केदारनाथ विस सीट पर ‘गेमचेंजर’ होगा ‘शैलारानी’ का वोट बैंक! नतीजों के इंतजार में भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के साथ समर्थकों की धड़कने तेज
केदारनाथ उपचुनाव में इस बार 58.89 प्रतिशत 53 हजार 513 मतदाता ने मताधिकार का प्रयोग किया
देहरादून/रूद्रप्रयाग (उद ब्यूरो। केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में अब प्रदेशवासियों को नतीजों का इंतजार है। जबकि कल 23 नवम्बर को होने वाली मतगणना से पूर्व पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार हुई कम वोटिंग के नतीजों को लेकर सत्तासीन भाजपा के साथ विपक्षी दल कांग्रेस के उम्मीदवारों के साथ समर्थकों की धड़कने तेज हो गई है। उत्तराखंड में 7 केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया है। जिसके बाद सभी 173 पोलिंग बूथों से पोलिंग पार्टियां वापस आ गई हैं। केदारनाथ उपचुनाव में इस बार 58.89 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। 20 नवंबर को हुए मतदान में कुल 53 हजार 513 मतदाताओं द्वारा अपने मताधिकार का प्रयोग किया गया। भाजपा और कांग्रेस ने उपचुनाव में ऐड़ी और चोटी का पूरा जोर लगाया और अब अपनी अपनी जीत का दावा भी कर रहे है। इस उपचुनाव के सियासी खेल में दोनों दलों के लिए दिवंगत पूर्व विधायक शैलारानी रावत के वोटबैक अहम साबित हो सकते है। इस सीटपर पूर्व विधायक आशा नौटियाल और मनोज रावत का अपना वोटबैंक है। भाजपा ने जहां इस बार सहानुभूति कार्ड खेलने की रणनीती में बदलाव कर पूर्व विधायक आशा नौटियाल पर सियासी दांव खेल दिया था। वहीं चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा उम्मीदवार आशा नौटियाल ने दिवंगत पूर्व विधायक शैलारानी रावत की बेटी ऐश्वर्या के घर जाकर उनके साथ लंच कर सियासी रूख तय कर दिया था। जिसके बाद ऐशवर्या रावत ने सीएम पुष्कर सिंह धामी व भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल के समर्थन में कई जनसभाओं मेे पहुंची। हांलाकि टिकट नहीं मिलने के बाद विपक्ष ने वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए भाजपा पर निशाना साधा। वहीं दूसरी तरफ कांग्रस से अपने राजनीतिक शिष्य के चुनाव प्रचार में उतरे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी पार्टी नेताओं की टोली लेकर ऐश्वर्य के घर पहुंचकर चुनाव की दशा और दिशा बदलने का दांव भी चला। जिसके बाद भाजपा में हलचल भी पैदा हुई और उन्हें एकजुट रखने के लिए बड़े नेता सक्रिय हुए। दोनों दलों का मकसद कांग्रेस और भाजपा में रहीं शैलारानी के उस वोट बैंक को साधाने की रही है,जो दलीय विचार से इतर उनके व्यक्तिगत संबंधाों के कारण उनके पीछे चला है। जबकि दानों दलों के उम्मीदवारों का राजनीतिक कैरियर भी मतदाताओं को प्रभावित करता है। आशा नौटियाल ने दो बार विधायक का चुनाव जीतकर अपना परचम लहराया है तो वहीं मनोज रावत भी चुनावी रण में कई बार उतरने के बाद एक बार विधायक का चुनाव जीत चुके है। केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में पूर्व विधायक दिवंगत शैलारानी रावत की बेटी ऐश्वर्य की टिकट की मुराद पूरी न होने के बाद ऐश्वर्य की चुप्पी ने भाजपा और कांग्रेस के वोटबैंक को प्रभावित किया है। वह भाजपा और कांग्रेस की उम्मीदों की धुरी बन गई हैं। हांलाकि भाजपा अपने कुशल सियासी मैनेजमैंट से टिकट के लिए नेताओं में मची मारामारी को कंट्रोल करने में सफल रही और कार्यकर्ताओं को एकजुट रखा। जिससे टिकट को लेकर पार्टी में कोई बगावत भी देखने को नहीं मिली। विपक्षी दल कांग्रेस के नेता भी उपचुनाव के प्रचार युद्ध में भाजपा पर पूरी एकजुटता से सततारूड़ भाजपा पर वार पलटवार करती नजर आई। बदरीनाथ व मंगलौर उपचुनाव में जीत का उत्साह केदारनाथ के प्रचार को प्रचंड बनाने में उसके खूब काम आया और अब उसे मनचाहे नतीजे का इंतजार है। उपचुनाव में केदारनाथ विस सीट से जुड़े कई मुद्दों को भी खूब भुनाया गया है। जबकि दिल्ली के बुराड़ी में नया केदारनाथ मंदिर बनाये जाने के के प्रयास करने के खिलाफ विपक्ष हमलावर रहा है। एक ओर स्टार प्रचारक सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जहां केदारघाटी में खूब धुंआधार प्रचार किया और डबल इंजन सरकार की ताकत का एहसास भी कराया। वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत भी दिन रात गांव गांव घूमकर कांग्रेस के समर्थन में वोट मांगते रहे। हरीश रावत भाजपा से मुकबले के लिए अपने कार्यकाल के दौरान केदारघाटी की भीषण आपदा के बाद यात्रा सुचारू करवाने व विकास के मुद्दे पर हावी रहे। बहरहाल अब जीत और हार के अंतर को लेकर भी गुणा भाग शुरू हो गया है। उपचुनाव के नतीजों का इंतजार कल खत्म हो जायेगा और केदारनाथ घाटी की जनता को नया विधायक भी मिल जायेगा।