उत्तराखंड में नौ नवंबर 2024 को यूसीसी लागू कर सकती है धामी सरकार,पोर्टल और मोबाईल एप भी तैयार

0

यूसीसी एक्ट में 26 मार्च 2010 के बाद विवाह का पंजीकरण अनिवार्यः संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार
देहरादून। समान नागरिक संहिता, उत्तराखण्ड 2024 अधिनियम की नियमावली में मुख्य रूप से चार भाग हैं। जिसमें विवाह एवं विवाह-विच्छेद लिव-इन रिलेशनशिप, जन्म एवं मृत्य पंजीकरण तथा उत्तराधिकार संबंधी नियमों के पंजीकरण संबंधी प्रक्रियाएं हैं। जन सामान्य की सुलभता को देखते हुए यूसीसी के लिए एक पोर्टल और मोबाइल एप भी तैयार की गई है, इसमें पंजीकरण और अपील आदि की समस्त सुविधाएं जन सामान्य को ऑनलाईन माध्यम से सुलभ हो सके। यूसीसी लागू होने के बाद सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून। 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा। पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना। पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे। विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी। महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं। हलाला और इद्दत जैसी प्रथा खत्म होगी। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी। कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा। एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा। पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी। संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे। जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा। नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा। गोद लिए, सरगोसी से असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे। किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे। कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है। लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा। युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे। लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे। समिति द्वारा समान नागरिक संहिता, उत्तराखण्ड 2024 अधिनियम की नियमावली का ड्राफ्ट सौंपे जाने के बाद मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 2022 में प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद हमने मंत्री मण्डल की पहली बैठक में निर्णय लिया कि प्रदेश में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेंगे।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जन सामान्य की सुलभता के दृष्टिगत इस समान नागरिक संहिता के लिए एक पोर्टल तथा मोबाइल एप भी तैयार किया गया है, जिससे कि पंजीकरण, अपील आदि की समस्त सुविधाएं जन सामान्य को ऑनलाइन माध्यम से सुलभ हो सके। उन्होंने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विधेयक बना है। जल्द इस अधिनियम को धरातल पर उतारा जायेगा। आजादी के बाद उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य बन जायेगा जिसे समान नागरिक संहिता लागू करने का गौरव प्राप्त होगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.