बांग्लादेश हिंसा पर पूर्व सीएम हरीश रावत का बड़ा बयानः अपने को मानवाधिकार का पैगंबर बताने वाला अमेरिका अल्पसंख्यक हिंदुओं की अनदेखी कर रहा
देहरादून(उद संवाददाता)। उत्तराखंड के पूर्व सीएम एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने बांग्लादेश में जनविद्रोह के बाद व्याप्त अराजकता को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पूर्व सीएम हरीश रावत के अनुसार बांग्लादेश में अवामी लीग के नेताओं के बाद या उनकी संपत्तियों के बाद यदि किसी के साथ अत्याचार हो रहा है या उनको मार दिया जा रहा है, उनकी प्रॉपर्टी जला दी जा रही है, उनके विश्वास के केंद्रों व उनके उपासना स्थलों को तोड़ा-फोड़ा जा रहा है तो वह हैं हिन्दू भाई। अमेरिका जो दुनिया में मानवाधिकार का पैगंबर बनकर पुलिसिंग करता रहता है। बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है उसके समाचार केवल हिंदुस्तान में ही नहीं देखे जा रहे हैं बल्कि दुनिया भर में देखे जा रहे हैं उसके बावजूद भी दुनिया भर में अपने को मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों के हितों का पैगंबर बताने वाला अमेरिका और पश्चिमी मुल्क इस तथ्य को अनदेखा कर रहे हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों को मारा जा रहा है और उनके उपासना स्थलों को जलाया जा रहा है, उनकी प्रॉपर्टी को नष्ट किया जा रहा है। मैं, प्रधानमंत्री जी से भी अनुरोध पूर्वक पूछ्ना चाहता हूं कि उनकी बाइडेन, ट्रंप आदि नेताओं से दोस्ती काम क्यों नहीं आ रही है? उन्होंने कहा कि यह स्थापित सत्य है कि हमारे पड़ोस के देशों में बांग्लादेश ही एक ऐसा देश था जहां श्रीमती शेख हसीना के रूप में एक मित्र प्रधानमंत्री सत्ता की बागडोर संभाले हुये थी। अब प्रश्न यह नहीं है यह सब कुछ क्यों हुआ? प्रश्न यह है कि हम इतने व्यापक खुफिया तंत्र के बावजूद भी समय पर सूचनाएं पहुंचाने और श्रीमती शेख हसीना तक सूचनाएं पहुंचाने में क्यों कामयाब नहीं हुये? क्या हमें इस बात की जानकारी नहीं थी कि पाकिस्तान, चीन और यहां तक कि कुछ पश्चिमी देश भी श्रीमती शेख हसीना की नीतियों से नाराज हैं, उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं? क्या वहां पर उग्र इस्लामिक संगठनों के लोग जो कार्यरत हैं और सरकार के खिलाफ अवसर की तलाश में इसकी भारत को जानकारी नहीं थी? मुझे नहीं लगता है कि अब आने वाले लंबे समय तक बांग्लादेश में कोई भारत के साथ कोई मिलकर के चलने वाली सरकार स्थापित होगी! जिस तरीके से बांग्लादेश में बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है, उन प्रतीक चिन्हों को नष्ट किया जा रहा है जो वहां की आजादी से जुड़े हुए हैं, यह एक गहरी साजिश का हिस्सा है।