‘हवा में उड़ाया’ सीएम धामी का आदेशः खत्म हुई सड़कों पर गड्ढा भरान की डेडलाइन,क्षतिग्रस्त हुई सड़कों के गड्ढे जस के तस!

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रुद्रपुर(उद ब्यूरो)। प्रशासन के जानकारों ने शायद ठीक ही कहा है कि नौकरशाही उस बेलगाम घोड़े की तरह होती है,जो आसानी से किसी के काबू में नहीं आता। ऐन यही हाल इस समय उत्तराखंड की नौकरशाही का भी है। उत्तराखंड की जनता की चुनी हुई सरकार नौकरशाही को अपनी मर्जी से चलाने एवं उस पर लगाम लगाने की चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, पर नौकरशाही चलती अपने परंपरागत तौर तरीके से ही है।प्रशासनिक अधिकारियों का काम करने का अपना ही अंदाज होता है और वे सरकार द्वारा निर्धारित किसी समय सीमा में बंध कर सामान्यतया कम ही काम कर पाते हैं। यह बात उधम सिंह नगर जनपद के निजाम, जिसे मुख्यमंत्री के निर्देश और चेतावनी की कतई परवाह नहीं है,ने पूरी तरह सच साबित कर दी है। ज्ञात हो के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बरसात से क्षतिग्रस्त हुई सड़कों को सुधारने एवं सड़कों में बने गड्ढों को भरने का काम 15 अक्टूबर तक आवश्यक रूप से पूरा कर लेने के निर्देश दिए थे तथा निर्धारित समय अवधि तक उपरोक्त कार्य पूरा न होने की स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध सीआर में प्रतिकूल प्रविष्टि की कार्यवाही की चेतावनी भी दी थी, लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा निर्धारित डेडलाइन समाप्त होने के बाद भी उधम सिंह नगर जनपद के मुख्यालय रुद्रपुर की सड़कों के गड्ढों की स्थिति जस की तस हैं। जाहिर है कि जब नौकरशाही के निजाम ने मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुपालन में जिला मुख्यालय में सड़क के गîक्के तय समय सीमा के अंतर्गत दुरुस्त करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई, तो स्वाभाविक है कि जनपद मुख्यालय से दूर दराज के क्षेत्र की सड़कों की अच्छी खासी उपेक्षा हुई होगी । बात जिला मुख्यालय रुद्रपुर की करें, तो यातायात की दृष्टि से शहर के व्यस्ततम इलाके डीडी चौक में गांधी पार्क के उत्तरी द्वार के सामने सड़क पर बने गड्ढे आहिस्ता-आहिस्ता गहरे एवं जानलेवा होते जा रहे हैं, लेकिन जनपद के निजाम की नजर अभी तक इन गड्ढों पर नहीं पड़ी है । यू जान पड़ता है जैसे जनपद के निजाम को किसी अनहोनी का इंतजार है, क्योंकि आम तौर पर प्रशासनिक अधिकारियों की नींद किसी अनहोनी के बाद ही टूटती है। हैरानी की बात तो यह है कि अभी चंद दिनों पहले ही गांधी पार्क में आयोजित दशहरा उत्सव का आनंद लेने के लिए लोगों की भारी भीड़ इसी मार्ग के गड्ढों को कूदते-फांदते आई और गई है। है ना मजे की बात, कि शहर के गांधी पार्क में इतना बड़ा जलसा संपन्न हो गया, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने आमजन को जलसा स्थल तक पहुंचाने वाले रास्ते को दुरुस्त करने की आवश्यकता नहीं महसूस की। यद्यपि आमजन को इन गड्ढों से सुरक्षित रखने के लिए यातायात के कतिपय दायित्व अधिकारियों ने गड्ढों से पहले जी-20 समिट के समय तैयार किए गए बैरिकेड का एक बोर्ड मौके पर अवश्य रख दिया गया है, लेकिन यह बोर्ड कुछ ही समय तक सड़क पर खड़ा रह पाता है ।वह इसलिए, क्योंकि आने जाने वाले वाहन इस बोर्ड को टक्कर मारकर अक्सर ही गिरा देते हैं और यह बोर्ड काफी समय तक सड़क के बीचो-बीच पड़ा रहता है। ऐसे में कोई राहगीर अथवा दो पहिया वाहन चालक सड़क पर गिरे हुए उक्त बोर्ड से टकरा कर लहूलुहान हो जाए तो आश्चर्य ना होगा। दुखद बात तो यह है कि नौकरशाही के निजाम को यह भी नजर नहीं आता कि इसी मार्ग से रोजाना हजारों की संख्या में छात्राएं स्कूल आती जाती हैं ,जो कभी भी किसी असावधानी के कारण किसी दुर्घटना का शिकार हो सकती हैं। इसी प्रकार दायित्वाधिकारियों की उदासीनता के चलते रामपुर नैनीताल हाईवे पर भी एक गड्ढा गहरा एवं खतरनाक होता जा रहा है। जल संस्थान की पानी की टंकी के सामने बन रहा यह गड्ढा कोढ़ में खाज की स्थिति जैसा है ,क्योंकि इस गड्ढे के नीचे ही जल संस्थान की पाइप लाइन टूट गई है, जिससे पानी निकलता रहता है । सप्लाई के समय पानी रिसने के कारण सड़क तो क्षतिग्रस्त हो ही रही है, साथ ही साथ हजारों लीटर दिए पेय जल भी रोजाना बर्बाद हो रहा है। कहने की जरूरत नहीं कि जल्द ही अगर पानी का रिसाव बंद करके सड़क पर बने गड्ढों को भरा नहीं गया, तो आगे चलकर इसके अनेक दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं।

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