उत्तराखण्ड में पूरा किया था नैनो कार का सपना: महान उद्योगपति “रतन टाटा” जी का जीवन देश की औद्योगिक प्रगति में रहा समर्पित
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति श्री रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया
देहरादून। टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा के निधन पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित प्रदेश के उद्योग जगत से जुड़ी कई हस्तियों व राजनीतिक दलों के लोगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति श्री रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की औद्योगिक प्रगति और सामाजिक विकास के लिए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। उनका दृष्टिकोण, समर्पण और व्यावसायिक कुशलता न केवल टाटा समूह को नई ऊँचाइयों तक ले गई, बल्कि राष्ट्र के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। मुख्यमंत्राी ने कहा कि रतन टाटा जी ने रोजगार सृजन, समाज के सशक्तिकरण और नवाचार के क्षेत्रा में अभूतपूर्व कार्य किया। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। देश के जाने माने उद्योगपति और टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा का 86 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। अपने सरल स्वभाव से सबका दिल जीतने वाले रतन टाटा के निधन से आज पूरा देश मायूस है। आपको बता दें उद्योग जगत के इस अनमोल रतन का उत्तराखण्ड से भी खास नाता रहा है। रतन टाटा का देशवासियों को सबसे सस्ती कार देने का सपना उत्तराखण्ड में ही साकार हुआ था। रतन टाटा की सोच थी कि हर मध्यमवर्गीय परिवार के पास कार हो। जिसके लिए उन्होंने नैनो प्रोजेक्ट तैयार किया। रतन टाटा की नैनो कार की शुरूआत उत्तराखण्ड के उधम सिंह नगर स्थित स्थित प्लांट से हुई थी। बाइक पर चलने वाले आम आदमी का कार सपना पूरा करने के लिए रतन टाटा ने नैनो कार के प्रोजेक्ट में पूरी ताकत झोंक दी थी।पहले इस कार का निर्माण पश्चिम बंगाल के सिंगूर में होना था लेकिन विवाद के बाद रतन टाटा ने इसके लिए पंतनगर स्थित प्लांट को न सिर्फ चुना बल्कि वह खुद भी कार के उत्पादन से जुड़े प्लांट में पहुंचे थे। बाद में इसी प्लांट में नैनो कार का सफल उत्पादन किया गया। दरअसल जब सिंगूर में नैनो प्लांट का काम अक्टूबर 2008 में रोकना पड़ा तो अपना वायदा पूरा करने के लिए रतन टाटा ने कंपनी के मिनी ट्रक बनाने वाले पंतनगर प्लांट में नैनो कार का उत्पादन शुरू करने का फैसला किया । 16 अप्रैल 2009 को रतन टाटा विशेष विमान से पंतनगर प्लांट में आए थे। ट्रक बनाने वाले प्लांट में रतन टाटा के भरोसे पर नैनो कार का सफल उत्पादन किया गया। इसी प्लांट से बनकर तैयार हुई पहली नैनो कार की चाबी उन्होंने जुलाई 2009 में अपने हाथों से चाबी सौंपी थी। हालांकि बाद में पंतनगर प्लांट में इसका उत्पादन रोक दिया गया और साल 2010 में गुजरात के सानंद स्थित टाटा के प्लांट में नैनो कार का उत्पादन शुरू हुआ।
भूतपूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी से थे रतन टाटा के घनिष्ठ सम्बंध
रतन टाटा एक कुशल उद्योगपति तो थे ही साथ ही वह यारों के यार भी थे। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय एनडी तिवारी से उनकी घनिष्ठ मित्रता किसी से छिपी नहीं है। एनडी तिवारी और रतन टाटा की मित्रता से जुड़े एक किस्से को लोग आज भी नहीं भूल पाते। यह किस्सा उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून का है। दरअसल साल 2010-11 में उत्तराखंड शासन की ओर से रतन टाटा को सम्मान देने का कार्यक्रम रखा गया। उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्राी डॉ रमेश पोखरियाल निशंक थे. सम्मान समारोह में रतन टाटा राजधानी देहरादून पहुंचे. इस समारोह में कई बड़ी स्तियां पहुंची थी।कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के बाद रतन टाटा जैसे ही मंच की ओर बढ़े, अचानक एक व्यक्ति के पास आकर रुक गए और वह व्यक्ति थे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी । पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को मंच पर जगह नही मिली थी। उन्हें मंच के सामने अगली लाइन में बैठाया गया था। एनडी तिवारी को देख रतन टाटा मंच पर जाने से पहले उनके पास पहुंच गए और उनके दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर रतन टाटा उनसे गुफ्तगू करने लगे. यह बातचीत करीब बीस से पच्चीस मिनट तक चलती रही। इस वजह से तत्कालीन राज्यपाल मारग्रेट अल्वा और मुख्यमंत्री निशंक भी उनके साथ खड़े रहे। व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद रतन टाटा की एनडी तिवारी के साथ बीस से पच्चीस मिनट की गुफ्तगू को देख वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गये।