केदार घाटी में एनजीटी के ‘मानकों को ठेंगा’ दिखा रही ‘हेली कंपनियां’,मनमानी पर कोई प्रशासनिक अंकुश नहीं
निर्धारित ऊंचाई पर उड़ान नहीं भर रहे हेलीकॉप्टर, उड़ान संबंधी डाटा वन विभाग के साथ साझा नहीं कर रही कंपनियां, हेलीकॉप्टर की ऊंचाई मापने वाली एयर गन भी आउट आफ ऑर्डर
रुद्रप्रयाग(उद ब्यूरो)। चार धाम यात्रा में हेली सेवाएं दे रहे एक हेलीकॉप्टर के विगत दिनों दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल बाल बचने के बाद सरकार की ओर से यह अपेक्षित था, कि वह हेली कंपनियों के पेंच कसते हुए उनसे हेलीकॉप्टर की उड़ान के लिए निर्धारित मानकों का पालन करना सुनिश्चित करती तथा चार धाम यात्रियों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश करती की उत्तराखंड तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा से कोई समझौता नहीं करेगा। पर यूं जान पड़ता है जैसे सरकारी तंत्र की इस दिशा में कोई रुचि ही नहीं है और सरकार की ओर से हेली कंपनियां को मनमर्जी की खुली छूट दे दी गई है । यही वजह है कि केदारघाटी के अलग- अलग हेलिपैड से केदारनाथ के लिए उड़ान भर रहे हेलिकॉप्टर एनजीटी के नियमोें का पालन बिल्कुल भी नहीं कर रहे हैं। देखने में आया है कि हेलिकॉप्टर के लिए तय ऊंचाई 600 मीटर पर कोई भी हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर रहा है।साथ ही हेली कंपनियां अपने हेलिकॉप्टर की उड़ान के समय, कुल दूरी और ऊंचाई से जुड़ा कोई भी डेटा वन विभाग से साझा नहीं कर रही है। इतना ही नहीं, केदारनाथ-बदरीनाथ के लिए संचालित चार्टर भी सेंचुरी एरिया से उड़ान भर भरने से बाज नहीं आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सभी हेलिकॉप्टर मंदाकिनी नदी के तल से होकर नीची और मध्यम उड़ान भरते हुए केदारनाथ स्थित एमआई-26 हेलिपैड पर पहुंच रहे हैं जबकि केदारनाथ यात्रा में हेलिकॉप्टर उड़ान के लिए वर्ष 2015 में एनजीटी द्वारा नदी तल 600 मीटर की ऊंचाई के मानक निर्धारित किए गए हैं ,लेकिन जारी चार धाम यात्रा में एक भी हेली कंपनी इस नियम का पालन करती नहीं दिख पड़ रही है ।नदी तल से तय 600 मीटर की ऊंचाई का पालन नहीं होने से वन्य जीव तो प्रभावित हो ही रहे हैं, साथ ही संवेदनशील क्षेत्र में अन्य प्रकार के खतरे भी बढ़ रहे हैं। लापरवाही की हद तो यह कि अधिकांश हेली कंपनियां हेलिकॉप्टर की उड़ान से संबंधित किसी भी प्रकार का डेटा तक एकत्रित नहीं कर रही है। हाल ही में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ ने केदारघाटी में आर्यन एविएशन, क्रिस्टल और हिमालयन एविएशन के हेलिपैड का निरीक्षण किया।इस दौरान उन्होंने कंपनी प्रबंधन से यात्रा में अभी तक हेलिकॉप्टर की उड़ान सहित अन्य जरूरी डाटा साझा करने को कहा ,मगर कंपनी प्रबंधन ने इस प्रकार के किसी भी डाटा एकत्रित किया गया होने से साफ इंकार कर दिया। वस्तुस्थिति यह है कि हेली कंपनी प्रबंधन की जानकारी एवं डाटा सिर्फ हेलिकॉप्टर की शटल संख्या तक सीमित है। इसके अलावा हेली कंपनी प्रबंधन के पास एनजीटी, यूकाडा और डीजीसीए की गाइडलाइन भी नहीं है। साथ ही हेली कंपनियों द्वारा हेलिपैड पर जो स्टॉफ तैनात किया गया है, उसमें से अधिकांश को हेलिकॉप्टर का बेसिक ज्ञान तक नहीं। मजे की बात तो यह है कि केदारनाथ यात्रा में उड़ान भरने वाले हेलीकॉप्टरों की नदी तल से ऊंचाई की माप के लिए केदारनाथ वन्य जीव प्रभाव द्वारा भीम बाली में स्थापित की गई एयर गन भी ठीक तरीके से कार्य नहीं कर रही है। जिसके कारण हेलीकॉप्टर की सही ऊंचाई और ध्वनि का पता लगाना मुश्किल है, लिहाजा हेली कंपनियों की मनमानी पर कोई प्रशासनिक अंकुश लगने के आसार फिलहाल तो नजर नहीं आते।