ग्राहक बनकर डीएम सविन बंसल ने किया ओवररेटिंग का भंडाफोड़, 50 हजार का काटा चालान
मैक डॉवेल की बोतल देने को कहा तो सेल्समैन ने लिए 680 रुपये
देहरादून(उद संवाददाता)। देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल का ताबड़तोड़ एक्शन जारी है। देहरादून की सड़कों पर अपना सिंघम अवतार दिखाने के बाद अब डीएम सविन ओवर रेटिंग की शिकायत पर खुद ही ठेके पर ग्राहक बनकर पहुंच गए। इतना ही नहीं औचक निरीक्षण के दौरान उन्होंने खुद ओवररेटिंग का भंडाफोड़ कर दिया। मैक डॉवेल की बोतल देने को कहा तो सेल्समैन ने उनसे 680 रुपये लिए। जिलाधिकारी ने एमआरपी देखी तो 660 थी। इस तरह जिलाधिकारी को 20 रुपये की ओवर रेटिंग मिली। जैसे ही अन्य स्टाफ ठेके पर पहुंचा तब पता चला कि पैंट शर्ट पहने ये ग्राहक सामान्य नहीं बल्कि जिलाधिकारी खुद हैं। इसका पता चलते ही ठेके के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। जिलाधिकारी ने ठेका संचालक का 50 हजार रुपये का चालान कर दिया। दरअसल, शराब ठेकों पर लगातार ओवर रेटिंग की शिकायत मिल रही है। अधिकारी छापा मारते हैं तो ओवर रेटिंग एक दो दिन बंद होती है इसके बाद फिर संचालक अपने पुराने ढर्रे पर चल पड़ते हैं। अब नए जिलाधिकारी को भी शराब के ठेकों पर ओवर रेटिंग की शिकायत मिली। कार्रवाई के लिए खुद जिलाधिकारी मैदान में उतर गए। उन्होंने आवास से एक प्राइवेट वाहन लिया और उसे खुद ही चलाकर ओल्ड मसूरी रोड अंग्रेजी शराब के ठेके पर पहुंच गए। सामान्य कद काठी वाले अधिकारी को देखकर किसी को पता नहीं चला कि यह शख्स जिलाधिकारी है। जिलाधिकारी ने कुछ बोतलों के दाम पूछे तो सेल्समैन ने उन्हें हर बोतल के बारे में बताया। इसके बाद उन्होंने वहां मैक डॉवेल की बोतल देने को कहा। ठेकेदार ने 680 रुपये जिलाधिकारी से ले लिए। उन्होंने देखा कि इस पर एमआरपी 20 रुपये कम है। थोड़ी देर बाद ही पीछे से जिलाधिकारी का सरकारी काफिला भी पहुंच गया। एसडीएम व आबकारी की टीम पहुंची तब जाकर पता चला कि जिलाधिकारी ने दुकान पर छापा मारा है। इसके बाद जिलाधिकारी ने दुकान के अंदर स्टॉक आदि भी चेक किया। जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि दुकान संचालक का 50 हजार रुपये का चालान किया गया है। इसके साथ ही अधीनस्थों को शहर में अन्य जगहों पर भी छापे मारने के आदेश दिए गए हैं। जिलाधिकारी ने वहां आसपास लोगों से भी जानकारी ली। हर व्यक्ति ने बताया कि ठेके पर आते हैं तो उनसे 20 से 25 रुपये अधिक लिए जाते हैं। सेल्समैन के सामने आपत्ति भी जताते हैं तो कहते हैं कि लेना हो तो लो नहीं तो कहीं और से ले लो। अगर प्रशासन की सख्ती की याद दिलाते हैं तो इधर उधर की बात कर टाल दी जाती है।