किसानों को भयभीत करने का प्रयास घोर निन्दनीय : प्रकाश रावत
हल्द्वानी। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत ने भाजपा कुमांऊ संभाग कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की साफ नियत वाली सरकार ने देश के किसानों को समृ( बनाने की नीयत से कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य ;संर्व(न एवं सरलीकरणद्ध विधेयक तथा कृषक ;सशक्तिकरण एवं संरक्षणद्ध कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक लाये गये। ये तीनों विधेयक कृषकों को अपनी कृषि उपज के विपणन की पूर्ण स्वतंत्रता कीमत के निर्धारण की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। विपक्षी दलों द्वारा दुष्प्रचार कर कुछ किसानों को भ्रमित किये जाने का कार्य किया जा रहा है और उन्हे अनावश्यक रूप से गलत व्याख्या कर भयभीत करने का प्रयास घोर निन्दनीय है। ये दर्शाता है कि ऐसे लोग और ऐसे दल अपनी राजनीति महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए किसी के भी हित से खिलवाड़ करने का प्रयास कर रहे हैं। जिस पार्टी के सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री राहत कोष का पैसा अपने लिये निकाल लें और अपने लिए चीन से भी पैसा ले लें उनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं। वे किसानों के हित के लिए गंभीर ही नहीं है। भ्रम फैलाया जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी। जबकि इस कृषि बिल में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है। कृषि बिल में साफ निर्देशित किया गया है कि किसानों की जमीन की बिक्री, लीज और गिरवी रखना पूरी तरह से निषि( है। करार फसलों का होना है न कि जमीनों का इसलिए ऐसा दुस्प्रचार करना कि किसान की जमीन पूंजीपतियों को दी जायेगी। ये बात नितांत भ्रामक व मिथ्या है। ‘कृषक कीमत आश्वासन व करार विधेयक 2020’ को व्यापारियों, कंपनीयों, प्रसंस्करण इकाईयों, निर्यातकों से सीधे जुड़ने का मार्ग प्रसस्त किया जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि बिचैलियों की व्यवस्था को लगभग समाप्त कर देने की दिशा में उठाया गया कदम है ये विधेयक। इन विधेयकों के पारित हो जाने से कृषि फसल की कीमत के मामलों में बाजार की अनिश्चितता समाप्त होगी तथा किसान अपनी फसल बोने से पूर्व जो करार करेगा उसमें निर्धारित मूल्य ही उसे फसल तैयार होने पर प्राप्त होगा। चाहे बाजार भाव कम ही क्यों न हो जाये अर्थात किसान को किसी भी कीमत पर नुक्सान नहीं होना चाहिए। ऐसी सरकार की मंसा और नीयत है भ्रम फैलाया जा रहा है कि मंडी समाप्त हो जायेगी जबकि ऐसा कोई प्रावधान इस विधेयक में नहीं है। किसान की इच्छा है कि वो चाहे तो अपनी फसल मंडी में बेचे या राज्य या राज्य के बाहर कहीं और बेचे। कुल मिलाकर उपरोक्त विधेयक किसानों को कृषि कार्य करने में पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करते हैं और पहले की अपेक्षा कीमत निर्धारण करने की भी अधिक स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।