‘पंद्रह साल’ से नहीं चुकाया गया सीएम के बंगले का ‘हाउस टैक्स’: मुख्यमंत्री आवास पर 85 लाख , तो राजभवन पर दस लाख का हाउस टैक्स बकाया

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माननीय के भवनों के बकाया हाउस टैक्स के चलते गहरे आर्थिक संकट में गढ़ी कैंट छावनी  बोर्ड
देहरादून। बड़े सरकारी भवनों द्वारा समय रहते हाउस टैक्स ना चुकाए जाने के कारण गढ़ी कैंट छावनी बोर्ड आजकल गहरे आर्थिक संकट में है। हालात कभी-कभी कुछ इस तरह बन पड़ते हैं कि बोर्ड को अपने कर्मचारी का वेतन और पेंशनरों की पेंशन देने में भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। खबर है कि छह माह पूर्व बोर्ड के स्टाफ की 3 महीने की सैलरी भी रुक गई थी और केंद्र से सहायता प्राप्त होने के बाद ही बोर्ड के स्टाफ का वेतन दिया जा सका। ज्ञात हो कि बजट की कमी से जूझ रहा गढ़ी कैंट बोर्ड सरकार के कई विभागों से अच्छा खासा तंग है ,क्योंकि बोर्ड को कई सरकारी भवनों से बकाया कर नहीं मिल रहा है। कर जमा नहीं करने वालों में सीएम आवास से लेकर राजभवन और बीजापुर गेस्ट हाउस जैसे बड़े सरकारी संस्थान शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि गढ़ी कैंट बोर्ड के अंतर्गत पांच बड़े सरकारी भवन आते हैं। इनमें सीएम आवास, राजभवन, बीजापुर गेस्ट हाउस, एफआरआई और प्रेमनगर का सरकारी हॉस्पिटल शामिल है। इसमें से कुछ भवनों जैसे राजभवन ने तो पिछले दिनों अपना कर जमा कर दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री आवास का साल 2009 से आज तक कोई टैक्स जमा ही नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री आवास पर कुल मिलाकर करीब 85 लाख से ज्यादा का कर बकाया है। इसके अलावा राजभवन पर भी साल 2022 से अब तक का करीब 23 लाख रुपए का हाउस टैक्स बकाया था। इसमें से तकरीबन 13 लाख रुपए तो जमा किए जा चुके हैं, लेकिन अभी भी करीब 10 लाख रुपए हाउस टैक्स राजभवन पर बकाया है। वहीं ,बीजापुर गेस्ट हाउस पर साल 2022 से अब तक 20 लाख रुपए से ज्यादा का कर बकाया है। साथ ही राजधानी का प्रेमनगर स्थित संयुक्त अस्पताल, जो कि स्वास्थ्य विभाग के अधीन है, पर साल 2022 से अब तक 58 लाख रुपए का कर बकाया है। कई बार छावनी परिषद की ओर से सीएमओ देहरादून को इस संबध में पत्र लिखे जाने के बावजूद आज तक बकाया कर जमा नहीं कराया गया । हाउस टैक्स जमा करने में  सबसे बुरी हालत एफआरआई की है। एफआरआई पर करीब साढ़े पांच करोड़ का हाउस टैक्स बकाया है। कैंट बोर्ड द्वारा बार-बार पत्राचार किए जाने पर एफ आरआई ने बकाया कर को तीन हिस्सों में विभाजित कर दिया है। इस विभाजन के अनुसार बकाया हाउस टैक्स का आधा हिस्सा एफआरआई को देना है, जबकि बाकी आधे में सेंटर एकेडमी स्टेट फॉरेस्ट और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी की देनदारी है। बोर्ड ने फिलहाल 2.63 करोड़ के कर वसूली के लिए एफआरआई और बाकी के ढाई करोड़ का बिल अन्य दोनों संस्थानों को भेज रखा है । जहां तक बोर्ड के सालाना आय व्यय का सवाल है? तो गढ़ी कैंट छावनी बोर्ड में कुल आठ वार्ड है और बोर्ड का सालाना खर्चा करीब 48 करोड़ रुपए है। केंद्र से बोर्ड में करीब 25 करोड़ आते है। बाकी खर्चा बोर्ड कर के रूप इकट्टòा करता है। साथ ही गढ़ी कैंट छावनी बोर्ड का हाउस टैक्स भी नगर निगम के हाउस टैक्स से 10 प्रतिशत अधिक है। गढ़ी कैंट बोर्ड के सीईओ हरेंद्र सिंह के अनुसार गढ़ी कैंट छावनी बोर्ड का करोड़ों रुपए सरकारी कार्यालयों पर कर बकाया है। बोर्ड समय-समय पर संबंधित विभागों के साथ पत्राचार करता रहता है, लेकिन संबंधित विभागों द्वारा अब तक कर का भुगतान नहीं किया गया है।बड़े भवनों पर करोड़ों रुपए का कर बकाया होने के कारण बोर्ड को स्टाफ और पेंशनर्स को वेतन भत्ता तक देने में दिक्कत हो रही है। साथ ही बोर्ड का भी विकास नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं 6 महीने पहले स्टाफ की तीन महीने की सैलरी भी रुक गई थी, जिसके बाद केंद्र से अनुरोध करने पर रकम आई थी।सीईओ ने आगे बताया कि बोर्ड के स्टाफ से लेकर विकास कार्य का खर्चा अधिकतर कर से होता है, लेकिन समय से कर जमा नहीं होने पर बोर्ड को बजट की कमी से जूझना पड़ता है। अगर सभी भवनों से बकाया कर आ जाता है, तो बोर्ड की स्थिति काफी हद तक सही हो पाएगी और विकास कार्य हो सकेंगे।

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