रूद्रपुर के बाजार में ताड़का ने मचाया खूब हाहाकार, रोमांचित हुए लोग

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मुख्य रामलीला में सीता स्वयंवर, अहिल्या तरण, रावण वाणासुर संवाद, राम-परशुराम संवाद का हुआ मंचन
रूद्रपुर(उद संवाददाता)। विगत दिवस की लीला के पूर्व सांयकाल को ताड़का की झाकी मुख्य बाजार से निकाली गई। इस दौरा ताड़का को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जुट गई। इसमें ताड़का के किरदार निभा रहे विशाल भुडडी जब हाहाकार मचाते हुए बाजार क्षेत्रा में पहुंचें तो लोगों में रोमांच छा गया। बच्चे में घबराहट फैल गयी। ताड़का का विकराल स्वरूप को देखकर बाजार में पहुंचे लोगों को खूब आकर्षित किश साथ ही ताड़का को हाहाकार मचाते हुए देख कई बच्चे डर के मारे रोने भी लग गये। इस रोमांचकारी दृश्य के लिये माधव आनन्द, त्यागी बब्बर, सोनू डीजे, सुभाष तनेजा, नितिश धीर व दिव्यांश गोयल नें विशेष योगदान दिया। नगर की प्रमुख बस स्टैंड वाली रामलीला में तृतीय दिवस में सुबाहु मारीच की खरमस्तियां, विश्वामित्रा यज्ञ विध्वंस, विश्वामित्रा का अयोध्या जाकर राजा दशरथ से उनकें पुत्रों राम-लक्ष्मण को लेकर आना, सुबाहु वध, ताड़का का विकराल रूप, ताड़का वध, अहिल्या तरण, सीता स्वयंवर, रावण वाणासुर संवाद, धनुष टूटना, राम-परशुराम संवाद तक की सुंदर लीला का मंचन हुआ। आज लीला का शुभारंभ मुख्य अतिथि किच्छा विधायक एवं श्री रामलीला कमेटी के संरक्षक तिलक राज बेहड़ एवं कार्यक्रम अध्यक्ष मुख्य नगर आयुक्त नरेश दुर्गापाल व विशिष्ट अतिथि एसपी मनोज कत्याल ने प्रभु श्रीरामचन्द्र जी के चित्रा के सम्मुख दीप प्रज्जवलन कर किया। श्री रामलीला कमेटी नें सभी का माल्यार्पण कर स्वागत किया। लीला में गणेश वंदना एवं राम वंदना के पश्चात प्रथम दृश्य में दिखाया गया कि सुबाहु मारीच का राज होता है। वह राहगीरों को लूटनें के साथ ही मारकाट करते रहते है। अपनी ताकत के मद में चूर होकर वह विश्वामित्रा जी के यज्ञ को विध्वंस कर देत है। विश्वाामित्रा राजा दशरथ के दरबार में पहुंचकर राजा दशरथ से राम-लक्ष्मण को उनके साथ भेजनें को कहते है। राजा दशरथ के मन में संशय होता है, लेकिन गुरू वशिष्ट के द्वारा उनके मन के संशय को दूर कर दिया जाता है। राम-लक्ष्मण विश्वाामित्रा जी के साथ वनों में जाते हैं, जहां ताड़का के साथ उनका विकट यु( होता है। ताड़का मारी जाती है। इसके बाद सुबाहु मारीच के साथ हुयी जंग में सुबाहु मारा जाता है, मारीच भाग कर अपनी जान बचाता है। राम अहिल्या को तारते हैं। इसके बाद सीता स्वयंवर का मनमोहक व भव्य दृश्य होता है, जिसमें रावण वाणासुर संवाद, लखटकिया नरेश एवं धनुष टूटनें एवं राम परशुराम संवाद तक की लीला का मंचन किया जाता है। लीला में भगवान गणेश के रूप में आशीष ग्रोवर आशू, सुबाहु-मनोज मुंजाल, दशरथ की भूमिका में प्रेम खुराना, मारीच की भूमिका में सचिन मुंजाल, विश्वामित्रा- मोहन भुडडी, ताड़का-विधाल भुडडी, छोटे राम की भूमिका में कनव गंभीर, छोटा लक्ष्मण-पुरूराज बेहड़, अहिल्या की भूमिका में सुमित आनन्द, जनक- अनिल तनेजा, वशिष्ठ-रोहित खुराना, राम- मनोज अरोरा, लक्ष्मण- गौरव जग्गा, सीताजी, दीपक अग्रवाल, लखटकिया नरेश मनोज मुंजाल, परशुराम- गुरशरण बब्बर सन्नी, वाणासुर- वैभव भुडडी, रावण-रमन अरोरा, ताड़का के रिश्तेदारों का किरदार- राम कृष्ण कन्नौजिया, कुक्कू शर्मा,गोला ईदरीसी, आयुष्मान सुशील गाबा, आदि नें निभाया। संचालन मंच सचिव विजय जग्गा, सुशील गाबा एवं संदीप धीर नें संयुक्त रूप से किया। इस दौरान श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्राी विजय अरोरा, कोषाध्यक्ष अमित गंभीर सीए, समन्यवयक नरेश शर्मा, बीना बेहड़, पूर्वा बेहड़, अनीशा बेहड़, मिनाक्षी गाबा, ओम प्रकाश अरोरा, महावीर आजाद, सुभाष खंडेलवाल, अशोक गुंबर, जगदीश टंडन, राकेश सुखीजा, कर्मचन्द राजदेव, हरीश अरोरा, अमित अरोरा बोबी, राजेश छाबड़ा,गौरव तनेजा, सतपाल गाबा, आशीष ग्रोवर आशू, हरीश सुखीजा, गौरव राज बेहड़, सौरभ राज बेहड़, विजय विरमानी, मनोज गाबा, अमित चावला, राजकुमार कक्कड़, पुलकित बांबा, सुमित आनन्द, वैभव भुडडी, रोहित नागपाल, अमन गुम्बर, बिट्ट ग्रोवर, चिराग कालड़ा, रोहित जग्गा, सचिन तनेजा, त्यागी बब्बर, यमन बब्बर, मनीष अग्रवाल सीए, गोपाल माहेश्वरी सीए, राकेश गंभीर, दीपक गंभीर, आशू गंभीर, अमित कालड़ा, कशिश खेड़ा, वैभव ग्रोवर, लवी ग्रोवर, अमित सरकार, विजय चिलाना, पत्राकार परमपाल सुखीजा पम्मी, भानु चुघ, दीपक कुकरेजा, सुरेन्द्र शर्मा, अर्जुन, अनुज, वीरेन्द्र आर्य आदि उपस्थित थे।


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