शारदीय नवरात्र शुरू, बाजारों ,मंदिरों, पांडालों में बढ़ी चहल-पहल

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देहरादून। मां दुर्गा की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र बुधवार से घट स्थापना के साथ शुरू हो गये है। आज प्रातः से ही भारी संख्या में सुहागिन महिलाओं ने नगर के विभिन्न मंदिरों, पांडालों व घरों में भी घट स्थापना के साथ नवरात्र की पूजा अनुष्ठान शुरु हुआ। दस से 18 अक्टूबर तक नवरात्र चलेंगे और 19 अक्टूबर को दशमी तिथि को दशहरा पर्व मनाया जाएगा। नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा अर्चना के लिए बाजार में पूजा सामग्री से दुकानें सजी हुई है। मंदिरों में नवरात्र पर नौ दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर माता की आराधना की जाएगी। इस बार घट स्थापना के लिए कम समय है। बुधवार की सुबह से घट स्थापना का शुभ मुहूर्त है। 7.26 बजे से द्वितीय तिथि प्रारंभ हो जाएगी। ज्योतिषों के अनुसार प्रतिपदा के दिन सवेरे 6.22 से 7.25 मिनट तक घट स्थापना नहीं कर पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त में 11.36 से 12.24 बजे तक घट स्थापना कर सकते हैं। लेकिन यह घट स्थापना द्वितीय तिथि में ही मानी जाएगी। नवरात्र व्रत की शुरुआत प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना से की जाती है। बाजार में नवरात्र के लिए पूजा सामग्री की दुकानें सजी हुई है। नवरात्र के लिए लोगों ने बाजार में पूजन सामग्री की खरीददारी की गयी। नवरात्र के नौ दिनों में श्रद्धालुओं द्वारा सुख, समृद्धि, शांति की कामना को मां भगवती के नौ स्वरूपों की आराधना की जाएगी। नवरात्र की पूर्व संध्या पर शहर में खूब चहल पहल रही।शहर के पल्टन बाजार, धामावाला, पटेल नगर आदि जगहों पर माता की पूजा सामग्री के लिए दुकानें सजी हुई है। शहर के प्रमुख बाजारों में दुकानों में खरीदारी को श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने माता के पूजन के लिए धूप, अगरबती, श्रीफल, जौ, तिल, पान, पंचमेवा, मिट्टी के दीपक, हवन सामग्री, चुनरी, माता का श्रृंगार, मिठाईयां, फूल, फल, वस्त्र आदि की खरीदारी की गयी। नवरात्र के लिए नगर के तमाम मंदिरों को सजाया गया। माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर टपेकश्वर में शारदीय नवरात्रि 10 अक्टूबर की प्रात विशेष पूजा अर्चना और घट स्थापना के साथ शुरू होगा। आध्यात्मिक गुरु विपिन जोशी ने बताया कि प्रातरूकाल में घटस्थापना और श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ होगा। मंदिर में प्रतिनिधि चार से छह बजे भजन कीर्तन कर मां का गुणगान किया जाएगा। दस अक्टूबर को 7 बजकर 26 मिनट तक प्रतिपदा तिथि में ही कलश स्थापना होना चाहिए। सब दोष निवृति के लिए अभिजित मुहूर्त 11रू37 से 12रू23 तिथि तक बहुत सुंदर मुहूर्त है। प्रतिपदा तिथि का अभाव है। इसलिए सूर्यउदय 6 बजकर 18 मिनट पर होगा। प्रातरूकाल चार बजे से 6.18 बजे तक ही घट स्थापना का शुभ मुहूर्त है।
ये हैं तिथियां
10 अक्टूबर- घट स्थापना शुभ मुहूर्त पर
प्रथम मां शैलपुत्री व द्वितीय मां ब्रहाचारिणी
11 अक्टूबर- तृतीय तिथि, मां चंद्रघंटा
12 अक्टूबर- चतुर्थी तिथि, मां कुष्मांडा
13 अक्टूबर-पंचमी तिथि, स्कंदमाता पूजा
14- अक्टूबर- पंचमी तिथि , मां स्कंदमाता
15-अक्टूबर, षष्ठी तिथि, मॉं कात्यायनी
16- अक्टूबर- सप्तमी तिथि, मां कालरात्रि
17 अक्टूबर- मॉं महागौरी (दुर्गा अष्टमी)
18 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री (महानवमी)
ऐसे करें कलश स्थापना
8कलश स्थापना करने के दौरान सबसे पहले कलश स्थान को शुद्ध करें।
8लकडी का चैकी रखकर उस पर लाल रंग का कपडा बिछाएं।
8कपडे पर थोडे-थोडे चावल रखें।
8चावल रखते समय सबसे पहले भगवान गणोश का स्मरण करें।
8एक मिट्टी के पात्र में जौ बोयें। घ्इस पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें।
8कलश पर रोली से स्वास्तिक या ऊॅं बनाएं।
8कलश के मुख पर कलवा बांधकर इसमें सुपारी, सिक्का डालकर आम के पत्ते रखें।
8कलश के मुख को चावल से भरी कटोरी से ढक दें।
8एक नारियल पर चुनरी लपेटकर इसे कलवे से बांध दें और चावल की कटोरी पर रख दें।
8सभी देवताओं का आहवान करते हुए धूप दीप जलाकर कलश की पूजा करें।

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