आयुष और हर्बल उत्पाद 150 देशों में हो रहे निर्यातः एआई के आने से आयुष चिकित्सकों के भविष्य पर असर नहीं पड़ेगा
देहरादून(उद संवाददाता)। आयुर्वेद के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग एमएल से जुड़ने के बाद जड़ी-बूटियों से इलाज का संसार बदल जाएगा। विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में आए विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि एआई के आने से आयुष चिकित्सकों के भविष्य पर असर नहीं पड़ेगा। सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है। देहरादून में आयोजित विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में ‘डिजिटल हेल्थ और आयुर्वेदरू एक समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण’ विषय पर विशेष सत्र हुआ। इसमें आयुष मंत्रालय से सचिव आयुष वैद्य राजेश कोटेचा ने भविष्य के आयुर्वेद पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आयुष के क्षेत्र में डिजिटल ढांचे को विकसित करने पर काम कर रही है। इसमें सभी हितधारकों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा, आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति की प्रकृति अलग होती है। एआई और मशीन लर्निंग व्यक्ति की स्वास्थ्य प्रोफाइल का विश्लेषण कर उसके लिए अनुकूल उपचार और आहार बताते हैं। आईआईटी जोधपुर और आयुष मंत्रालय एआई पर मिलकर काम कर रहे हैं। आईआईटी जोधपुर के बाला पेसाला ने कहा कि एआई बीमारी से निदान और उससे जुड़े सभी पहलुओं को गहराई से पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। पेसाला ने आयुए एआई की ओर से विकसित नए एप के बारे में जानकारी दी। सत्र में डॉ. प्रीति छाबड़ा, डॉ. राकेश नारायण भी मौजूद रहे। हर्बल उत्पादों की डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से आयुष उत्पादों को वैश्विक बाजार पर लाया जा सकेगा। ई-संजीवनी जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म से आयुष विशेषज्ञ दूरस्थ क्षेत्रों तक इलाज कर सकेंगे। फिटनेस ट्रैकर्स जैसे एप को आयुर्वेदिक सिद्धांतों से जोड़ने के बाद व्यक्ति की दिनचर्या, आहार, योगासन के बारे में मार्गदर्शन किया जा सकता है। कोटेचा ने वाई-ब्रेक पहल पर भी चर्चा की, जो कर्मचारियों को काम से थोड़े समय के ब्रेक के दौरान कुछ योग मुद्राओं, सांस लेने की तकनीकों और ध्यान के साथ तनाव कम करने में मदद करने के लिए डिजाइन की गई है। उन्होंने कहा कि इस पहल ने पहले ही दस लाख से अधिक कर्मचारियों को आकर्षित किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं इस आयोजन के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करता हूं। ये हमारे लिए गर्व का विषय है कि हमारे प्रदेश में आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम में 50 से अधिक देशों के प्रतिनिधि और 6000 से अधिक विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। एक्सपो में लगाए गए 250 से अधिक स्टॉल आयुर्वेद की वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता का प्रमाण दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड प्राचीन काल से ही आयुर्वेद और औषधीय संपदा की प्रज्ञा भूमि रही है। हमारे प्रदेश में पाए जाने वाली औषधीय जड़ी-बूटियों ने आयुर्वेद को आरोग्य के आधारभूत तत्व के रूप में स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित ‘राष्ट्रीय आयुष मिशन’ और ‘प्रकृति परीक्षण अभियान’ जैसे विभिन्न कार्यक्रम आज शहरों से लेकर गांवों तक आरोग्य स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कार्यक्रम में केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार प्रताप राव जाधव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दस साल के दौरान आयुष के क्षेत्र में हुई पहलों से आयुष उत्पाद निर्माण में आठ गुना बढ़ोत्तरी हुई है। अब आयुष और हर्बल उत्पाद विश्व के 150 से अधिक देशों में निर्यात हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद भी अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग उपकरणों के जैसी तकनीकी को अपना कर आगे बढ़ रहा है। प्रताप राव जाधव ने कहा कि भारत में लोग सामान्य तौर पर आयुर्वेद से उपचार पसंद करते हैं, लेकिन गांव देहात में तक डॉक्टर एलोपैथिक दवाओं का ज्यादा परामर्श देते हैं। ऐसा शायद इसलिए होता है क्योंकि आयुर्वेद की एक तो दवा कम है, फिर सारे रोगों की सारी दवाएं एक ही जगह पर मिलनी तकरीबन मुश्किल होती हैं। इसलिए केंद्र सरकार सभी जिला, तहसील और गांव स्तर पर एक ही छत के नीचे आयुर्वेद की सभी दवाएं उपलब्ध कराने के लिए आयुष औषधि केंद्रों की स्थापना करने का प्रयास कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चार दिनों तक चलने वाले इस आयोजन के दौरान आसपास के हजारों लोग यहां स्टॉल का भ्रमण करेंगे। यह आयोजन व्यावसायिक अवसरों के लिए भी मंच प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए ही केंद्र सरकार ने देशभर में 29 अक्तूबर से प्रकृति परीक्षण अभियान शुरू किया है, जिसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि विश्व आयुर्वेद सम्मेलन के आयोजन से आयुष पद्यति को वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने में मदद तो मितती ही है, साथ ही आयोजन वाले क्षेत्र के आसपास इस सेक्टर की ग्रोथ भी बढ़ती है। उन्होंने इस आयोजन के लिए उत्तराखण्ड को आदर्श राज्य बताते हुए कहा कि आयुर्वेद की पुस्तकों में वर्णित कई जड़ी बूटियां हिमालय में मिलती हैं। सम्मेलन में मुख्य सचिव मती राधा रतूड़ी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर भेजे गए संदेश को पढ़ा। उद्घाटन सत्र को राष्ट्रीय आयोजन सचिव, विज्ञान भारती डॉ. शिव कुमार शर्मा, दसवें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के चेयरपर्सन वैद्य पीएम वॉरियर, उत्तराखण्ड शासन में सचिव आयुष रविनाथ रामन ने भी संबोधित किया। इस मौके पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, प्रेमचंद अग्रवाल, डॉ.धन सिंह रावत, विधायक खजान दास, मती सविता कपूर, उमेश शर्मा काऊ,किशोर उपाध्याय, झांसी के सांसद अनुराग शर्मा, आचार्य बालकृष्ण प्रमुख तौर पर शामिल हुए।