंड सरकार ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ विदा किया। तिवारी जी के पार्थिव शरीर को तिरंगा ओढ़कर घाट के लिये राना किया गया। यहां हजारों लोगों की भीड़ के बीच सर्किट हाउस से दो किमी दूर रानीबाग नैनीताल हाईवे से चित्रशिला घाट तक तिवारी के पार्थिव शरीर को परिवारजनों के साथ ही अन्य समर्थकों द्वारा कंधा देकर श्मशान घाट ले जाया गया। मौके पर मौजूद स्पीकर प्रेम चंद्र अग्रवाल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तिवारी के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किया। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, डा. रमेश पोखरियाल निशंक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय अजय भट्ट, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, पूर्व राज्य सभा सांसद महेंद्र सिंह माहरा, काबीना मंत्री यशपाल आर्य, प्रकाश पंत, सुबोध उनियाल और डा. धन सिंह रावत ने पुष्पचक्र अर्पित किए। पुलिस जवानों ने हवा में फायर कर मातमी धुन से प्रिय नेता को विदाई दी। इसके बाद उनकी चिता को मुखाग्नि एनडी के पुत्र रोहित शेखर, भतीजा मनीषी ने दी। इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, विधायक संजीव आर्य, राम सिंह कैड़ा, नवीन दुम्का, बंशीधर भगत, पुष्कर सिंह धामी, राजेश शुक्ला, पूर्व काबीना मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल, राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री बची सिंह रावत, केसी सिंह बाबा, पूर्व सांसद बलराज पासी, पूर्व मेयर डा. जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला, पूर्व सभापति मंडी सुमित हृदयेश, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री जतिन प्रसाद, पूर्व काबीना मंत्री प्रवीण सिंह ऐरन, प्रयाग भट्ट, महेश शर्मा, बलवीर सिंह, बलवीर रावत, सतीश नैनवाल, मोहन पाठक, राहुल छिमवाल, संध्या डालाकोटी, किरन डालाकोटी, राजेंद्र दुर्गापाल, दिनेश आर्य, प्रकाश जोशी, हेमंत बगडवाल, केदार पलड़िया, सरिता आर्या, प्रदीप बिष्ट, ललित जोशी, खजान पांडे, हुकुम सिंह कुंवर, सुरेश तिवारी, प्रकाश रावत, मोहन सनवाल और दीपक बल्यूटिया आदि मौजूद थे।
उचित सम्मान देने के लिये भाजपा और कांग्रेस नेताओं ने दिखाया जोर
हल्द्वानी। सर्किट हाउस में पूर्व सीएम हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश ने तिवारी के दिये योगदान और यादों का विस्तार से बखान किया। डा. हृदयेश ने तो 2002 में यूके की सत्ता संभालने के बाद किस तरह से नवोदित राज्य को चलना सिखाया, कैसे संसाधन जुटाए, अधिकारी कर्मचारियों के बैठने की जगह बनाई। सचिवालय, विस का कैसे निर्माण किया, उद्योगों की स्थापना के बारे में जानकारी दी। चित्रशिला घाट में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी मुक्तकंठ से एनडी की प्रंशसा की। उन्होंने कहा कि विकास और विन्रमता के तौर पर एनडी हमेशा याद किए जाएंगे। पूर्व सीएम हरीश रावत से कुछेक नेताओं ने कुविवि का नाम एनडी के नाम कर करने की बात की तो कोश्यारी बोले कि केवल एक विवि का नाम एनडी के नाम से किए जाने से इस महान नेता के साथ न्याय नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार इस नेता के कद एवं काठी का पूरा सम्मान करेगी। पूर्व सीएम हरीश रावत ने नेता प्रतिपक्ष डा. हृदयेश से गौलापार अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान एवं अंतरराष्ट्रीय चिड़ियाघर का नाम एनडी के नाम पर करने के लिए सरकार को कहने का आग्रह किया। एनडी की अंतिम यात्रा में मौजूद पूर्व सासंद बलराज पासी, केसी सिंह बाबा, महेंद्र सिंह महरा, पूर्व पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय एवं पीसीसी प्रमुख प्रीतम सिंह भी एनडी के विकास कार्याे को याद करने के लिए कुछ संस्थानों का नाम एनडी के नाम पर करने का जोर देते रहे। मीडिया से बातचीत में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी उनके नाम पर विशेष अवसर पर घोषणा करने के संकेत दिए है। पूर्व सीएम एनडी तिवारी को सम्मान देने के लिये किसी ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह से सवाल तो नहीं किया, लेकिन सीएम ने शोक संदेश व्यक्त करते महत्वपूर्ण बताया। उनका कहना था कि आचार संहिता के चलते वक्त घोषणा करने का नहीं है मगर सभी की भावनाओं का सम्मान करते हुए विशेष दिन ही इका ऐलान कर उसे पूरा भी किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने एनडी के उत्तराखंड, यूपी एवं आजादी के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह व्यक्ति बहुत कम मिलते हैं।
कांग्रेस की बेरूखी से नाराज हो गया था तिवारी का परिवार
हल्द्वानी। पंडित नारायण दत्त तिवारी के जीवन में सबसे अहम मोड़ तब आया था जब उन्हें पत्नी और बेटे के रूप में उज्जवला शर्मा, और रोहित शेखर को अपनाकर नयी जिंगदी शुरू करते हुए न सिर्फ राजनीति में सक्रियता दिखायी बल्ति अपने पुत्र के लिये वह कांग्रेस के साथ ही भाजपा से भी गुहार लगाते दिखे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में एनडी तिवारी ने सभी को चैका दिया था। इतना ही नहीं जिस कांग्रेस के लिये वह बचपन से लड़ते रहे एसी कांग्रेस में उन्हें एक टिकट हासिल करने के लिये दर दर भटकने को मजबूर होना पड़ा। हांलाकि पंडित तिवारी के पुत्र रोहित को न तो कांग्रेस ने तबज्जो दी और न भाजपा ने। इसका कारण स्वयं रोहित के राजनैतिक कैरियर रहा है। वह अभी अभी तिवारी की विरासत को संभालने के लिये तैयार हुए है लिहाजा किसी भी दल में एंट्री करने से पहले काफी मेहनत करनी होगी। शायद यह अंदेशा पंडित तिवारी को भी रहा होगा, क्योंकि जब वह भाजपा सुप्रीमो अमित शाह से मिलने पहुंचे थे तो हर कोई उनके भाजपा में शामिल होने की बात कहने लगा था। लेकिन जब तिवारी और शाह की मुलाकात हुई तो सच्चायी सामने आ गई थी। रोहित अब भी अपने नये राजनैतिक सफर की शुरूआत करने के लिये तैयारी कर रहे हों मगर समझा जाता है कि रोहित किस पार्टी या संगठन के साथ अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ायेंगे। बहरहाल सियासी गलियारों मे रोहित शेखर तिवारी के नाम की चर्चायें तेज हो रही है। गत दिवस पंडित तिवारी जी के अंतिम संस्कार में पहुंचे भाजपा नेताओं ने भी उनको ढांढस बंधाते हुए हर संभव सहयोग देने की बात कही है। जबकि कांग्रेस नेताओं ने भी रोहित को सांत्वना देने के साथ ही उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इधर कुछ नेताओं का कहना है कि पंडित तिवारी के भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं के साथ गहरे रिश्ते रहे हैं। अब भविष्य में एनडी के परिवार और उनके राजनीति उत्तराधिकारी रोहित को पूरा अधिकार रहेगा कि वह अपने नयी पारी की शुरूआत अपने पिता की तहर करते है या फिर कुछ और उनका भविष्य तो उत्तराखंड में ही सुरक्षित रहेगा।
पीएम मोदी की बेरूखी से समर्थकों में आक्रोश
हल्द्वानी। देश के सियासी सितारे व विकास पुरूष के नाम से जाने वाले वयोवृद्ध कांग्रेस नेता बीती 18 अक्टूबर को हम सबसे दूर चले गये। यहां दिल्ली में उनके अंतिम दर्शन के लिये देशभर से विभिन्न दलों के वरिष्ठ नेताओं का तांता लगा रहा। हांलाकि केंद्र सरकार से वरिष्ठ नेता व केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह उनको श्रद्धांजलि देने के लिये पहुंचे थे। लेकिन पडित तिवारी जैसी सख्सियत के अंतिम दर्शन के लिये देश के पीएम नरेंद्र मोदी की अनुपस्थित को लेकर सियासी गलियारों में चर्चायें तैरने लगी थी। वहीं जब पंडित तिवारी का पार्थिव शरीर जब उत्तराखंड लाया गया तो पीएम के पहुंचने की संभावना भी खत्म भी गई। बहरहाल जब हल्द्वानी के सर्किट हाउस में उनके अंतिम दर्शन के लिये प्रदेश भीर से लोगों का तांता लगा हुआ था। इन लोगों में अधिकांश भाजपा के भी नेता शामिल हुए। यहां भी तिवारी के पुराने समर्थकों ने खुले तौर पर पीएम मोदी को लेकर कुछ नहीं कहा लेकिन कई समर्थक पीएम की बेरूखी को लेकर सवाल भी उठाते दिखे।कई लोगों की प्रतिक्रिया थी कि एनडी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के समान थे। बतौर पीएम अटल ने नैनीताल प्रवास पर एनडी को अपने से ज्यादा जानकार नेता बताया था। कई लोग हाल में दिवंगत अटल जी,जयललिता, करुणानिधि की अंतिम यात्रा में उमड़े जनसैलाब की तुलना में एनडी की अंतिम यात्रा से कर रहे थे। कुछ लोगों का कहना था कि जब देश के महान नेता स्व अटल जी का देहांत हुआ तो पूरी केंद्र सरकार कई दिनों तक उनके लिये जुटी रही। जबकि विपक्ष के नेताओं के साथ ही स्वयं कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी, सोनिया गांधी भी स्व अटल को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। लेकिन जब देश ने अपने एक और वरिष्ठ नेता पंडित तिवारी को खोया तो पीएम मोदी को भी उनका सम्मान करना चाहिये था। समर्थकों का कहना था कि पंडित तिवारी तो अटल से भी पुराने नेता रहे हैं। उनके राजनैतिक सफर की बराबरी शायद ही कोई कर पायेगा।
सबके दुलारे सबकुछ भुलाकर छोड़ गये अकेले: हरदा
हल्द्वानी। पंडित तिवारी जी की अंतिम यात्रा में पहुंचे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी गमगीन दिखे। पंडित तिवारी को उन्होंने कांधा भी दिया जबकि अन्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी उनके साथ सुबह से ही सर्किट हाउस में पहुंच गये। यहां मीडिया के कर्मचारी कई बार उनकी तरफ बढ़े तो उन्होंने कुछ नही कहने का इशारा करते रहे। हांलाकि बाद में अंतिम संस्कार के लिये यात्रा शुरू हुई तो अन्य नेताओं के साथ वह भी तिवारी की देह को कांधा दे रहे थे। मीडिया कर्मियों की भीड़ में उनका कहना था कि आज सभी के दुलारे जनसेवक नेता सबकुछ भुलाकर मुझे भी अकेला छोड़ कर यले गये, उनको और उनके दिये सहयोग को कभी नहीं भुला पाऊगा। वहीं कैबिनेट मंत्री व पूर्व में कांग्रेस नेता रह चके पंडित तिवारी के बेहद करीबी माने जाने वाले यशपाल आर्य भी गम में डूबे दिखे। उनका कहना था कि पंडित जी की बदौलत ही उनके राजनीतिक जीवन में सफलता मिलती रही है। पंडित जी को स्वर्ग में स्थान मिले।