केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का निधन
मुख्यमंत्राी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गहरा दुख व्यक्त किया
नई दिल्ली। केंद्र सरकार में मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार का सोमवार सुबह करीब 2 बजे निधन हो गया। अनंत कुमार दक्षिण भारत के साथ-साथ उत्तर भारत की राजनीति में काफी लोकप्रिय थे। मोदी सरकार में संसद में फ्रलोर मैनेजमेंट के माहिर थे, यही वजह थी कि उन्हें संसदीय कार्य मंत्री का जिम्मा दिया गया था। अनंत कुमार पिछले काफी समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। 59 साल के अनंत का पहले लंदन और न्यूयॉर्क में इलाज चला, लेकिन 20 अक्टूबर को ही उन्हें बेंगलुरु लाकर एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांसें लीं। अनंत कुमार दक्षिण से आते थे, लेकिन वे उत्तर प्रदेश, बिहार समेत उत्तर और मध्य भारत के कई राज्यों की राजनीति में बीजेपी संगठन की ओर से सक्रिय थे। वे लोकसभा चुनाव 2014 और यूपी में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से सक्रिय रहे और कई रैलियां की थीं। अनंत कुमार कर्नाटक की राजनीति में बीजेपी के बड़े चेहरे और राष्ट्रीय नेता के तौर पर पहचाने जाते थे। उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीतिक में कदम रऽ दिया था। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से प्रभावित होकर अिऽल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य बने। इंदिरा गांधी के द्वारा लगाए गए आपातकाल का उन्होंने जमकर विरोध किया। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। अनंत कुमार सबसे पहले एबीवीपी का प्रदेश सचिव और 1985 में राष्ट्रीय सचिव बने। बीजेपी के युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। कर्नाटक के बेंगलुरु दक्षिण से बीजेपी की टिकट पर अनंत कुमार ने कांग्रेस के उम्मीदवार नंदन निलकेणी को हराया हैं। अनंत कुमार बैंगलोर दक्षिण से लगातार छठी बार सांसद चुनाव जीत हासिल की है। इसके बाद मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। इससे पहले अटल सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रलय का जिम्मा भी संभाला था। हालांकि उन्हें बीजेपी के दिग्गज नेता एलके आडवाणी के सबसे करीबी नेताओं में गिना जाता रहा है। 1987 में कर्नाटक बीजेपी के सचिव बने। इसके बाद 1996 में बेंगलुरु साउथ से पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया तो ऽरे उतरे और चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद उन्होंने पलटकर नहीं देऽा, राजनीतिक की सीढ़ियां लगातार चढ़ते गए। अटल बिहारी वाजेपीय के नेतृत्व में जब 1998 में पहली बार सरकार बनी तो दक्षिण भारत के कोटे से अनंत कुमार को मंत्री बनाया गया। अटल सरकार में उîóयन मंत्री बनाए गए, वह अटल सरकार में सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री थे। इसके बाद 1999 में चुनाव में जीते तो वाजपेयी सरकार में कई मंत्रलयों की जिम्मेदारी संभाली। हालांकि, कर्नाटक की सियासी जंग फतह करने के लिए बीजेपी ने 2003 में उन्हें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। इसका नतीजा था कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर राज्य में उभरी। 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी भले ही सत्ता से बाहर हो गई थी, लेकिन कर्नाटक में सबसे ज्यादा संसदीय सीटें जीतने में सफल रही थी। 2004 के उन्हों बीजेपी का राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस दौरान उन्हें मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ सहित कई अन्य राज्यों में प्रभारी के तौर पर काम करने किया। इसके बाद 2004, 2009 और 2014 में छठी बार लोकसभा सदस्य चुने गए। मोदी सरकार में पहले उन्हें रसायन और ऽाद मंत्री बनाया गया, लेकिन जुलाई 2016 में संसदीय कार्यमंत्री का जिम्मा भी सौंप दिया गया, जिसे उन्होंने बऽूबी निभाया। केंद्रीय मत्राी अनंत कुमार के निधन पर मुख्यमंत्राी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करते हुए कहा कि आज उन्होंने अपना करीबी मित्र खो दिया है। उनके निष्पक्ष कार्यकाल को हमेशा याद किया जायेगा।