अपराधों पर लगायें अंकुश,थाना-चौकियों पर गिरेगी गाजः डीजीपी अभिनव कुमार ने दिए तीन माह का एक्शन प्लान लागू करने के निर्देश

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सड़क दुर्घटना संभावित स्थानों पर यातायात ड्यूटी अधिक से अधिक कर्मियों की लगाई जा जाये
देहरादून(उद संवाददाता)। डीजीपी अभिनव कुमार ने बुधवार को पुलिस अधिकारियों के साथ वीडियो कॉनफ्रेसिंग कर राज्य समस्त पुलिस
अधीक्षकों एवं उच्चाधिकारियों के साथ व्यापक चर्चा की है। डीजीपी ने अपराध एवं कानून व्यवस्था, महिलाओं और बाल अपराध, यातायात व्यवस्था, साइबर अपराध और ड्रग्स की रोकथाम के संबंध में समीक्षा के लिए पुलिस अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए हैं। डीजीपी ने उच्चाधिकारियों को तीन माह के भीतर कार्ययोजना को धरातल पर उतारने के निर्देश दिए। डीजीपी ने यातायात निदेशक अरुण मोहन जोशी को यातायात प्रबंधन के संबंध में दिशा निर्देश दिए। यातायात ड्यूटी अधिक से अधिक कर्मियों की लगाई जा जाये। सड़क दुर्घटना संभावित स्थानों पर उनकी नियुक्ति करने के निर्देश दिए गए। इसके साथ ही मुख्य राजमार्गों पर कट और इन पर गलत साइड से वाहन ले जाने वालों पर कार्रवाई के निर्देश भी डीजीपी ने दिए। वहीं मीडिया से वार्ता के दौरान डीजीपी अभिनव कुमार ने प्रदेश में बढ़ती अपराधिक घटनाओं के साथ बलात्कार और हत्याकांड की घटनाओं को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के साथ उत्तराखंड में कानून एवं शाति व्यवस्था बनाने के लिए हो रही कार्यवाही में निरंतर पुलिस महकमा निरंतर कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश के बाद राज्य के सभी जनपदों में पुलिस अधीक्षकों को अपराधियों पर अंकुश लगाने एवं त्वरित कार्यवाही के लिए निष्पक्ष एवं सक्रियता के साथ कार्य करने के निर्देश दिये गये है। उन्होंने कहा कि दुस्साहसिक वारदातों में शामिल बाहरी राज्यों के अपराधिायों कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। डीजीपी ने उत्तराखंड पुलिस अधीक्षकों को कड़ी हिदायत देते हुए कहा है कि पीड़ितों को थाने और चौकियों के चक्कर कटवाने की प्रवृति बर्दाश्त नहीं की जायेगी। पीड़ितों की शिकायतों को दर्ज करने से ही अपराधों की रोकथाम लगायी जा सकती है। डीजीपी अभिनव कुमार ने कहा कि आपराधिक घटनाओं में मुकदमा दर्ज कर खुलासा करने में लापरवाही बरतने वाले सीओ और एसओ के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी। साथ ही अब वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट में प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज की जाएगी। उन्होंने चोरी, वाहन चोरी, चेन लूट, डकैती आदि की घटनाओं का 90 फीसदी खुलासा और चोरी की संपत्ति की बरामदगी 70 फीसदी से अधिक रखने के निर्देश दिए। डीजीपी ने पुलिस प्रशासन के लिए तैयार की गई एसओपी के अनुसार कार्यवाही अमल में लाने के दियाा निर्देश दिये है। एसओपी के अनुसार तीन वर्षों की अवधि में वाहन चोरी के आरोप में जेल गए आरोपियों की लगातार निगरानी की जाए। वाहन चोरी के प्रभावित क्षेत्रों को चिर्ििंत किया जाए। हत्या, लूट, डकैती, वाहन चोरी आदि अपराधों की समीक्षा करते हुए बरामदगी और निरोधात्मक कार्रवाई करने के लिए एक्शन प्लान बनाया जाए। राजमार्ग पर जुलूस, धरना प्रदर्शन के दौरान आम जनता को यदि परेशानी होती है तो संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। अंतरजातीय व अंतरधार्मिक विवाद संबंधी प्रकरणों में समय से मुकदमा दर्ज करें। ध्यान इस बात का रखें कि कोई बेकसूर जेल न जाए। राज्य की विभिन्न परियोजनाओं में बाहर से आए दैनिक मजदूरों की पृष्ठभूमि की जानकारी अवश्य करें। इनामी बदमाशों की धरपकड़ को चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा करें। साइबर अपराध से निपटने के लिए प्रशिक्षित निरीक्षकों की डड्ढूटी लगाई जाए, ताकि विवेचना तेजी से हो। महिला एवं बाल अपराध रोकने के लिए डीजीपी ने अधिकारियों को एक एजुकेशन मॉडल बनाने के निर्देश दिए। ताकि, महिलाओं और बच्चों को उनके प्रति होने वाले अपराधों से जागरूक किया जा सके। पॉक्सो एक्ट व बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में तत्काल कार्रवाई कर आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए। पीड़िताओं की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की कराई जाए। सीओ स्तर के अधिकारी लगातार पीड़िताओं से संवाद स्थापित करें। डीजीपी ने कहा कि उत्तराखंड को ड्रग्स मुक्त बनाने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई की आवश्यकता है। इसके लिए बड़े तस्करों को चिर्ििंत कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। एनसीबी से सेटेलाइट डाटा लेकर अफीम व चरस की खेती को नष्ट किया जाए। सिंथेटिक ड्रग्स की युवाओं को लत न पड़े इसके लिए भी प्रबंध किए जाएं। बरामद ड्रग्स का विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं में परीक्षण कराने के बाद उनमें सिंथेटिक ड्रग्स की मात्रा का पता करें। इसके बाद आरोपियों के खिलाफ एनडीपीएस
अधिनियम के तहत कार्रवाई करें।

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