‘पहाड़’ को कम रास आ रहा है ‘सरकार का सस्ता गल्ला’: कुमाऊं के पहाड़ी जिलों के 40 फीसदी उपभोक्ताओं ने अगस्त माह में नहीं लिया सस्ता राशन

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रुद्रपुर। भीषण महंगाई के आज के दौर में भी कुमाऊं मंडल के पहाड़ी जिलों के उपभोक्ताओं को सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला सस्ता गल्ला आजकल कम रास आ रहा है ,जबकि कुमाऊं के मैदानी जिलों में सस्ता सरकारी गल्ला लेने की होड़ मची हुई है। राज्य के खाद्य आपूर्ति विभाग के आधिकारिक वेबसाइट में प्रदर्शित आंकड़ों के अनुसार अगस्त महीने में कुमाऊं के पहाड़ी जिलों के 40 फीसदी उपभोक्ता राशन लेने के लिए सस्ता गल्ला विक्रय केंद्र नहीं पहुंचे । कमोबेश ऐसी ही स्थिति कुछ जुलाई महीने की भी रही, लेकिन जुलाई महीने में उपभोक्ताओं ने अगस्त के मुकाबले कहीं ज्यादा संख्या में सरकारी राशन लिया था। बावजूद इसके प्रदेश का खाद्य आपूर्ति विभाग पहाड़ के सस्ता गल्ला विक्रय  केंद्र की बदइंतजामी को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। पात्र व्यक्तियों के सस्ता गल्ला विक्रय केंद्र तक न पहुंचने के पीछे खाद्य आपूर्ति विभाग के अपने अलग ही तर्क हैं।खाद्य आपूर्ति विभाग की आधिकारिक वेबसाइट से मिले आंकड़ों के मुताबिक कुमाऊं के छह जिलों में स्टेट फूड योजना, अंत्योदय अन्न योजना और प्राथमिकता वाले परिवारों के तकरीबन दस लाख से अधिक राशन कार्ड धारक हैं,जिन्हें प्रतिमाह सरकार की ओर से सस्ता गल्ला बांटा जाता है । खाद्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार कुमाऊं के छह जिलों में सरकारी राशन का वितरण करने वाली सस्ता गल्ला की कुल 3898 दुकानें तथा प्रदेश के 13 जिलों में सस्ता गल्ला की नौ हजार से अधिक दुकानें हैं, जहां से पात्र व्यक्ति अपने-अपने राशन कार्ड की यूनिट के हिसाब से सस्ता गल्ला ले जाते हैं। मगर पिछले कुछ महीनो से कुमाऊं के सस्ता गला विक्रय केंद्र में  देखा जा रहा है कि सस्ता गल्ला की दुकानों पर पहाड़ के जिलों की अपेक्षा मैदानी क्षेत्र के लोग अधिक पहुंच रहे हैं। इस क्रम में बताना होगा कि  इस वर्ष अगस्त में पिथौरागढ़ के 35, अल्मोड़ा के 32 और बागेश्वर के 31 प्रतिशत लोग अपना राशन लेने के लिए सस्ता गल्ला दुकानों तक नहीं पहुंचे ।वहीं ऊधमसिंह नगर के सर्वाधिक 85 फीसदी तथा चम्पावत और नैनीताल जिले के 75 प्रतिशत कार्ड धारकों ने राशन लिया है। बात जुलाई माह की करें ,तो खाद्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार कुमाऊं के पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत और अल्मोड़ा जिले में जुलाई महीने में भी 20 प्रतिशत लोगों ने सरकारी राशन का लाभ नहीं लिया था। जबकि नैनीताल और यूएस नगर में 90 प्रतिशत लोग राशन लेने पहुंचे थे ।जाहिर है कि पहाड़ की अपेक्षा मैदान की लोगों की सरकारी राशन पर निर्भरता अधिक है। पहाड़ के राशन कार्ड धारकों के सस्ता गल्ला विक्रय केदो से दूरी बनाने की मुख्य वजह सस्ता गला की दुकानों में समय पर राशन करना पहुंचना और राशन की क्वालिटी बेहद घटिया होना निकल कर सामने आई है, पर हैरत की बात तो यह है कि आपूर्ति विभाग खाद्य आपूर्ति विभाग घटिया राशन वितरण की अपनी करतूत को छिपाने के लिए अपने आधिकारिक आंकड़ों को ही झुठलाने में लगा है।

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