अब जीएसटी में बायोमीट्रिक आधार प्रमाणीकरण लागू होने से फर्जी रजिस्ट्रेशन पर लगेगी लगाम

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देहरादून। उत्तराखंड में अब जीएसटी में बायोमीट्रिक आधार प्रमाणीकरण लागू होने से फर्जी पंजीकरण और टैक्स चोरी रुकेगी। इस नई व्यवस्था से राज्य में 100 से 150 करोड़ तक टैक्स चोरी रुकने का अनुमान है। इसे लागू करने में उत्तराखंड देश में चौथे और उत्तर भारत में पहला राज्य है। बुधवार को वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इसकी शुरुआत की। लक्ष्मी रोड स्थित राज्यकर कार्यालय भवन में वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक में चरणबध रूप से अखिल भारतीय स्तर पर पंजीकरण आवेदकों के लिए बायोमीट्रिक आधारित प्रमाणीकरण को लागू करने की सिफारिश की गई थी। उत्तराखंड में भी इस व्यवस्था को शुरू किया गया। इससे पहले गुजरात, पांडुचेरी, आंध्रप्रदेश में इस व्यवस्था को लागू किया है। जीएसटी पंजीकरण के लिए आने वाले आवेदनों को उच्च जोखिम मानकों व डाटा विश्लेषण के आधार पर पोर्टल पर चिन्हित किया जाएगा। दस्तावेजों का सत्यापन व बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण विभाग की ओर से स्थापित जीएसटी सुविधा केंद्र से कराया जाएगा। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि उत्तराखंड में बायोमीट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण को लागू करने से राज्य कर विभाग के प्रत्येक कार्यालय भवन में जीएसटी सुविधा केंद्र स्थापित किया गया है। जिसके माध्यम से दस्तावेजों का सत्यापन व बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण सुनिश्चित किया जाएगा। पूरे प्रदेश में 22 जीएसटी सुविधा केंद्र स्थापित किए गए हैं। कुछ असामाजिक तत्वों की ओर से जीएसटी में फर्जी पंजीकरण कर जाली बिलों के माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट ;आईटीसीद्ध का लाभ लिया जा रहा था। जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। मंत्री ने बताया कि गुजरात राज्य में बायोमीट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण व्यवस्था लागू होने के बाद से पंजीकरण आवेदन में 55 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। जो फर्जी पंजीकरण रोकने की पुष्टि करता है। मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि 22 राज्य कर अधिकारी, 58 कर्मचारी प्रदेश के 22 जीएसटी सुविधा केंद्र में उपस्थित रहेंगे। उन्होंने बताया कि देहरादून, हरिद्वार, रुद्रपुर और हल्द्वानी में पांच-पांच सेंटर होंगे। मंत्री डॉक्टर प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि राज्य कर में चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देने वाले कुछ तथाकथित लोग अभी तक टेंपो, रिक्शा, ठेली, फड़ वाले आदि लोगों से उनके आधार नंबर व अन्य जानकारी के जरिए फर्जी तरीके से राज्य कर में चोरी करते थे। उन्होंने बताया कि बायोमीट्रिक पंजीकरण के बाद से ऐसी घटनाओं पर पूरी तरह से अंकुश लग जाएगा। जिससे प्रदेश को स्वच्छ राज्य कर की प्राप्ति हो सकेगी।

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