निकाय चुनाव:15 अक्टूबर को अधिसूचना, 15 नवम्बर को वोटिंग,17 को गिनती !
हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार को निर्वाचन आयोग ने सौंपा चुनाव कार्यक्रम
देहरादून। हाईकोर्ट के आदेशों के मद्देनजर प्रदेश सरकार आगामी 15 नवंबर को निकाय चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। सूत्रों की मानें तो प्रदेश सरकार 15 अक्टूबर को राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कार्यक्रम की अधीसूचना जारी कर सकती है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने चुनाव का जो खाका खींचा है उसके मुताबिक 15 नवंबर को मतदान और 17 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। इधर प्रदेश में चार माह से लंबित निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने अधिकारियों के साथ बैठक शुरू की। बैठक में राज्य निर्वाचन आयुक्त भी मौजूद थे। इसमें हाईकोर्ट के आदेश के बाद की स्थिति पर र्चचा की गई। सूत्रों के अनुसार 15 अक्टूबर को अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। विधानसभा स्थित कार्यालय में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने दो घंटे तक परिस्थितियों पर र्चचा की। बैठक के बाद सरकार इस निर्णय पर पहुंची है हालांकि अभी इस चुनाव कराने में कई नगर पंचायत व नगर पालिका व नगर निगम में पेच फंसे हैं। प्रश्न यह भी है कि जिन निकायों में अभी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी वहां समय से कार्यक्रम के अनुसार चुनाव हो पाएंगे या नहीं। नगर निगम रुड़की वह नगर पालिका बाजपुर की चुनाव कराने की गई प्रक्रिया अभी अधूरी रह है। सूत्रों के अनुसार नामांकन से पहले रुड़की में आरक्षण तय कर दिया जायेगा और सीमा विस्तार की प्रक्रिया चलती रहेगी वहीं बाजपुर व श्रीनगर नगर पालिका के आरक्षण की प्रक्रिया शीघ्र पूरी कर दी जायेगी। इसके साथ ही 41 नगर पालिकाओं में चुनाव करा दिये जाएंगे। वहीं नगर पंचायत सेलाकुई पर अभी न्यायालय का स्थगन आदेश होने के कारण नगर पंचायत बन नहीं पायी है। नगर पंचायत भतरौंजखान पर भी कई कानूनी अड़ंगे हैं। चुनाव से अलग रहने वाली नगर पंचायत बद्रीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री को छोड़कर अभी तक 85 नगर निकायों की स्थिति ही साफ हो पायी है। तीन निकायों रुड़की, बाजपुर, श्रीनगर व की प्रक्रिया पूरी हो पायी तो 88 निकायों में चुनाव का बिगुल बज जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक व एडवोकेट एटर्नी जनरल एसएल बाबुलकर, न्याय विभाग के प्रमुख सचिव आलोक वर्मा, निदेशक शहरी विकास बीएस मनराल के साथ ही राज्य निर्वाचन आयुक्त के चंद्रशेखर भट्ट के साथ हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उच्च न्यायालय के आदेश को सवरेपरि रखते हुए अधिसूचना जारी कर दी जाए। हाईकोर्ट द्वारा सरकार को जिन नगर पालिकाओं और पंचायतों में आरक्षण प्रक्रिया संपन्न हो गई है, वहां चुनाव कराने के आदेश दिए हैं। इस कड़ी में गुरुवार को विधानसभा में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कोर्ट के आदेश पर विधिक राय लेने के लिए सभी संबंधित विभागों के साथ मंथन किया। देर रात तक चली इस बैठक में निकायों में आरक्षण तय करने के साथ ही चुनावों की प्रस्तावित तिथि को लेकर भी मंथन किया गया। सूत्रों की मानें तो सरकार ने चुनावों के लिए प्रस्तावित कार्यक्रम तैयार कर लिया है। इसके मुताबिक सरकार 15 अक्टूबर को राज्य निर्वाचन आयोग को प्रस्तावित कार्यक्रम भेजेगी। इसी दिन आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है। 16 अक्टूबर को सभी जिलाधिकारी अपने-अपने जिलों के अंतर्गत आने वाले निकायों के लिए इस अधिसूचना को जारी करेंगे। 17, 18 व 20 अक्टूबर को चुनावों के लिए प्रत्याशियों की नामांकन प्रक्रिया चलेगी। 19 अक्टूबर को दशहरा होने के कारण अवकाश रहेगा। 22 से 23 अक्टूबर तक नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। प्रस्तावित कार्यक्रम में 25 अक्टूबर का दिन नाम वापसी के लिए निर्धारित किया गया है। 26 अक्टूबर को चुनाव चिह्न का आवंटन किया जाएगा। प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार 15 नवंबर को चुनाव और 17 नवंबर को मतगणना की जाएगी। इसी दिन परिणामों की घोषणा भी कर दी जाएगी। रुड़की नगर निगम के आरक्षण निर्धारण प्रक्रिया को भी इसके साथ-साथ ही चलाया जाएगा, ताकि वहां भी समय से चुनाव कराए जा सकें।
सरकार अब नहीं हुई तैयार तो फिर खिसकेंगे चुनाव!
देहरादून। सूबे में निकाय चुनाव को लेकर अब सभी सरकार की मंशा सवालों के सिघरी हुई है। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव के लिए तैयारियां पूरी होने के दावों के बाद हाई कोर्ट के एक सप्ताह में चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के आदेश के अनुपालन को सरकार के पास अब दो विकल्प हैं। चर्चा है कि सरकार इस मामले में अब कोर्ट के समक्ष आदेश में संशोधन के लिए पुनर्विचार याचिका भी दायर कर सकती है। दरअसल, राज्य के निकायों का कार्यकाल तीन मई को ही पूरा हो गया था। इससे पहले ही नौ मार्च को राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से सरकार को निकाय चुनाव से संबंधित कार्यक्रम भेज दिया गया था, जिसमें दो अप्रैल को आयोग की ओर से अधिसूचना जारी करने, तीन अप्रैल को जिला निर्वाचन अधिकारी व राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने, चार से आठ अप्रैल तक नामांकन, 29 अप्रैल को मतदान का कार्यक्रम तय किया गया था। आयोग के कार्यक्रम में तीन मई को नए निकाय बोर्डों की अधिसूचना जारी होनी थी, मगर जब सरकार की ओर से चुनाव कार्यक्रम पर मुहर नहीं लगी तो आयोग ने दो अप्रैल को हाई कोर्ट में दस्तक दे दी। इधर तीन मई को सरकार ने निकाय बोर्डों को भंग कर दिया। इसके बाद आयोग द्वारा जून में निकायों की अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन कर दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के बाद यदि राज्य सरकार ने निकायों के नए परिसीमन के अनुसार चुनाव कराए तो राज्य निर्वाचन आयोग को नए सिरे से मतदाता सूची तैयार करनी होगी। मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम में कम से कम दो माह का समय लगेगा, जबकि एक माह चुनाव प्रक्रिया के लिए। आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट के अनुसार आयोग की ओर से मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया जा चुका है। आयोग पूरी तरह चुनाव को तैयार है। इधर प्रदेश की सभी निकायों में एकसाथ चुनाव कराने या फिर कोर्ट में लंबित निकायों के परिसीमन के मामले पर भी मंथन जारी है। अगर दो चरणों मेें चुनाव हुए तो संभव है कि चुनाव जल्द शुरू होंगे। बहरहाल अब हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जहां सरकार ने कसरत तो शुरू कर दी है मगर इस विकल्प पर भी संदेह बना हुआ है कि अगर सरकार की मंशा सभी निकायों में एकसाथ चुनाव की दिशा में चली गई तो चुनाव दो महिने और टल सकते है।