सरकारी अस्पतालों में तड़प रही गर्भवर्ती महिलायें
अफसरों ने मारा छापा,जांच के लिये बनायी समिति,पैसे मांगने की शिकयतें
देहरादून। सूबे की त्रिवेंद्र सरकार भले ही प्रदेश मेें स्वास्थ्य सुविधओं को दुरूस्त करने का दावा कर रही हो मगर हालात बेहद चिंताजनक बनते जा रहे हैं। गौर हो कि एक के बाद एक घटनाएं स्वास्थ्य सेवाओं को आइना दिऽा रही हैं। लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के बड़े अपफसरों पर कोई असर नहीं हो रहा है। पहले दून महिला अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत और पिफर अस्पताल से रेपफर करने के बाद उसी अस्पताल में बहू की सपफल डिलीवरी सास द्वारा किये जाने के मामले से सरकार पूरे सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर दिये हैं। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में भी व्यवस्थायें बदहाल हो चुकी है। दून महिला अस्पताल में आये दिन गर्भवर्ती महिलाओं के उपचार में लापरवाही ही कई शिकायतें आ चुकी है। जबकि उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी और तमाम क्षेत्रों से मरीजों सीध देहरादून रेपफर किया ताजा है। यहां रायपुर से लेकर प्रेमनगर अस्पताल में प्रसव की सुविध है। हाल में गांध्ी नेत्रा चिकित्सालय को मैटरनिटी केयर यूनिट के तौर पर विकसित किया गया है। पर दबाव पिफर भी अकेले दून महिला अस्पताल पर है। आये दिन किसी गर्भवती या नवजात की मौत की ऽबर आती है। कारण समय पर या सही उपचार न मिलना। पर सरकारों का हाल देऽिए कि वह करीब 18 साल से स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ करने का प्रयास ही कर रही हैं। दून महिला अस्पताल में मरीज भगवान भरोसे हैं। एक दिन पहले हुई जच्चा-बच्चा की मौत के बाद भी स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं दिऽा। शुक्रवार को भी महिलाएं परेशान होती रहीं। भगवानपुर हरिद्वार निवासी आठ माह की गर्भवती एक दिव्यांग महिला आशा ;28द्ध के पेट में दस दिन से बच्चा मृत है, पर चार दिन पहले अस्पताल में भर्ती होने पर उसे बेड तक नहीं मिला। वह बरामदे में व्हील चेयर पर बैठी रही। आरोप है कि चिकित्सकों ने उसके आॅपरेशन में भी देरी की। मीडिया के अस्पताल पहुंचने पर उसे लेबर रूम में ले जाया गया। यहां दून निवासी बहन उनकी देऽरेऽ कर रही है। उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड कराने पर डाॅक्टर ने बताया कि उनका बच्चा पिछले दस दिन पहले मर गया है। तब से वह लोग आॅपरेशन करने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन किसी ने सुना नहीं। आॅपरेशन करने में डाॅक्टर आनाकानी करते रहे। उन्हें ऽतरा है कि कही पेट में मृत बच्चे की वजह से उसकी जान जोऽिम में न पड़ जाए। उध्र, मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. प्रदीप भारती गुप्ता का कहना है कि अल्ट्रासाउंड जाच में बच्चा मृत पाया गया था। ऽून की कमी के चलते उसका आॅपरेशन नहीं किया गया। ब्लड बैंक से ऽून उपलब्ध् हो गया है। अब ऽून चढ़ाकर उसका आॅपरेशन कर दिया जाएगा। वहीं हरिद्वार के सिंघद्वार की एक महिला छह दिन से अस्पताल में स्ट्रेचर पर तड़प रही है। परिजनों ने डाॅक्टरों पर इलाज न देने का आरोप लगाकर हंगामा किया। उनका कहना था कि उसके टाके ऽराब हो गए हैं। अब पेट में रसोली बता दी गई है, पर कोई सुध् लेने को तैयार नहीं है। महिला के पति द्वारिका ने बताया कि उनकी पत्नी किरण का चार तारीऽ को आॅपरेशन हुआ था। दिक्कत हुई तो छह दिन पहले वह उसे अस्पताल ले आए। लेकिन यहां बेड नहीं मिला। परिजनों ने कहा कि डाॅक्टर प्राइवेट में ले जाने की सलाह दे रहे हैं, पर कोई लिऽकर देने को तैयार नहीं। इस पर प्राचार्य का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। इसकी जानकारी की जाएगी।
अफसरों ने मारा छापा,जांच के लिये बनायी समिति,पैसे मांगने की शिकयतें
देहरादून। दून महिला अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत के बाद सरकार व शासन अब हरकत में दिऽ रहा है। शुक्रवार को अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा युगल किशोर पंत ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। यहा लेबर रूम में पंऽे ऽराब होने, सीलन देऽ उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने 15 दिन के भीतर लेबर रूम किसी बड़ी जगह शिफ्रट करने और अन्य तमाम व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक डाॅ. अर्चना श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति की है। यह समिति 15 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। इसमें एक चिकित्सक एम्स और एक अस्पताल की डाॅक्टर रहेंगी। अपर सचिव ने सबसे पहले चिकित्सकों, नर्सिग स्टापफ की बैठक ली। उन्होंने जच्चा की तबीयत बिगड़ने पर उपचार न मिलने, अस्पताल में पैसे मागे जाने, इंजेक्शन, दवा, धगा बाहर से मंगाए जाने समेत अन्य तमाम आरोपों की जाच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी।महिला अस्पताल में स्टापफ द्वारा पैसे मांगने की भी कई शिकायतें सामने आई हैं। जिस पर अपर सचिव ने कहा कि इससे सख्ती से निपटा जाएगा। यदि कोई भी कर्मचारी पैसे की मांग करता है तो इसकी सूचना इंटीग्रेटेड हेल्पलाइन 104 पर दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस विषय में सभी अस्पतालों में सूचना चस्पा की जाएगी। इस तरह की कोई भी शिकायत आने पर उससे सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने कहा कि नर्सिग स्टापफ की कमी पूरी करने और अन्य संसाध्नों को जुटाने के लिए विभाग प्रयास कर रहा है। नई बिल्डिंग निर्माणाध्ीन है, इसके बनने के बाद व्यवस्थाओं में सुधर हो जाएगा। इस दौरान पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक डाॅ. अर्चना श्रीवास्तव, मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. प्रदीप भारती गुप्ता, चिकित्सा अध्ीक्षक डाॅ. केके टम्टा, महिला अस्पताल की सीएमएस डाॅ. मीनाक्षी जोशी, डाॅ. चित्रा जोशी, एनएस कृष्णा रावत, सतीश ध्स्माना आदि मौजूद रहे।