मार्चूला बस हादसे में हुई लापरवाही पर उठे गंभीर सवालः खचाखच भरी 42 सीटर बस में भरते रहे सवारी, 63 यात्री हुए ओवरलोडिंग का शिकार
दुर्घटना से देर भली : आखिर लोग कब सबक लेगे यह सवाल भी हर सख्स के जेहन में उठ रहा
रामनगर(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड के मार्चूला में हुई भीषण बस दुर्घटना प्रदेशवासियों को गहरा जख्म दे गई है। दुर्घटना से देर भली की यह कहावत एक बार फिर चरितार्थ हो गई ,लेकिन लोग आखिर कब सबक लेगे यह सवाल भी हर सख्स के जेहन में उठ रहा है। सोमवार को अल्मोड़ा बस हादसे में 36 जिंदगियां खत्म हो गई। हादसे में लोगों और सरकारी सिस्टम की घोर लापरवाही भी सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि बस की कमानी टूटने से हादसा हुआ। गढ़वाल मोटर यूजर्स कॉपरेटिव सोसायटी ;यूजर्सद्ध की 42 सीटर बस में करीब 63 यात्री सवार थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंडलायुक्त दीपक रावत को मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं और तत्काल प्रभाव से पौड़ी और रामनगर के दो एआरटीओ को निलंबित कर दिया है। जिन्हें निलंबित किया गया है उनमें प्रभारी संभागीय परिवहन अधिकारी ;एआरटीओद्ध पौड़ी गढ़वाल कुलवंत सिंह और रामनगर की परिवहन अधिकारी एवं प्रभारी एआरटीओ नेहा झा हैं। बताया जा रहा है कि हादसे का शिकार हुई ओवरलोडिंग बस में जान गंवाने वाले अधिकतर वे लोग थे जो दिवाली का त्योहार मनाने अपने गांव आए थे। छुट्टðी खत्म होने पर जल्दी घर पहुंचने की जल्दबाजी में पहले से भरी बस में लोग सवार हो गए। किसी को भी आभास नहीं था कि मंजिल पर पहुंचने से पहले ही एक हादसा इस सबकी जान ले लेगा। अल्मोड़ा जिले के सल्ट विकासखंड के मरचूला में यात्रियों से खचाखच भरी एक बस अनियंत्रित होकर करीब 150 फुट गहरी खाई में गिर गई। हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई है। रामनगर अस्पताल में 34 घायल लाए गए थे। इनमें से आठ की यहां मौत हो गई। छह घायलों को एयरलिफ्रट कर ऋषिकेश भेजा गया, जबकि 11 को अन्यत्र रेफर कर दिया गया है। नौ लोग रामनगर अस्पताल में उपचाराधीन हैं। बताया जा रहा है कि बस की कमानी टूटने से हादसा हुआ। गढ़वाल मोटर यूजर्स कॉपरेटिव सोसायटी ;यूजर्सद्ध की 42 सीटर बस में करीब 63 यात्री सवार थे। वहीं, घटनास्थल से आधा किलोमीटर पहले ही चालक को आगे कुछ अनहोनी का आभास हो गया था। चालक ने यात्रियों से कहा था किसी को उतरना है तो उतर जाए क्योंकि आगे सड़क खराब है। बस से कोई यात्री नहीं उतरा। यदि यात्रियों ने चालक की मान ली होती तो कइयों की जान बच जाती। मरचूला-गौलीखाल-मोटर मार्ग पर मरचूला के पास सोमवार सुबह हुए बस हादसे को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। घटना में बचे कई यात्री घटनास्थल पर पहुंचे प्रशासन के अधिकारियों को यह बताते भी नजर आए कि जिस स्थान पर हादसा हुआ है उससे करीब आधा किलोमीटर पहले सड़क में फंसकर बस डोलने लगी थीं तो चालक ने बस रोककर कहा था कि किसी को उतरना है तो वह उतर सकता है, लेकिन कोई सवारी नहीं उतरी। इसके बाद चालक बस लेकर चल दिया और यह हादसा हो गया। यात्रियों का कहना है कि यदि उन्होंने चालक की बात को गंभीरता से लिया होता और उतर जाते तो कई लोगों की जान बच सकती थीं। घटना में बचे यात्रियों ने बताया कि बस के खाई में गिरते ही उन्हें संभलने का मौका नहीं मिला। यात्री एक दूसरे के ऊपर गिरने लगे। पत्थर से सिर टकराने से भी कई यात्री बेहोश हो गए। जब तक लोग मौके पर पहुंचे उन्होंने दम तोड़ दिया।वहीं मार्चूला सड़क हादसे को लेकर सोशल मीडिया पर भी हादसे के कई लाईव वीडियो प्रसारित हो रहे है। लोग जहा सड़क हादसे को लेकर बस चालक की लापरवाही बता रहे है वहीं लोगों की जान जोखिम में डाल बसों का संचालन करने को लेकर सवाल उठाये जा रहे है। वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बस चालक दिनेश सिंह निवासी भैरंगखाल, सल्ट मानसिक रूप से परेशान था। बस में उसे बार- बार रुपयों के लिए फोन आ रहा था। वहीं दूसरी तरफ लोगों का मानना है कि दीवाली की छुटी के बाद लोग लौट रहे है जिससे बसों में यात्रियों को दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार को अतिरिक्त बसों का इंतजाम करना चाहिये था। एक अन्य वीडियो में घायल युवक का कहना है कि वह बस में सवार था और बस खाई में पलट गई। हादसे में वह बस से बाहर छिटक गया था। घायल युवक का कहना है कि बस में 60 से अधिक सवारी थी जबकि बस चालक सवारियां भरते रहा। जिलाधिकारी अल्मोड़ा आलोक कुमार पांडे के अनुसार मरचूला के समीप हुए हादसे को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं। पूरे मामले की जांच के आदेश पहले ही सरकार की ओर से दिए जा चुके हैं। जांच के आधार पर करवाई की जाएगी।