विरासत महोत्सव में जौनसारी लोक गीत ,शिंजिनी कुलकर्णी के कत्थक व ओमकार के शास्त्रीय संगीत ने किया मंत्रमुग्ध
देहरादून(उद संवाददाता)। विरासत महोत्सव 2024 में सातवें दिन की विरासत की शुरुआत सर्वप्रथम सुबह स्कूली छात्राओं की शानदार सांस्कृतिक डांस एवं नृत्य के साथ प्रारंभ हुई।छात्राओं की सांस्कृतिक साधना में दी गई आकर्षक एवं शानदार मनमोहक प्रस्तुति ने श्रोताओं का हृदय जीत लिया। विरासत महोत्सव में क्लासिकल म्यूजिक और डांस के साथ ही नृत्य को देखकर जो कला प्रदर्शन सामने आया वह वास्तव में बहुत ही शानदार रहा ।संत कबीर एकेडमी की छात्रा अनन्या डोभाल ने अपने नृत्य की प्रस्तुति मोरी गगरिया काहे को फोरी रे श्याम….के साथ प्रारंभ की। छात्रा की इस बेहतरीन प्रस्तुति ने सभी का दिल जीता ।इसके अलावा क्लासिकल म्यूजिक और नृत्य की इस आगे बढ़ती हुई श्रृंखला में पावनी जुयाल द्वारा बरसन लागी बदरिया…आकर्षक एवं मनमोहक प्रस्तुति के साथ प्रस्तुत किया गया।विरासत साधना के दूसरे चरण की कड़ी वाले कार्यक्रम के अंतर्गत बीएस नेगी एमपीपीएस ने सुश्री कमर डागर द्वारा सुलेख पर प्रेरक वार्ता की मनमोहक मेजबानी की। बीएस नेगी एमपीपीएस ने सुलेख पर एक आकर्षक वार्ता की मेजबानी करते हुए विरासत में आज अपनी शानदार एंट्री की और इसका नेतृत्व प्रसिद्ध कलाकार सुश्री कमर डागर ने किया। कार्यक्रम में एमपीपीएस की प्रिंसिपल श्रीमती नमिता ममगई और विरासत की ओर से सुश्री विजयश्री और हरीश अवल जैसी प्रतिष्ठित हस्तियाँ शामिल रहीं। सुश्री डागर प्रसिद्ध चित्रात्मक सुलेखक ने हिंदी और उर्दू लिपियों को मिलाकर एक विशिष्ट दृश्य भाषा बनाने के अपने अनूठे दृष्टिकोण को साझा किया। इन दो लिपियों के बीच कलात्मक तालमेल पर जोर देते हुए हिंदी को बाएं से दाएं और उर्दू को दाएं से बाएं प्रदर्शित किया। सातवें दिन की सांस्कृतिक संध्या का विधिवत शुभारंभ विकास नगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक मुन्ना सिंह चौहान व ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया के अध्यक्ष व विरासत के संरक्षक राजा रणधीर सिंह ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया।संध्या काल की कड़ी में हृदय और मन को मोह लेने वाला जौनसारी लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया ।जौनसारी संस्था गांव का रिवाज, के नायक गंभीर भारती ने अपनी सांस्कृतिक टीम के साथ आकर्षक लोक संगीत और नृत्य प्रस्तुत किया। महासू वंदना के साथ ‘गांव का रिवाज’ जौनसारी संस्था की ओर से दी गई शानदार प्रस्तुति बहुत ही आकर्षण का केंद्र बनी रही। जौनसार बाबर सांस्कृतिक गांव का रिवाज संस्था, कालसी द्वारा प्रस्तुत जौनसार भावर का लोक नृत्य प्रदर्शन, क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक आकर्षक प्रदर्शन है। इस 20 सदस्यीय समूह का नेतृत्व गंभीर भारती ने किया भारती मुख्य गायक भी हैं। उनके साथ वाद्य यंत्रों पर रजत वर्मा दयाल कीबोर्ड पर, वेदांश ऑक्टोपैड पर, श्याम पुंडीर ढोलक पर और कपिल ने ढोल पर संगत की। संध्या में दीप प्रज्वलन होने के बाद महान कथक उस्ताद पंडित बिरजू महाराज की पोती शिंजिनी कुलकर्णी ने मनमोहक कथक प्रस्तुति के साथ मंच की शोभा बढ़ाई। उन्होंने अपने गायन की शुरुआत श्चार तालश् में शिव आराधना के साथ की। तत्पश्चात उनके आदरणीय दादा पंडित बिरजू महाराज द्वारा कथक की जटिल लय और सुंदरता को प्रदर्शित करते हुए तराना गाया गया। उनकी प्रस्तुति का समापन राग दरबारी में एक भावपूर्ण अभिनय के साथ हुआ। उनके साथ तबले पर शुभ महाराज, सितार पर विशाल मिश्रा, लयबद्ध पाठ ;पद्धंत प्रदान करने वाली अश्विनी सोनी और गायन पर जकी खान रहे। विरासत में आखिरी संध्या में मराठी नाटय संगीतकार खास कलाकार साबित हुए ।उनके द्वारा दी गई प्रस्तुति विरासत के सभी मेहमानों के दिलों को घर कर गई। दिलों को छू लेने वाले ओंकार दादरकर जी ने अपने हिंदुस्तानी गायन प्रदर्शन की शुरुआत राह यमन माई बड़ा खयाल से की, जिसने दर्शकों को अपने कौशल से प्रभावित किया। उन्होंने एरी लाल मील का आकर्षक गायन भी किया । यही नहीं, धृत बदीश माई ननंद क्र बचन वा साहे ना जात भी मनमोहक एवं आकर्षित करने वाला रहा । हारमोनियम पर धर्मनाथ मिश्रा, तबले पर मिथलेश झा और तानपुरा पर मोइन ख्वाजा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी संगत दी।