अनुच्छेद 35-। पर सुनवाई जनवरी तक टली, कश्मीर में सुरक्षा बढ़ाई

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नई दिल्ली, 31 अगस्त । जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 35 । पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई एक बार फिर टल गई है । अब अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी । इससे पहले तक उम्मीद थी कि आज सुप्रीम कोर्ट इस मामले को संविधान पीठ में भेजने पर फैसला कर सकता है । इधर कश्मीर में सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है । श्रीनगर में अलगाववादियों के बंद को देऽते हुए सेना भी मुस्तैद हो गई है । पत्थरबाजों से निपटने के लिए फौज ने मोर्चा संभाल लिया है ।बीते दिनों कश्मीर में 35 ए को लेकर अफवाह उड़ी थी, जिसके बाद घाटी के कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे । इसी के चलते आज सुनवाई से पहले ऐहतियातन राज्य के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा सख्त कर दी गई है ।27 अगस्त को भी सर्वाेच्च अदालत में अनुच्छेद 35 । को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होनी थी, जो नहीं हो सकी । उससे पहले 6 अगस्त को हुई सुनवाई में जजों की कमेटी ने 35 । पर कई तरह के सवाल पूछे थे ।मामले की सुनवाई से पहले ही घाटी में इस मुद्दे पर बवाल हो रहा है । सोमवार को भी जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में कुछ जगह झड़प और पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं थीं । 35। का मुद्दा हमेशा से ही संवेदनशील रहा है, यही कारण है कि पिछली सुनवाई के दौरान अलगाववादियों ने घाटी में बंद बुलाया था । 6 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि क्या ये मामला संविधान पीठ में जाना चाहिए या नहीं । उन्होंने कहा कि हमें ये तय करना होगा कि क्या ये मामला 5 जजों की बेंच के पास भेजें या नहीं । अनुच्छेद 35।, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है । इसके तहत दिए गए अधिकार स्थाई निवासियों से जुड़े हुए हैं । इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वत्तफ़ दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दें अथवा नहीं दें । अनुच्छेद 35।, को लेकर 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ । राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था । इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35। जोड़ दिया गया । 5।, धारा 370 का ही हिस्सा है । इस धारा के कारण दूसरे राज्यों का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति ऽरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है ।

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