गर्वनर ‘पॉल’ को फिर मिलेंगे ‘पांच’ साल!
हरीश रावत को अभयदान देने वाले राज्यपाल पर बरसे थे भाजपा के नेता
देहरादून। प्रदेश के राज्यपाल डा-के-के पॉल के कार्यकाल को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर राजधानी देहरादून स्थित राजभवन में पीएम नरेंद्र मोदी का और राज्यपाल डा- पॉल के बीच खुशनुमा स्वभाव और दिल्ली लाटते वक्त हुई बातचीत को लेकर चर्चायें तेज हो गई है।और मोदी के गौर हो कि राज्यपाल पॉल का कार्यकाल इसी माह 30 जून को खत्म हो रहा है। वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद वर्ष 7 जनवरी 2015 को राज्यपाल डा-अजीज कुरैशी को हटाने के बाद डा- कृष्णकांत पॉल को उत्तराखंड का नया राज्यपाल घोषित किया था। डा-पॉल इससे पहले मेघालय, मणिपुर, मिजोरम,नागालैंड में सेवायें दे चुके हैं। इस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की हरीश रावत की सरकार सत्ता पर काबिज थी। राज्यपाल पॉल के कार्यकाल में उनके सबसे ऐतिहासिक और चर्चित फैसले के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। इसी दौरान राज्यपाल पॉल को लेकर सियासी बयानबाजी भी तेज हुई थी। हांलाकि राज्यपाल ने अपने अनुभवी व कुशल कार्यशैली का परिचय देते हुए गंभीर मुद्दे को आसानी से सुलझा लिया था। इस दौरान उन पर हरीश रावत की सरकार बचाने का भी आरोप लगाया गया। हांलाकि मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंचने के बाद ही सुलझ पाया लेकिन तत्कालीन कांग्रस सरकार में राज्यपाल की भूमिका पर भले ही कोई सवाल नहीं उठाये गये हैं मगर उन दिनों भाजपा के कुछ नेताओं ने राज्यपाल को लेकर गंभीर टिप्पणी भी की थी। हांलाकि बाद में हालात सुधारने पर मामला ठंडा हो गया। अब प्रदेश में भाजपा की सरकार है और भाजपा शासन में अपने एक वर्ष का कार्यकाल को राज्यपाल पूरा भी कर चुके हैं। अब सियसी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या राज्यपाल पॉल को एक और कार्यकाल का विस्तार मिलेगा। बुधवार को दिल्ली लौटते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस जोशो खरोश के साथ राज्यपाल डा केके पॉल से हाथ मिलाया। उसके बाद माना जा रहा है कि राज्यपाल पॉल को एक और कार्यकाल की जमीन तैयार हो गई है। बता दें कि राज्यपाल डॉ- केके पॉल का पांच साल का कार्यकाल इसी 30 जून को खत्म हो रहा है। अब अनुमान लगाया जा रहा है कि या तो राज्यपाल को उत्तराखंड में ही पांच साल का एक और कार्यकाल मिलेगा या फिर उन्हें किसी दूसरे या बड़े राज्य की जिम्मेदारी दी जा सकती है। अगर सेवा विस्तार मिलता है तो अब देखना होगा कि उन दिनों राज्यपाल के फैसले की खिलाफत करने वाले मौजूदा सत्तासीन भाजपा के वह नेता कितनी सहजता से राज्यपाल पॉल के कार्यकाल को स्वीकार करते हैं या फिर कुछ और।