केदारनाथ में मास्टर प्लान के कार्यो पर पूर्व सीएम हरदा ने फिर उठाये सवालः शास्त्र और वास्तु का नहीं रखा ध्यान
देहरादून(उद संवाददाता)। कांग्रेस की केदारनाथ पदयात्रा में धाम की प्रतिष्ठा को लेकर पार्टी के दिग्गज नेता भाजपा सरकार पर लगातार हमलावर हो रहे है। वहीं अब पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक बार फिर केदारनाथ में मास्टर प्लान के तहत हो रहे मास्टर प्लान पुनर्निमार्ण कार्यों के मुद्दे को लेकर भी सवाल खड़े कर दिये हे। गुरूवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा है कि कांग्रेस की केदार समर्पण यात्रा का आज दूसरा दिन है। मेरे मन में भाजपा और वर्तमान राज्य सरकार से कुछ सवाल उठ रहे हैं? मैं उनमें से एक सवाल को आज आगे बढ़ाना चाहता हूं। बद्रीनाथ और केदारनाथ में मास्टर प्लान के नाम पर किये जा रहे निर्माण कार्यों के लिए क्या स्थानीय तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारियों और दूसरे स्टेक होल्डर सहित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जी से परामर्श किया गया था? क्योंकि हमारे तीर्थ स्थलों में प्रत्येक निर्माण कार्य के लिए सनातन परंपराएं निर्धारित हैं उनके अनुरूप ही वह निर्माण कार्य होने चाहिए। केदारनाथ में वर्तमान सरकार द्वारा करवाए गये दो निर्माण कार्य सनातन परंपरा के सर्वथा विपरीत हैं। पहला निर्माण कार्य मंदिर के प्रांगण का विस्तारीकरण, उस विस्तारीकरण में शास्त्र और वास्तु का ध्यान नहीं रखा गया। जब हमने आदि गुरु शंकराचार्य जी की समाधि के ऊपर पड़े हुए मलबे को हटाकर उस समाधि को ऊचा करने की अनुमति मांगी तो तत्कालीन शंकराचार्य जी ने हमें राय दी कि समाधि ही रहनी चाहिए वहां पर मूर्ति स्थापित नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार साधू-संतों व महापुरुषों की समाधि पर मूर्तियां स्थापित नहीं की जाती और वर्तमान सरकार ने आदिगुरु शंकराचार्य जी की समाधि गौण और मूर्ती को प्राथमिकता दी है। जबकि यह मूर्ति जौलीग्रांट एयरपोर्ट के बाहर स्थापित होनी चाहिए थी, कांग्रेस सरकार के समय में हमने भारत सरकार से इस एयरपोर्ट का नाम आदि गुरु शंकराचार्य जी के नाम पर किये जाने का अनुरोध किया था, जो अब भी लंबित है।