केदारघाटी में बोल्डरों के बीच दबे घोड़ा संचालक को एसडीआरएफ के जवानों ने बचाया
रूद्रप्रयाग। केदारघाटी में भारी बारिश से आई आपदा में नंदप्रयाग-घाट के गिरीश चमोली को बचाने के लिए एसडीआरएफ का जवान देवदूत बनकर थारु कैंप में पहुंचा। थारू कैंप में दुकान संचालन करने वाले गिरीश शुक्रवार रात अपने घोड़े को बचाते समय बोल्डर की चपेट में आ गए थे। रातभर बोल्डर के बीच दबे रहे। शुक्रवार सुबह एसडीआरएफ के जवानों ने उनके कराहने की आवाज सुनी और फिर उन्हें बचाने के प्रयास शुरू हुए। नौ घंटे चले रेस्क्यू के बाद उन्हें निकाला जा सका। गिरीश लगभग 18 घंटे तक बोल्डर के नीचे दबे रहे। उसने बताया कि बीते 31 जुलाई को शाम 7.30 बजे मूसलाधार बारिश शुरू हो गई थी। मैं थारु कैंप में अपनी दुकान में बैठा था। रात 8 बजे बारिश तेज हुई तो मैं अपने घोड़ा को बचाने के लिए बाहर आया। मैं घोड़े को लेकर डेरे पर आ ही रहा था कि मेरा पैर पत्थर पर टकरा गया। मैं संभल पाता कि ऊपर से बोल्डर गिरने लगे। कुछ समय के लिए कुछ पता नहीं लगा कि मैं कहा था। बस इतना देख पाया था कि मेरा घोड़ा बचकर बुग्यालों की तरफ भाग गया था। मेरा पैर एक बड़े पत्थर से दबा हुआ था, जिसे मैं हिला नहीं पा रहा था, दर्द से कराहते हुए मैं बीच रातभर मदद के लिए चिल्लाता रहा, लेकिन कोई नहीं था। बाबा केदार की कृपा थी कि बोल्डर के नीचे मुझे सांस लेने के लिए जगह मिल गई थी और बारिश से बचने के लिए छत भी। तड़के 4ः30 बजे मैंने फिर मदद के लिए आवाज लगाना शुरू किया। कुछ ही देर में एक आवाज सुनाई दी, कहां हो मुझे बताओ..। मेरी आवाज सुनकर एसडीआएफ के चार-छह जवान मेरे सामने आ गए थे, उन्होंने मेरा हौंसला बढ़ाया और धैर्य रखने को कहा। इसके बाद एसडीआरएफ के जवान मुझे बोल्डरों के बीच से बाहर निकालने के लिए मशक्कत करने लगे। जवानों ने 9 घंटे मशक्कत के बाद दोपहर दो बजे मुझे बाहर निकाला और नया जीवन दिया। लेकिन बोल्डरों की चपेट में आने से मेरे एक साथी की मौत हो गई। एसडीआरएफ के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने बताया कि गिरीश को हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू कर केदारघाटी से जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग पहुंचाया गया। रेस्क्यू दल में एसडीआरएफ के एसआई प्रेम सिंह, हेड कांस्टेबल प्रेम, आरक्षी दिंगबर, रामनरेश, धमेंद्र गोसाईं और होमगार्ड अरुण और अशोक शामिल थे।