चलते चलते भगा दिया तो …चुपके चुपके देखा क्यों ??
भगौड़ों से भाईचारा: चैकीदारी और भागीदारी पर उठे सवाल
नई दिल्ली/देहरादून। देश का मशहूर शराब कारोबारी जब देश के बैंकों से हजारों करोड़ का घोटाला कर देश छोड़ने की तैयारी कर रहा था तभी उसने केंद्र सरकार के एक बड़े नेता से मुलाकात की थी। इस खबर का खुलासा होने के बाद स्वयं वित्त मंत्री अरूण जेटली ने यह स्वीकार भी कर लिया है कि उन्होंने अनौपचारिक रूप से मुलाकात की। साथ ही उन्होंने सफाई भी दी कि चूंकि विजय माल्या पर बैेकों का बकाया गबन करने का आरोप लग रहे थे। इसलिये उसने सरकार से दखल देकर मामले को मामले को मैनेज करने का फार्मूला बताया। हांलाकि इस बात का खुलासा अभी नहीं हुआ है कि भगौड़े विजय माल्या और केंद्रीय नेता के बीच कितनी देर और क्या क्या बाते हुई। लेकिन इस बीच कांग्रेस भी इस मुद्दे को सिर माथे पर लेकर मैदान में उतर आयी है। इतना ही नहीं कांग्रेस नेता पुनिया ने प्रेस वार्ता कर माल्या से भी बड़ा खुलासा कर भाजपा को कटघरे में खड़ा कर दिया। पूनिया के मुताबिक जेटली और माल्या ने आराम से बैठकर बातचीत की थी न कि चलते चलते। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर वह झूठ बोल रहे हैं तो राजनीति से त्याग कर देंगे। अब अगर पूनिया के इस दावे में सच्चाई है तो फिर केंद्र सरकार आगे क्या निर्णय लेगी यह बेहद अहम होगा। कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी भी विजय माल्या और अरूण जेटली की मुलाकात को बड़े घोटाले की साजिश बताकर न सिर्फ जेटली से इस्तीफा देने की मांग कर दी बल्कि पूरी मोदी सरकार पर ही इसमें शामिल होने का आरोप मढ़ दिया। दो दलों के बीच शुरू हुए घमासान को लेकर राजनीतिक और कानूनी जानकार भी हैरानी में हैं। एक ओर जहां भाजपा पर माल्या को चलते चलते मिलने और भगाने का आरोप लगाया जा रहा है तो कांग्रेस पर भी सवाल उठाया जा रहे हैं कि जब वह चुपके चुपके सबकुछ देख रहे थे तो इसकी शिकायत उन्होंने क्यों नहीं की और तभी इस बात का खुलासा क्यों नहीं किया। अगर कांग्रेस ने ऐसा कर दिया होता तो माल्या को भागने से पहले ही पकड़ लिया जाता। इधर कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि अरूण जेटली ने संसद में बैठकर माल्या से बातचीत की। इसके बाद देश से भगाने में भी मदद की गई। जबकि सुरक्षा ऐजेंसियों को बताने की बजाय बतों को छिपाये रखा और देश की जनता को भी गुमराह किया। जबकि जेटली की सफाई में वह स्वयं माल्या से मुलाकात होने की बात स्वीकार कर चुके हैं। इस तरह बैंकों के डिफाल्टर होने और देश से भागने की आशंकाओं की जानकारी के बावजूद वित्त मंत्री द्वारा मुलाकात को स्वीकार करने से उन सवाल तो उठाये जा ही रहे है साथ में मोदी सरकार पर भी चैकीदारी में फेल और भगाने में भागीदारी के आरोप भी लगने लगे है। मीडिया के साथ ही सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा पूरी तरह से छाया हुआ है कि आखिर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करने का दावा करने वाली मोदी सरकार के नेता आखिर गबन के आरोपी से मिले तो क्यों मिले,जबकि उसे तो जेल भेजना चाहिये थे। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के आरोपों पर भी सवाल उठाये जा रहे है। कांगे्रस जहां वित्त मंत्री से इस्तीफा मांग रही है तो उनके उस दावे की हवा निकालते हुए कुछ लोगों ने कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है। वहीं भाजपा नेताओं की माने तो यूपीए सरकार के समय में विजय माल्या समेत अन्य कारोबारियों ने सांठगांठ कर मोटा लोन हासिल किया और जैसे ही सरकार बदली यह लोग विदेश भाग गये। इतना ही नहीं कांग्रेस के इस दावे पर सवाल उठाये जा रहे हैं कि जब विजय माल्या जेटली से मुलाकात कर रहा था तो वह चुपके चुपके क्यों देख रही थी। तब उन्हानें इसका खुलासा क्यों नहीं किया। कुल मिलाकर भगौड़ों से भाईचारा दोनों दलों का दिखता है जबकि इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और भाजपा के अपने अपने दावे हवा हवाई साबित होते दिख रहे हैं। हांलाकि देश से भागने वाले अन्य भगोड़े नीरव मोदी, नीरज मोदी,मोहुल चैकसी जैसे बड़े बड़े डिफाॅल्टरो को प्रत्यार्पण करने के लिये सरकार की ऐजेंसियां काम कर रही है। मगर जब तक इन भगौड़ों को गिरफ्तार कर भारत नहीं लाया जाता तब तक सवाल तो सरकार पर उठते ही रहेंगे। आगामी चुनाव से पहले ऐसा करके दिखाना मोदी सरकार के लिये बड़ी चुनौती भी साबित हो सकती है।
सोशल मीडिया पर छाया मुद्दा,उड़ रही खिल्लियां
देश की हर हलचल का असर सोशल मीडिया पर शुरू हो जाता है। इसमें चाहे चुगलखोरी की बाते हो या फिर एक दूसरे की खिल्ली उड़ाना। सियासी दलों के लिये सोशल मीडिया बेहद प्रभावशाली हथियार भी बन चुका है। गौर हो कि भारत में करीब 17 विभिन्न बैंकों से करीब नौ हजार करोड़ करोड़ रूपये के गबन के आरोपी प्रमुख शराब कारोबारी विजय माल्या अब देश से भाग चुका है। भारत छोड़ने के बाद लंदन से अभी हाल ही में विजय माल्या ने बड़ा खुलासा कर न सिर्फ हिंदुस्तान की सरकार को ही इसमें भागीदार बताते हुए खुद को बचाने के लिये सियासी दांव भी खेल दिया। इस बीच सत्तासीन केंद्र सरकार के इस बड़े नेता की मुलाकात भगौड़े विजय माल्या से होने की खबर सोशल मीडिया में छा गयी हैं। विपक्षी दलों के नेता दोनों की मुलाकात को पूर्व नियोजित षडयंत्र का हिस्सा बता रहे हैं तो सरकार की तरफ से भी सफाई दी जा रही है। कहा जा रहा है कि विजय माल्या ने भारत से भागने से पहले केंद्र की मोदी सरकार को बड़ा आफर दिया। यह आॅफर देने के लिये विजय माल्या खुल्लम खुल्ला संसद के अंदर एक प्रभावशाली केंद्रीय मंत्री से मिलने पहुंचता है। इतना ही नहीं माल्या की इस डील के पीछे की वजह क्या थी इसको लेकर भी सियासी घमासान मचा हुआ है। जानकारी के अनुसार केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली की तथाकथित मुलाकात की खबरों के बाद सियासत गरमा गई है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस मसे को लेकर पूरी तरह से सरकार की खिलाफत में उतर आया है। दोनों की मुलाकात को लेकर कांग्रेस अब सोशल मीडिया पर भी काफी आक्रामक दिख रही है। कांग्रेस समर्थक कई यूजर विलय माल्या द्वारा भाजपा को दिये चुनावी चंदे जिसमें 35 करोड़ रूपये के चेक की फोटो तक वायरल की जा रही है।
चुनावी मुद्दा बनाने में जुटी कांग्रेस,बायेपिक वायरल
लोकसभा के चुनाव नजदीक हैं लिहाजा सोशल मीडिया पर पर भी चुनावी खुमार छाने लगा है। सियासी दलों ने भी सोशल मीडिया फेसबुक, टवीटर, वैटसेप आदि पर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। कांग्रेस समर्थक यूजर आये दिन नये नये पोस्ट वायरल किये जा हे हैं। जिसमें विजय माल्या और जेटली की बायेपिक को मोडिफाई कर शार्ट फिल्म में दिखाया जा रहा है। इसमें कभी विजय और जेटली को हीरो और हिरोईन के रूप में बाॅलीवुड के रंगीन मिजाज गाने की धुन पर नचाया जा रहा है तो कभी पीएम मोदी के भागीदार और चैकीदार वाले बयान से जोड़कर उनकी जमकर खिल्ली भी उडायी जा रही है। वहीं अधिंकाशं यूजर अब नेताओं के साथ ही सरकार की योजनाओं और घोषणाओं को लेकर टिप्पणियां कर रहे है। कई यूजर जहां कांग्रेस और भाजपा सरकार की घोषणाओं और एक दूसरे की बयानबाजी का फ्लैशबैक दिखाकर वीडिया और तस्वीरें अपलोड कर रहे हैं तो कई यूजर महंगाई को लेकर दोनों दलों पर जनता को झूठे सपने दिखाने और जुमलेबाजी करने के आरोप भी लगा रहे है। कुलमिलाकर देखा जये तो आगामी चुनाव को लेकर सोशल मीडिया पर देश के करोड़ों लोगों की सक्रियता सियासी दलों को सत्ता तक पहुंचा भी सकती है और सत्ता से बाहर का रास्ता भी दिखा सकती है। मौजूदा हालात को देखें तो जिन जनमुद्दों को लेकर कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई थी और भाजपा ने बहुमत हासिल कर सरकार बनायी आज उन्ही मुद्दों को लेकर कांग्रेस सत्तासीन भाजपा पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस राफेल सौदे समेंत डिजल पेट्रोल व गैस की महंगाई के साथ ही देश के आर्थिक भगौड़ों के भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर जोरशोर से आवाज उठा रही है। सोशल मीडिया में जोरदार खुमार छाया हुआ है जो किसी के लिये फायदेमंद तो किसी के लिये नुकसानदेह साबित होगा। वैसे तो मुख्य रूप से कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला होता आया है लेकिन अब जबकि भाजपा भी जोरशोर से अपनी सरकार की योजनाओं का ही प्रचार करने जुट गई है। बहरहाल सोशल मीडिया का लाभ चुनाव में किसे मिलेगा यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा।
-एन.एस.बघरी (नरदा)