स्वामी सानंद की मौत…उत्तराखंड में शोक की लहर..फूट रहा आक्रोश

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देहरादून। बहुत दुखद सूचना मिली है …आखिर वहीं हुआ जिसका डर सता रहा था… केंद्र और राज्य सरकार की बेरूखी का खामियाजा आज देवभूमि के एक और तपस्वी संत स्वामी सानंद को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ा। जी हां आज दोपहर स्वामी सानंद की उपचार के दौरान मौत हो गई है। उनकी मौत की खबर से प्रदेशभर में शोक की लहर व्याप्त हो गई है। जबकि सोशल मीडिया पर विपक्षी दलों ने स्वामी सानंद की मौत के लिये केंद्र की मोदी सरकार और राज्य सरकार पर तीखे हमले शुरू कर दिये है। गौर हो कि स्वामी सानंद प्रो. रिटायर.जीडी अग्रवाल ने गंगा रक्षा के लिये सन्यास ले लिया था। वह पिछले एक सौ दस दिन से अन्न का त्याग कर चुके थे। उन्होंने गत दिवस जल का भीत्याग कर दिया था। इतना ही नहीं जाते जाते उन्होंने गंगा की अविरलता और निरमलता के लिये केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को कटघरे में खड़ा करते हुए सवाल  भी उठाये थे कि आखिर जो लोग गंगा रक्षा के लिये खुद को गंगा पुत्र बताते है आज तक वह उनकी मांगों पर गौर नहीं कर पाये। गौर हो कि  गंगा पर निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं को बंद करने, प्रस्तावित परियोजनाओं को निरस्त करने और कोई भी नई परियोजना स्वीकृत न करने समेत वर्ष 2012 में तैयार किए ड्राफ्ट पर रगंगा एक्ट बनाने की मांग को लेकर स्वामी सानंद गत 22 जून से तप कर रहे थे। नौ अक्टूबर से जल का भी त्याग कर दिया था। कल बुधवार को प्रशासन ने उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती करा दिया था जहाँ आज दोपहर उनका निधन हो गया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011 में भी स्वामी शिवानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी निगमानंद भी कई महिनों तक गंगा में अवैध खनन पर पूर्ण रूप से रोक लगाने की मांग को लेकर अनशन करते रहे। लेकिन उनकी मांगों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। आखिर में उन्होंने भी प्राण त्याग दिये थे। इधर स्वामी सानंद की मौत की खबर से सम्पूर्ण प्रदेश में शोक की लहर छा गई  है।

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