अधिकार लेने से नहीं रोक सकता आधार
स्कूल में एडमिशन,बैंक अकाउंट,मेाबाईल नंबर के लिये जरूरी नहीं
नई दिल्ली, 26 सितंबर। आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ अपना फैसला सुना रही है। सबसे पहले जस्टिस एके सीकरी ने अपना फैसला पढ़ा, उन्होंने अपने अलावा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एम ऽानविलकर की तरफ से फैसला पढ़ा। उन्होंने अपने फैसले में कहा है कि आधार कार्ड आम आदमी की पहचान है, इस पर हमला संविधान के िऽलाफ है। फैसला पढ़ते हुए जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि हर चीज बेस्ट हो, कुछ अलग भी होना चाहिए। आधार कार्ड पिछले कुछ साल में चर्चा का विषय बना है। जज ने कहा कि आधार कार्ड गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला करना संविधान पर हमला करने के समान है। जस्टिस सीकरी ने कहा कि शिक्षा हमें अंगूठे से हस्ताक्षर की तरफ ले गई, लेकिन एक बार फिर तकनीक हमें अंगूठे की ओर ले जा रही है। जस्टिस सीकरी बोले कि आधार बनाने के लिए जो भी डेटा लिया जा रहा है वो काफी कम है, उसके मुकाबले जो इससे फायदा मिलता है वो काफी ज्यादा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 6 से 14 साल के बच्चों का स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार ना होने की स्थिति में किसी व्यत्तिफ़ को अपने अधिकार लेने से नहीं रोका जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के जज बोले कि सीबीएसई, नीट, यूजीसी अगर आधार को जरूरी बनाते हैं तो ये गलत है वो ऐसा नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि मोबाइल नंबरों और बैंक ऽातों से जोड़ना आधार कार्ड होना गैर संवैधानिक है। कोर्ट ने स्कूलों में आधार की अनिवार्यता ऽत्म कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार कार्ड जरूरी है, सरकार ने आधार कार्ड के लिए कोई तैयारी नहीं की थी। कोर्ट ने कहा कि आधार एक्ट में ऐसा कुछ नहीं है जिससे किसी की निजता पर सवाल ऽड़ा हो। कोर्ट ने कहा कि निजी कंपनियां अब आधार कार्ड नहीं मांग सकती हैं। जस्टिस एके सीकरी के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपना फैसला पढ़ा। उन्होंने कहा कि आधार एक्ट को किसी मनी बिल के तौर पर नहीं पास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड ना दें। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार कार्ड निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है, इससे आदमी और वोटर्स की प्रोफाइलिंग हो सकती है। आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई 17 जनवरी को शुरू हुई थी जो 38 दिनों तक चली। आधार से किसी की निजता का उल्लंघन होता है या नहीं, इसकी अनिवार्यता और वैधता के मुद्दे पर 5 जजों की संवैधानिक पीठ अपना फैसला सुना रही है। हालांकि, आधार पर सुनवाई की शुरूआत 2012 में हुई थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका के आधार पर इस मामले को सुना था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम ऽानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जब तक मामले में कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक आधार लिंक करने का ऑप्शन ऽुला रहना चाहिए। इसके अलावा सख्त रुऽ अपनाते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकार आधार को अनिवार्य करने के लिए लोगों पर दबाव नहीं बना सकती है।