सच्चे देशभक्त थे पायलट बाबाः विमान क्रैश होने के बाद बने थे सन्यासी,कॉकपिट में प्रकट हुए थे गुरु हरि बाबा

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भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर के रूप में 1962, 1965,1971 के युद्ध में लड़ी जंग,जापान व नेपाल समेत भारत में प्रमुख रूप से सासाराम, हरिद्वार, नैनीताल व उत्तरकाशी में है बाबा का आश्रम, पायलट बाबा ने सासाराम में कराया था पूर्वाेत्तर ज्योतिलिंग सोमनाथ मंदिर का भव्य निर्माण

देहरादून/नैनीताल/हरिद्वार(उद संवाददाता)। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का मंगलवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनकी मौत की खबर से पूरे संत समाज में शोक की लहर है। उत्तराखंड सहित देश के विभन्न राज्यों के उनके हजारों अनुयायियों ने उनके समाधिलीन होने पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उनके अनुयायिायो ने पूज्य संत पायलट बाबा के निधन पर भावभनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए उनकी आत्म की शांति के ईश्वर से प्रार्थना की है। पायलट बाबा का नैनीताल से 15 किमी दूर गेठिया में भव्य आश्रम भी स्थापित है। यह आश्रम देश विदेश के पर्यटकों और आध्यात्मिक शाति के केंद्र के रूप में पूरे उत्तराखंड में अपनी विशिष्ट पहचान बना है। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरी गिरी महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े की पूरे प्रदेश में स्थित सभी शाखाओं, आश्रमों और मुख्य पीठों पर शोक सभा व शांति पाठ का आयोजन किया जा रहा है। पालयलट बाबा का निधन मुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में उपचार के दौरान हुआ। वह 86 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पायलट बाबा का वास्तविक नाम कपिल सिंह है। उनका जन्म रोहतास जिले की नोखा प्रखंड स्थित बिशुनपुरा गांव में 15 जुलाई 1938 में हुआ था। बताया जाता है कि उन्होंने बीएचयू से एमएससी की शिक्षा पूरी कर 1957 में भारतीय वायु सेना में लड़ाकू पायलट के रूप में अपना करियर शुरू किया। साल 1962 में भारत-चीन युद्ध व 1965 व 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी वे शामिल थे। कहा जाता है कि विमान उड़ाने के समय उनका रेडियो संपर्क टूट गया था। तब उनके अध्यात्मिक गुरु हरि बाबा उनके कॉकपिट में प्रकट हुए थे। उनके निर्देश पर उन्होंने विमान को सुरक्षित उतारा। उस घटना के बाद पायलट बाबा ने 33 वर्ष की उम्र में वायुसेना से रिटायरमेंट ले लिया था। इसके बाद वे पायलट बाबा के नाम से मशहूर हुए। अपने अध्यात्म के दौरान वह देश व विदेशों में 100 से भी अधिक बार समाधि ले चुके हैं। पायलट बाबा के अनुयायियों द्वारा विदेशों में भी आश्रम स्थापित किया गया है। भारत में प्रमुख रूप से सासाराम, हरिद्वार, नैनीताल व उत्तरकाशी में बाबा का आश्रम है। वहीं जापान व नेपाल में भी आश्रम स्थापित है। पायलट बाबा ने सासाराम में गुजरात की सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर पूर्वाेत्तर ज्योतिलिंग सोमनाथ मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर का उद्घाटन सात नवंबर 2022 को किया गया था। जिसमें देश के 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वर समेत राजनीतिक पार्टी से जुड़े नेताओं का जमावड़ा लगा था। साथ ही पायलट बाबा के देश समेत विदेशों से भी आए अनुयायी उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे। मंदिर में 111 फीट ऊंची भगवान शिव व बुद्ध की 84 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। निधन की खबर पर जेडीयू के प्रदेश महासचिव ओमप्रकाश सिंह सेतु ने कहा कि पायलट बाबा अब हम लोगों के बीच में नहीं रहे। उन्होंने रोहतास जिले से निकलकर देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई है। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरी गिरी महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े की पूरे प्रदेश में स्थित सभी शाखाओं, आश्रमों और मुख्य पीठों पर शोक सभा व शांति पाठ का आयोजन किया जा रहा है। जूना अखाड़े द्वारा तीन दिन का शोक घोषित किया गया है। इन तीन दिनों में पायलट बाबा की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ हवन तथा विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी ।श्री महंत हरी गिरी महाराज ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पायलट बाबा एक सच्चे योगी व समाज की देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। वह 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए और अपनी संन्यास यात्रा प्रारंभ की। संन्यासी बनने से पूर्व पायलट बाबा भारतीय वायुसेना में पायलट के रूप में कार्यरत थे 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बाद उन्हें 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर पद पर अभिषिक्त किया गया। जूना अखाड़े के समस्त पदाधिकारी और वरिष्ठ संत,महामंडलेश्वर उनको समाधि देने के लिए पहुंचेंगे। जूना अखाड़ा हरिद्वार में पायलट बाबा के ब्रह्मलीन होने पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें राष्ट्रीय सचिव श्री महंत महेश पुरी सचिव श्रीमान शैलेंद्र गिरी श्रीमहंत पूर्ण गिरि, श्रीमहंत सुरेशानंद सरस्वती ,कोठारी महंत महाकाल गिरि ,महंत रतन गिरी, महंत हीरा भारती ,महंत गौतम गिरि, महंत आकाश पूरी ,महंत धीरेंद्र पुरी आदि ने उनको श्रद्धांजलि दी तथा भैरव अखाड़ा घाट पर मां गंगा में श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

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