दिसंबर में होंगे उत्तराखंड के निकाय चुनाव: ओबीसी-एससी-एसटी आयोग की रिपोर्ट पेश होने के बाद 31 अक्टूबर को होगा आरक्षण का निर्धारण

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नैनीताल उच्च न्यायालय मेंसरकार की ओर से प्रस्तुत किया गया शपथ पत्र, दस नवंबर को जारी होगी निकाय चुनाव की अधिसूचना
रूद्रपुर। निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण निर्धारण का मामला प्रवर समिति को भेजे जाने के बाद उत्तराखंड के निकाय चुनाव पर छाया कुहासा, सरकार द्वारा नैनीताल उच्च न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत किए जाने के बाद अब पूरी तरह छट गया है और निकाय चुनाव की तस्वीर तकरीबन साफ हो गई है। उच्च न्यायालय में प्रस्तुत शपथ पत्र में सरकार की ओर से बताया गया है कि सूबे के स्थानीय निकाय चुनाव 25 दिसंबर तक संपन्न करा लिए जाएंगे। सरकार को उत्तराखंड में निकाय चुनाव कराए जाने संबंधी निर्देश दिए जाने को लेकर दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान ,उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष एक कार्यक्रम पेश किया, जिसमें अधिसूचना जारी करने से लेकर चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने तक की तारीख बताई गई है। महाधिवक्ता द्वारा नैनीताल उच्च न्यायालय की डबल बेंच को अवगत कराया है कि निकाय चुनाव की अधिसूचना 10 नवंबर को जारी होगी और 25 दिसंबर से पहले निकायों के गठन हो जाएगा। कोर्ट में सुनवाई के दौरान शहरी विकास विभाग के अधिकारी कोर्ट में मौजूद रहे। इससे पहले हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार को जल्द निकाय चुनाव संपन्न कराने के निर्देश दिए थे ,लेकिन सरकार ने असमर्थतता जताते हुए हाईकोर्ट में शपथ दाखिल करते हुए कोर्ट को बताया कि 30 अक्तूबर को ओबीसी-एससी-एसटी आयोग की रिपोर्ट पेश होगी तथा 31 अक्तूबर को आरक्षण का निर्धारण होगा और उसी दिन मतदाता सूची जारी कर दी जाएगी। ज्ञात हो कि हाई कोर्ट की डबल बेंच शुक्रवार को मोहम्मद अनवर और मोहम्मद अनीस की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार चुनाव कराने को पूरी तरह से तैयार है तथा प्रदेश निर्वाचन आयुक्त की तैनाती भी कर दी गई है। राज्य सरकार के महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट में यह भी कहा कि जिलों में मतदाता सूचियों में संशोधन का काम शुरू हो गया है। तत्पश्चात सरकार के जवाब पर हाई कोर्ट ने अपनी सहमति देते हुए दोनों याचिकाओं को निस्तारित कर दिया। गौर तलब है कि याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर जनहित याचिका में सरकार पर आरोप लगाया गया था कि सरकार प्रदेश में निकाय चुनाव नहीं करा रही है।निकायों का कार्यकाल पिछले साल दिसंबर में ही खत्म हो गया है, लेकिन निकायों में प्रशासकों को बैठा दिया गया है। इस तरह नगर निकाय चुनाव से पहले प्रवर समिति के पास ओबीसी आरक्षण का मामला जाने के बाद शुरू हुआ, निकाय चुनाव का इंतजार सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में प्रस्तुत नई समय सारिणी से फिलहाल दूर हो गया है और अब इसी हिसाब से राज्य निर्वाचन आयोग ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं ।पहले सरकार ने हाईकोर्ट में अक्तूबर में निकाय चुनाव की समय सारिणी दाखिल की थी ,लिहाजा उसी हिसाब से तैयारियां भी चल रही थीं, लेकिन विधानसभा में पेश ओबीसी आरक्षण संशोधन विधेयक को प्रवर समिति को भेज दिए जाने के कारण निकाय चुनाव की तारीख पर संशय पैदा हो गया था ,क्योंकि प्रवर समिति को 23 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट देनी है। इस बीच विभिन्न निकायों के परिसीमन की अधिसूचना जारी हो गई और राज्य निर्वाचन आयोग को अपनी तैयारियां तेज करनी पड़ी तथा निकायों में परिसीमन के मुताबिक मतदाता सूची संशोधन का काम भी आरंभ करना पड़ा। अब आयोग का दावा है कि वह 31 अक्तूबर तक यह काम पूरा कर लेगा। इसके बाद 10 नवंबर को निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाएगी और सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो नामांकन व अन्य सभी चुनावी कार्य होने के बाद 15 से 20 दिसंबर के बीच प्रदेश में नगर निकाय चुनाव करा लिए जाएंगे।

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