उत्तराखंड में एक साल के भीतर पूरे प्रदेश में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था लागू की जाए
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया है आदेश:ब्रिटिश कालीन राजस्व पुलिस व्यवस्था होगी समाप्त
नैनीताल(उद संवाददाता)। प्रदेश में रेगुलर पुलिस व्यवस्था को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं कि राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त किया जाए और एक साल के भीतर ही प्रदेश में रेगुलर पुलिस व्यवस्था लागू किया जाए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक साल के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर की गई जनहित याचिका का निस्तारण करने के दौरान हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि एक साल के भीतर पूरे प्रदेश में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था लागू की जाए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को रेगुलर पुलिस की व्यवस्था लागू कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने प्रदेश में कई स्थानों पर राजस्व पुलिस व्यवस्था के स्थान पर रेगुलर पुलिस की व्यवस्था लागू कर दी गई है। जबकि बाकी के क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस व्यवस्था को लागू करने के लिए प्रकिया अभी जारी है। बता दें कि साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने भी नवीन चंद्र बनाम राज्य सरकार से संबंधित मामले में उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था को खत्म करने की जरूरत महसूस की थी। नवीन चंद्र बनाम राज्य सरकार से संबंधित मामले में कहा गया था कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की तरह ट्रेनिंग नहीं दी जाती है। ना ही राजस्व पुलिस के पास आधुनिक सुविधाएं डीएनए टेस्ट, ब्लड टेस्ट, फोरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती हैं। जिस कारण राजस्व पुलिस अपराधों की विवेचना करने में परेशानियां होती हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। बता दें कि साल 2018 में हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को राजस्व पुलिस व्यवस्था को लेकर निर्देश दिए थे। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश का पूरी तरह से अनुपालन नहीं किया गया। जिसके बाद जनहित याचिका दायर कर कोर्ट में ये अनुरोध किया गया कि पूर्व में दिए गए आदेश का अनुपालन कराया जाए। हाईकोर्ट ने हाल ही में आदेश दिए हैं कि राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त किया जाए और एक साल के भीतर ही प्रदेश में रेगुलर पुलिस व्यवस्था लागू किया जाए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक साल के अंदर रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है। जिसके बाद राजस्व पुलिस व्यवस्था चर्चाओं में है कि ये व्यवस्था है क्या और उत्तराखंड में इसे कब लागू किया गया ? आपको बता दें कि उत्तराखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पर राजस्व पुलिस यानी कि पटवारी व्यवस्था लागू है। साल 1815 में कुमाऊं और गढ़वाल पर अंग्रेजों का अधिकार था। इसी दौरान इन्होंने ब्रिटिश कुमाऊं को नान रेगुलेटिंग डिस्ट्रिक्ट घोषित कर दिया। अब इस नोन रेगुलेटिंग डिस्ट्रिक्ट के लिए नए नियम कानून बनाए गए जो देश के बाकी हिस्सों से अलग थे। जैसे कुमाऊं कमिश्नर को सिविल मामलों में हाईकोर्ट के जज जितनी पावर दे दी गई और वो अपीलीय प्राधिकारी भी थे। इसके साथ ही यहां कोई कानून लागू नहीं किया गया था। इसकी जगह राज्य में दया भाव पर आधारित व्यवस्था लागू थी। इसी लिए कुमाऊं कमिश्नर डब्लूय ट्रेल ने साल 1818 में पटवारी व्यवस्था लागू करने कि घोषणा की। इस घोषणा के बाद साल 1819 में राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था की शुरुआत हो गई। ये व्यवस्था देखते ही देखते चल पड़ी और सफल भी रही। इसके सफल होने के पीछे कई वजहें थी। पहली कि पटवारी अपने पद के साथ-साथ गांव के एक सम्मानित सदस्य के रुप में कार्यरत था। काफी जगहों पर पटवारी अपने गांव के परिवारों के साथ उचित सामंजस्य बनाए रखता था। ग्रामीण स्थानों पर शादी-ब्याह के लिए भी पटवारी से एक बुजुर्ग की तरह राय ली जाती थी। अब साल 1821 में राज्य में कुमाऊं कमिश्नर ने पांच पटवारी नियुक्त किए। सरकार इस व्यवस्था से इतनी खुश थी कि जब साल 1825 में कुमाऊं कमिश्नर ने तीन पटवारियों की मांग की तो सरकार ने कमिश्नर को आठ पटवारी उपलब्ध करा दिए। ऐसे करते करते तब कुमाऊं में कुल 63 पटवारी हो गए। बता दें कि इस दौर में पटवारी को हर महीने पांच रुपए तनख्वाह मिला करती थी। पटवारी का काम भू राजस्व इकट्ट करना और गांव की जमीन की नापजोख करना हुआ करता था। इतिहासकार प्रो. अजय रावत की मानें तो राजस्व पुलिस व्यवस्था में पटवारी को उप का अधिकार भी दिया गया था। व्यवस्था पहाड़ों में काफी सफल रही। जिसके बाद साल 1947 के बाद भी ज्यादातर इलाकों पर ये अब तक मान्य थी।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने किया था प्रदेश के 6 नये पुलिस थानों और 20 नई पुलिस चौकियों का उद्घाटन
उत्तराखंड में राजस्व पुलिसिंग की व्यवस्था खत्म करते हुए रेगुलर पुलिस की तरफ पहला कदम बढ़ाया गया था । गौरतलब है कि पिछले वर्ष उत्तराखंड की धामी सरकार ने रेगुलर पुलिस व्यवस्था के लिए प्रदेश के 6 नये पुलिस थानों और 20 नई पुलिस चौकियों का वर्चुअल रूप से उद्घाटन किया था । इन 6 थानों में 661 ग्राम एवं 20 चौकियों में 696 ग्राम शामिल हैं। ये क्षेत्र पहले राजस्व पुलिस के अधीन थे, अब इनमें नियमित पुलिस की व्यवस्था की गई है। जिन 6 नये पुलिस थानों का मुख्यमंत्री ने उद्घाटन किया उनमें पौड़ी में थाना यमकेश्वर, टिहरी में थाना छाम, चमोली में थाना घाट, नैनीताल में थाना खनस्यूॅ एवं अल्मोड़ा में थाना देघाट एवं धौलछीना शामिल हैं। जिन 20 नई चौकियों का मुख्यमंत्री ने उद्घाटन किया उनमें देहरादून में लाखामण्डल, पौड़ी में बीरोखाल, टिहरी में गजा, काण्डीखाल एवं चमियाला, चमोली में नौटी, नारायणबगड़ एवं उर्गम, रूद्रप्रयाग में चौपता एवं दुर्गाधार, उत्तरकाशी में सांकरी एवं धौंतरी, नैनीताल में औखलकाण्डा, धानाचूली, हेड़ाखाल एवं धारी, अल्मोड़ा में मजखाली, जागेश्वर एवं भौनखाल तथा चम्पावत में बाराकोट शामिल हैं।