सड़कों पर बने सैकड़ों गड्ढे…भर दिये इंटें,मिट्टी और अध्धे

पहाड़ हो या शहर,सड़कों पर बारिश और भ्रष्टचार की मार,गढ़वाल मंडल और कुमांऊ मंडल बंद पड़े है कई मोटर मार्ग

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देहरादून। उत्तराखण्ड में भारी बारिश से सड़कों की हालात काफी खराब हो गई है। सड़कों पर वाहन चलाने के साथ ही पैदल चलने में भी लोगों के लिए काफी मुश्किल हो रहा है। भारी बारिश के साथ ही सड़कों के निर्माण के दौरान निर्माण कंपनियों की लापरवाही और भ्रष्टचार की वजह से सड़कों पर बन रहे बड़े-बड़े गड्ढे हादसों की तरफ इशारा कर रहे है। गौर हो कि राजधानी देहरादून की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गयी है। सड़कों पर बने गड्डों को मिट्टी और ईट की रोड़ी से भरा जा रहा है। लेकिन कुछ दिनों बाद गड्डे फिर दिखाई दे रहे है। इसके बावजूद सरकार और प्रशसन सिर्फ संबंध्ति विभागों को दिशा निर्देष ही जारी करने तक सीमित रहते है। बरसात रूकने के बाद इन सड़कों की हालत सुधारने के लिये ठोस कार्ययोजना नहीं बनायी जा रही है। जिस प्रकार इन लंबे औश्र चैड़े गड्ढे बालू, मिटटी या ईंटो से भरकर गडढे पाट दिये जा रहे है उससे तो हालात सुधरने वाले नहीं लगते। आखिर इसकी बजाय पक्का निर्माण अफसरों की देखरेख में कराया जाता तो शायद कुछ दिन सड़के टिक जायें। यहां रेलवे स्टेशन से प्रिंस चैक, प्रिंस चैक से आराघर चैक, धर्मपुर सब्जी मंडी मोड से नेहरूकालोनी चैकी, नेहरूकालोनी बाईपास चैक से रिंग रोड चैक, नेहरूग्राम से जोगीवाला रोड, मोहकमपुर से मियांवाला चैक, नेहरूकालोनी एलआईसी बिल्डिंग से धर्मपुर चैक, जीएमएस रोड से बल्लुपुर चैक सहित कई जगहों पर सड़कों पर बड़े-बड़े गड्डे हादसे के इंतजार में है। सड़कों की मरम्मत के लिए बजट के इंतजार में लोनिवि की ओर से इनमें मलवा और ईट की रोड़ी बिछाई जा रही है। लेकिन एक-दो बरसात में इनके बहने से स्थिति जस की तस बनी हुई है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सड़क मागरे के बंद होने से पैदल ही अपने गांवों तक की दूरी नापनी पड़ी रही है। बरसात में बंद मागरे को खोलने का काम चल रहा है। तो खस्ताहाल सड़कों की मरम्मत के लिए बजट का इंतजार हो रहा है। हाल यह है कि गढ़वाल मंडल में 58 ग्रामीण मोटर मार्ग अभी तक अवरूद्ध है, जबकि कुमांऊ मंडल में 16 ग्रामीण मोटर मार्ग अवरूद्ध हो रखे है। बरसात ने उत्तराखण्ड की सड़कों की स्थिति दयनीय कर दी है। देहरादून से लेकर पूरे गढ़वाल में सड़क मार्ग बारिश में हादसों का सबब बने हुए है। सड़कों पर जगह-जगह हो रखे गड्डे दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहे है। बारिश में सड़कों में हुए गड्डों में पानी जमा होने से वह दिखाई नहीं दे रहे, जिससे सड़क दुघर्टनाओं का अंदेशा बना हुआ है। इसके विपरित ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के गांव तक पहुंचने वाले मोटर मागरे की स्थिति ओर खराब है। ग्रामीण मोटर मागरे में मलबा, पत्थर आने और सड़कों के कटने से कई मार्ग अवरूद्ध पड़े हुए है। इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। लोगों को अपने गतंव्य तक पहुंचने के लिए पैदल दूरी नापनी पड़ रही है। उत्तराखण्ड में राज्य आपतकालीन केन्द्र की रिपोर्ट के मुताबिक 74 सड़क मार्ग अवरूद्ध है। इसमें गढ़वाल मंडल के सात जिलों में 58 मोटर मार्ग अवरूद्ध है, जिसमें दो टिहरी और हरिद्वार में एक-एक जिला मार्ग अवरूद्ध है। देहरादून जिले में 16 ग्रामीण सड़क मार्ग चकराता-कालसी क्षेत्र में अवरूद्ध है। इसके अलावा कुमांऊ मंडल में पिथौरागढ़ में 10 और बागेश्वर में 6 मोटर मार्ग अवरूद्ध है। जबकि अन्य जिलों में अवरूद्ध मोटर मार्ग चालू कर दिए गए है।

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