बड़ी खबर : जंगल की आग में झुलसे कर्मियों को  एयर एंबुलेंस से दिल्ली एम्स शिफ्ट किया.. एक श्रमिक की हालत गंभीर ,तीन घायल 40 प्रतिशत से अधिक जले

0

हल्द्वानी। अल्मोड़ा में जंगल की आग में जले चार घायल देर रात एंबुलेंस से सुशीला तिवारी अस्पताल लाए गए हैं। डॉक्टरों के अनुसार एक घायल की हालत गंभीर है, वह 82 प्रतिशत से अधिक जला हुआ है। उधर तीन घायल 40 प्रतिशत से अधिक जले हैं। अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य में भीषण आग से चार कार्मिकों की दर्दनाक मौत हुई, जबकि चार लोग जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। कुमाऊं आयुक्त ने बताया कि सीएम के निर्देश पर झुलसे कर्मियों को बेहतर इलाज के लिए दो एयर एंबुलेंस से एम्स दिल्ली शिफ्ट किया जाएंगा। अल्मोड़ा से वनाग्नि में जले वन कर्मी और पीआरडी जवानों के हल्द्वानी आने की सूचना पर जिला प्रशासन अलर्ट था। सबसे पहले घायल को रात 10 बजे, इसके बाद अलग-अलग एंबुलेंस में आधा घंटा बाद दो और आग से जले घायल को लाया गया। उधर रात 11:15 बजे चौथे घायल को लाया गया। कोई भी घायल बोलने की स्थिति में नहीं था। सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेई ने प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी के हवाले से बताया कि कृष्ण कुमार 44 वर्ष फायर वाचर निवासी भेटुली अल्मोड़ा 82 प्रतिशत जले हैं। इनकी स्थिति चिंंताजनक बनी हुई है। उधर कैलाश भट्ट उम्र (45) दैनिक श्रमिक निवासी घनेली अल्मोड़ा 42% प्रतिशत, कुंदन सिंह (42) पीआरडी जवान निवासी खाखरी 40% जबकि भगवत सिंह (36) चालक निवासी भेटुली आयरपानी 50% प्रतिशत जले हैं। इस दौरान अल्मोड़ा के विधायक मनोज तिवारी भी सुशीला तिवारी पहुंचे। उन्होंने आग से जले चारों लोगों को देखा और सुशीला तिवारी अस्पताल के प्राचार्य से बात की। बिनसर के जंगल में फॉरेस्टर और उनके साथ गई टीम के आग में फंसने की सूचना पर जब अधिकारी मौके पर पहुंचे तो सहम गए। वाहन जल चुका था और अगल-बगल चार साथियों के शव पड़े थे। वहीं कुछ दूरी पर आग की चपेट में आए चार अन्य साथी खुद को आग से बचने की असफल कोशिश करते हुए नजर आए। मौके पर पहुंचे अधिकारियों और कर्मचारियों ने आनन-फानन चारों कर्मचारियों को आग के घेरे से बचाया और फौरन अस्पताल भेजा। मौके पर पहुंची एनडीआरएफ के जवानों के साथ वन विभाग के अधिकारियों ने मृतक साथियों के शव पोस्टमार्टम हाउस भिजवाए। बृहस्पतिवार को बिनसर अभयारण्य में हुई वनाग्नि की घटना में चार लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई जबकि चार गंभीर रूप से झुलस गए। घायल वन कर्मियों को जब अन्य वन कर्मी उपचार के लिए अल्मोड़ा लेकर आ रहे थे तो झुलसे एक वन कर्मी ने बड़ी हिम्मत कर आपबीती बयान की। उसने बताया कि आग लगने की सूचना पर वह और सात अन्य साथियों के साथ विभाग के वाहन से मौके पर पहुंचे। वाहन से उतरने के बाद उन्होंने देखा की सड़क के नीचे ढलान से आग ऊपर की ओर आ रही थी। उस समय आठ वन कर्मियों में से कुछ आग बुझाने की रणनीति बना रहे थे और कुछ वाहन से अपना सामान बाहर निकाल रहे थे। तभी आग की लपटों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। बचने की कोई उम्मीद बाकी नहीं रही। सभी कर्मचारी लपटों से बचने का प्रयास करते रहे लेकिन आग इतनी भयानक थी कि सड़क पर खड़ा वाहन तक उसकी चपेट में आ गया। एक-एककर सब धुएं के गुबार में गायब होने लगे और उसकी आंखों के सामने भी अंधेरा छा गया। इसके बाद क्या हुआ उसे कुछ पता नहीं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.