2019 तक खिसक सकता है निकाय चुनाव…!

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देहरादून। प्रदेश में निकाय चुनाव में अभी और देरी हो सकती है। सूत्र बताते हैं कि निकाय चुनाव अब लोकसभा चुनाव से आगे खिसक सकते हैं। यानि चुनाव अब 2019 में ही संभव हो जायेंगे। इसके लिए सरकार ने मंथन ने शुरू कर दिया है। राज्य के 92 नगर निकायों में से 84 के लिए पूर्व में सरकार ने तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया था। तब राज्य निर्वाचन आयोग व सरकार के मध्य चुनाव को लेकर करीब-करीब सहमति भी बन गई थी। सरकार के समक्ष उलझन तब आई, जब अदालत ने रुड़की नगर निगम को भी आरक्षण की प्रक्रिया में शामिल करने को कहा। इस पर सरकार माथापच्ची कर ही रही थी कि कोर्ट ने 39 नगर पालिका परिषदों से संबंधित अधिसूचना निरस्त कर दी। सरकार को तब फिर झटका लगा, जब प्रशासकों को निर्वाचित प्रतिनिधियों की देऽरेऽ में ही कार्य करने के निर्देश कोर्ट ने दिए। इन मामलों को लेकर सरकार रिव्यू में गई है। कुछ मामलों में उसे राहत भी मिल गई। इस बीच सरकार ने बाजपुर, श्रीनगर नगर पालिका से संबंधित मसले भी सुलझा लिए। साथ ही नगर निगम रुड़की के सीमा विस्तार को कवायद प्रारंभ की है। अब कोर्ट ने देहरादून नगर निगम के सीमा विस्तार की अधिसूचना निरस्त करने के भी आदेश दिए हैं। इससे सरकार की भी उलझन बढ़ी है। हालांकि, सरकार की ओर से पूरी तैयारियों का दावा करते हुए बरसात के बाद निकाय चुनाव कराने के संकेत दिए गए थे, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में ऐसा संभव नजर नहीं आ रहा। अगर रुड़की नगर निगम को भी चुनाव की प्रक्रिया में शामिल किया गया तो इससे पहले सीमा विस्तार, आपत्तियां- सुनवाई, आरक्षण, वार्डों का आरक्षण जैसे कार्यों में कम से कम तीन माह का वत्तफ़ लगना तय है। सूरतेहाल, बरसात बाद चुनावहोना असंभव है। यही नहीं, नगर निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल चार नवंबर को ऽत्म होना है। निकाय एक्ट के अनुसार प्रशासक छह माह तक ही बैठाए जा सकते हैं। सूत्रें के मुताबिक चुनाव आगे िऽसकने के मद्देनजर प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के संबंध में विधिक राय लेने पर मंथन चल रहा है। इस सबको देऽते हुए माना जा रहा कि लोकसभा चुनाव के बाद ही निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं। संभवतः यही वजह भी है कि पूर्व में सरकार ने निकाय चुनाव के लिए जिस प्रकार की तेजी दिऽाई थी, उसकी रफ्रतार अब मंद सी पड़ गई है।

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