नकली निकली रेडियोएक्टिव डिवाईस! खरीद फरोख्त की पहेली में उलझी पुलिस,अब डीलर लव से पूछताछ

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देहरादून। उत्तराखंड पुलिस द्वारा पकड़ी गई संदिग्ध रेडियोएक्टिव उपकरण की खरीद फरोख्त का मामले की छानबीन जारी है लेकिन आरोपियों से पूछताछ के बाद सामने का रहा षडयंत्र पहेली बना हुआ है। पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार तो किया लेकिन उनसे पूछताछ में हर दिन एक नई जानकारी मिली। अब इतना तो पता चला कि यह उपकरण नकली है, लेकिन किसने और कब इसे बनाया इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पा रही है। अलबत्ता अब पुलिस ने उस डीलर को पूछताछ के लिए बुलाया है जो इसे खरीदने के लिए देहरादून आने वाला था। बताया जा रहा है कि उसके पास ऐसे उपकरणों को खरीदने का लाइसेंस है, लेकिन वह अपने साथ कोई दस्तावेज लेकर नहीं पहुंचा है। पिछले शुक्रवार को पुलिस ने राजपुर क्षेत्र में पूर्व आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन के घर पर छापा मारकर पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनके पास से एक संदिग्ध रेडियोएक्टिव उपकरण बरामद हुआ था। उस वक्त एसडीआरएफ ने इसकी जांच की तो पता चला कि इसमें रेडियोएक्टिव पदार्थ हो सकता है। लेकिन, अगले दिन जब नरौरा से आई टीम ने इसकी जांच की तो इसमें रेडियोएक्टिव पदार्थ न होने की पुष्टि हुई। आरोपियों सुमित पाठक और तबरेज आलम से पूछताछ हुई तो उन्होंने पुलिस के सामने सहारनपुर निवासी राशिद का नाम लिया। बताया कि उसने उन्हें यह उपकरण बेचा था। लेकिन, अगले दिन जब राशिद गिरफ्तार हुआ तो कहानी कुछ और निकली। उसने पुलिस को बताया कि यह उपकरण नकली है और उसने कभी नहीं बेचा। यह उपकरण तबरेज और उसके एक साथी ने अपने घर पर बनाया था। इससे एक बात तो साफ हो गई कि यह उपकरण नकली है। लेकिन, किसने और कब इसे बनाया इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। सूत्रों के मुताबिक इतना भी साफ हो गया है कि इसका सौदा करोड़ों रुपये में होना था। इस पूछताछ में एक नाम लव मल्होत्रा का भी सामने आया था। लव को ही इस उपकरण को खरीदना था। बताया गया था कि लव के पास इस तरह के उपकरणों को बेचने और खरीदने का लाइसेंस है। लेकिन, पुलिस के सामने पहुंचा लव अपने साथ कोई दस्तावेज लेकर नहीं आया है। देर रात तक पुलिस उससे पूछताछ कर रही थी। बताया जा रहा है कि इस पूरी कहानी के पीछे सुमित पाठक नाम के आरोपी का दिमाग है। सुमित पाठक दिल्ली में पुराने सामान खरीदने -बेचने का काम करता है। वह बहुत सी पुरानी चीजों को नकली बनाकर महंगे दामों पर बेचता है। बताया जा रहा है कि सुमित पाठक ने राजस्थान में हुई 14 करोड़ रुपये की ठगी से प्रेरित होकर इस तरह का षडयंत्र रचा था। इसी तरह के उपकरण को बेचने का राजस्थान में ठगों ने जाल बुना था। राजस्थान पुलिस ने उस वक्त 18 लोगों को गिरफ्रतार किया था। पुलिस के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार सुमित पाठक ने ही अपनी दुकान व कार्यशाला पर इस उपकरण को बनाया था। ताकि, वह इसे इसी तरह बेचकर करोड़ों रुपये की ठगी कर सके। हालांकि, अभी सुमित से भी पुलिस कस्टडी रिमांड में लेकर पूछताछ की जानी बाकी है। जल्द ही पुलिस उसकी पीसीआर मांग सकती है।

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