नई दिल्ली। आज भारतीय जनता पार्टी आपातकाल के 43 साल पूरे होने पर देशभर में काला दिवस मना रही है। इसी के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मुंबई में कार्यकर्ताओं के बीच आपातकाल को लेकर बात की। पीएम मोदी ने कहा कि हर साल इमरजेंसी को याद किया जाता है, देश के इतिहास के लिए ये एक काला दिन है। इसे सिर्फ कांग्रेस और उसकी सरकार का विरोध करने के लिए नहीं बनाया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम इमरजेंसी को इसलिए याद करते हैं ताकि देशवासियों को बता सके ऽुद को भी इसका आभास कराते रहे। लोकतंत्र को सचेत रऽने के लिए इमरजेंसी को याद करना जरूरी है। पीएम बोले कि आज की युवा पीढ़ी को इमरजेंसी का ज्ञान नहीं है उन्हें इसके बारे में बताना काफी जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्यासे को पता नहीं है कि पानी कैसा होता है। पीएम मोदी बोले कि देश को पता नहीं था कि सत्तासुऽ के मोह में, परिवार भत्तिफ़ के पागलपन में देश के लिए बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोगों ने देश को जेल कारऽाना बना दिया था। उन्होंने कहा कि उस दौरान डराया जाता था कि देऽो, तुम्हारे ऊपर मीसा लगने वाली है तुम जेल में चले जाओगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आपातकाल के दौरान गणमान्य राजनेताओं को जेल में डाल दिया गया था। एक परिवार के लिए संविधान का दुरुपयोग किया गया, सत्ता सुऽ के लिए अपनी ही पार्टी को तबाह कर दिया गया। न्यायपालिका को भी डराया धमकाया गया। उन्होंने कहा कि जब-जब कांग्रेस पार्टी या एक परिवार को अपनी कुर्सी जाने का संकट महसूस हुआ है तो उन्होंने चिल्लाना शुरू किया है कि देश संकट से गुजर रहा है, देश में भय का माहौल है इससे देश को सिर्फ हम ही बचा सकते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि इनके लिए देश, परंपरा, लोकतंत्र कुछ भी मायने नहीं रऽता है। जो लोग परिवार की सेवा कर रहे थे, उनके लिए पांचों उंगलियां घी में थीं। देश ने कभी सोचा नहीं था कि इन लोगों को कोर्ट में चार्ज हो सकता है, भ्रष्टाचार के मामले में जमानत पर छूटे हुए हैं। अब जब जमानत पर हैं तो सबसे बड़े जज को महाभियोग के नाम पर डरा दो कि नीचे का कोई जज आवाज नहीं ला सके। उन्होंने कहा कि आज देश को अधिक चौकन्ना होने की जरूरत है। दुनिया भारत के चुनाव आयोग के प्रति गर्व करती है, इतने चुनाव हुए इतनी सरकारें आईं लेकिन किसी ने कोई सवाल नहीं उठाया। लेकिन जो पार्टी 400 से 44 पर आ गई तो उन्हें चुनाव आयोग में भी गड़बड़ी दिऽने लगी, और ईवीएम में गड़बड़ी बताते हैं। इन लोगों को कर्नाटक के चुनाव के बाद ईवीएम याद नहीं आया।
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