नजूल से हजारों परिवारों का उजड़ना अब तय !
रुद्रपुर,8 सितम्बर। रूद्रपुर में नजूूल भूमि पर बसे हजारों परिवारों का उजड़ना अब तय माना जा रहा है। सरकार को इस मामले में हाईकोर्ट से कोई राहत नही मिल पा रही। उच्च न्यायालय के आदेश पर मुख्य सचिव द्वारा दाखिल किये गये शपथ पत्र पर न्यायाधीश महोदय द्वारा सख्त रूख अपनाया गया। मुख्य सचिव द्वारा हाईकोर्ट में शपथ पत्र पेश कर अतिक्रमण हटाने के लिए एक वर्ष का समय मांगा था। लेकिन हाईकोर्ट ने शपथ पत्र अस्वीकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि सरकारी भूमि पर बैठे लोगों को तीन सप्ताह का समय देते हुए वहां से अतिक्रमण को वहां से हटाया जाये। ऐसे में अब हजारों परिवारों के सिरों से आशियाना छिन जायेगा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खण्डपीठ ने इस मामले में सुनवाई की। रूद्रपुर निवासी सेवाराम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उस जनहित याचिका में कहा गया था कि रूद्रपुर में नगर निगम की 551 एकड़ नजूल भूमि पर 14 हजार से अधिक कच्चे और पक्के भवन बने हुए हैं। सरकार ने 2008-09 वर्ष में सर्वे कर अतिक्रमणकारियों को चिन्हित किया था। इसी सर्वे के आधार पर हाईकोर्ट ने नजूल भूमि से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिये थे। गत दिवस राज्य के मुख्य सचिव की ओर से हाईकोर्ट में शपथ पत्र पेश किया गया था जिसमें कहा गया था कि अतिक्रमण हटाने के लिए एक वर्ष का समय दिया जाये। इस एक वर्ष में 8माह चिन्हीकरण करने के लिए और चार माह में अतिक्रमण हटाने की अनुमति मांगी थी लेकिन हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव की ओर से प्रस्तुत किया गया शपथ पत्र अस्वीकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि वर्ष 2008 के सर्वे के आधार पर अतिक्रमण हटाया जाये और सरकार को तीन सप्ताह का नोटिस अतिक्रमणकारियों को देने के निर्देश दिये हैं। साथ ही उनकी आपत्तियों का निस्तारण करने के लिए भी कहा है। कोर्ट ने एससी एसटी के अतिक्रमण कारियों को लेकर विशेष निर्देश दिये हैं कि ऐसे परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पुनर्वास किया जाये। खण्डपीठ ने सरकार से राज्य के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश को सम्बन्धित अतिक्रमण हटाओ अभियान का नोडल अधिकारी बनाने को कहा है। ऐसे में अब माना जा रहा है कि नजूल भूमि पर बसे कच्चे व पक्के मकानों पर गाज गिरनी तय है। लेकिन इसके लिए प्रशासन को भी पुख्ता प्रबंध करने होंगे। यहां बता दे कि रूद्रपुर का 78 प्रतिशत नजूल भूमि पर बसा है। जिसमें पट्टाधारक और समय -समय पर सरकार की नजूल नीति के तहत कराये गये फ्री-होल्ड वाली भूमि भी शामिल है। पूर्व में नजूल भूमि को फ्री होल्ड कराने के लिये सरकार द्वारा समय-समय पर फ्री होल्ड नीति निकाली गई थी। लेकिन इस वर्ष उच्च न्यायालय ने सरकार की फ्री होल्ड नीति को ही निरस्त कर भविष्य में बनने वाली ऐसी किसी भी पॉलिसी को अवैध करार दिया है। जिसके चलते नजूल भूमि पर बसे लोगों को राहत देने का रास्ता सिर्फ सरकार के पास ही बचता है। लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार के ढुलमुल रवैय्ये के चलते नजूल भूमि पर बसे लोगों में काफी आक्रोष है। लोगों का आरोप है कि आज हजारों लोगों के आशियाने टूटने का भय बना हुआ है लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार इस मामले में ढुलमुल रवैय्या अपना रही है। यदि समय रहते सरकार ने विधेयक नही बनाया तो हम सबका सड़क पर आना तय है।
क्या ठुकराल की पैरवी लायेगी रंग?
रूद्रपुर। नजूल भूमि और मलिन बस्तियों से अतिक्रमण को हटाना सरकार के लिये बड़ी चुनौती बन चुकी है। क्षेत्रीय विधायक राजकुमार ठुकराल कई बार अपनी सरकार के सामने नजूल भूमि पर बसे हजारों लोगों को बचाने के लिये पैरवी कर चुके है और उन्हे हर बार आश्वासन मिल जाता है। लेकिन अभी तक नजूल भूमि पर बसे लोगों को बचाने के लिये सरकार का कोई बयान धरातल पर नही आया। इसके पीछे सरकार की क्या रणनीति है इस पर अभी कुछ कहना मुश्किल है। लेकिन उच्च न्यायालय के सख्त रवैय्ये के चलते इतना तो तय है कि यदि समय रहते सरकार ने नजूल भूमि पर बसे लोगों को बचाने के लिये कोई वैधानिक उपाय नही किये तो हजारों लोगों के ऊपर से छत छिन सकती है। जिसके लिये केवल प्रदेश की भाजपा सरकार ही जिम्मेदार मानी जायेगी। क्षेत्रीय विधायक राजकुमार ठुकराल का दावा है कि वह किसी भी हालत में नजूल भूमि पर बसे लोगों को उजड़ने नही देंगे इसके लिये सरकार शीघ्र ही विधानसभा में बिल लेकर आयेगी। बहरहाल सरकार की बेरूखी और उच्च न्यायालय की सख्ती ने नजूल भूमि पर बसे लोगों की नींद उड़ा रखी है। उन्हे हमेशा अपने आशियाने उजड़ने का भय सता रहा है।