सुपरटेट के 4790 किफायती घर बनाने का प्रस्ताव पर उठे सवाल
पीएम की महत्वाकांक्षी योजना में पलीता लगा सकती है विवादित सुपरटेक
रुद्रपुर। सुपरटेक बिल्डर द्वारा बनायी गयी मेट्रोपोलिस सिटी के वाशिंदे उस समय को कोस रहे हैं कि जब उन्होंने सपनों का आशियाना समझकर मेट्रोपोलिस में अपना घर खरीदा था। जिन सुख सुविधाओं और विकास के नाम पर वह करोड़ों रूपया सुपरटेक को दे बैठे वह सुख सुविधाएं और विकास अब वहां के वाशिंदों को सपने जैसा प्रतीत हो रहा है। बावजूद इसके सुपरटेक बिल्डर ने अब रूद्रपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4790 किफायती घर बनाने का प्रस्ताव उत्तराखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण के सामने रख दिया है। इन प्रस्ताव को विकास प्राधिकरणों के माध्यम से जांचा जा रहा है। सुपरटेक बिल्डर की मेट्रोपोलिस सिटी में 1700 परिवार रहते हैं जो आयेदिन दी गई सुविधाओं के अभाव को लेकर विरोध जताते रहते हैं। ऐसे में सुपरटेक बिल्डर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत रूद्रपुर में हजारों किफायती घर देने का वादा कर रहा है। सवाल यह पैदा होता है कि जो सुपरटेक बिल्डर पूर्व में किये वादों को पूरा नहीं कर पा रहा तो वह किस आधार पर किफायती घर बनाने का प्रस्ताव प्राधिकरण के सामने रख रहा है। क्योंकि मेट्रोपोलिस सिटी के वाशिंदों से अपना वादा पूरा न करने पर उसके खिलाफ दो समितियों ने कोर्ट की शरण ली हुई है। सुपर टेक में निवेश करने निवेशक यहां कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके है। यही नही निवेशक सुपर टेक कार्यालय में तालाबंदी भी कर चुके है। बताया जाता है कि सुपर टेक पर सरकार का कई करोड़ों रूपया बताया है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत रूद्रपुर में घर बनाये जाने की योजना सुपर टेक को दिये जाने की योजना चल रही है। जब पूर्व में ही सुपर टेक कम्पनी आम जनता और निवेशकों की उम्मीदों पर खरा नही उतर पाई तो अब सुपर टेक कम्पनी को किस आधार पर इस योजना में शामिल किया जा रहा है उस पर ही प्रश्न चिन्ह लग रहा है। सुपरटेक बिल्डर पर मेट्रोपोलिस में रहने वाले लोग एवं निवेशक कई बार कम्पनी पर आरोप लगा चुके हैें। सुपर टेक कम्पनी पर सरकार का कई करोड़ रूपये बकाया है इसके बावजूद शासन द्वारा कम्पनी के खिलाफ कोई कार्रवाही नहीं की गयी। समय-समय पर निवेशकों और वहां रहने वाले लोग भी समस्याओं को लेकर अपनी आवाज बुलन्द कर चुके हैं लेकिन स्थानीय प्रशासन ने भी कम्पनी के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया। ऐसे में सरकारी योजना के तहत बनने वाले मकानों को लेकर सुपरटेक बिल्डर ने प्रस्ताव भेज दिया है। जबकि सुपरटेक कम्पनी अपने पूर्व के प्रोजेक्ट को लेकर ही चर्चा में रह चुकी है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना की जिम्मेदारी इस कम्पनी को सौपी जाती है तो भविष्य में इस योजना पर पलीता लगने की उम्मीद ज्यादा है।
सुपरटेक कम्पनी के एमडी सहित 10 को जारी हुए समन
रुद्रपुर। लम्बे अरसे से विवादों में घिरी एसोटेक सुपरटेक कम्पनी को अब जिला उपभोक्ता फोरम के आदेशों की अवहेलना करना महंगा पड़ सकता है।जिला उपभोक्ता फोरम ने अवमानना के मामले को गंभीरता से लेते हुए एसोटेक सुपरटेक कम्पनी के एमडी सहित दस लोगों के खिलाफ सम्मन जारी कर दिया है। फोरम ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौतमबुद्धनगर उत्तर प्रदेश को सम्मन तामील कराने के निर्देश दे दिये हैं। उपभोक्ता फोरम में राजीव भटनागर ने वर्ष 2016 में सुपरटेक के खिलाफ वाद दर्ज कराया था। कोर्ट ने 11 अक्टूबर 2017 को वाद पर फैसला देते हुए प्रतिवादी को दो माह में फ्रलैट पर कब्जा देने के साथ ही जमा किये गए 16लाख 15हजार तीन सौ रूपए पर 12 फीसदी साधारण ब्याज देने और 18 अगस्त 2014 से कब्जा देने की तिथि तक 5 रूपए प्रति स्क्वायर फिट प्रतिमाह पेनाल्टी का भुगतान भी कम्पनी को राजीव को करने के आदेश दिये थे। फोरम के फैसले के खिलाफ मेट्रोपोलिस आवासीय योजना से संबंधित पक्षने राज्य आयोग में अपील की थी जो खारिज हो गयी थी। फोरम ने फ्रलैट का कब्जा देना, एनओसी ऑक्युपेसी (अधिवास) प्रमाण पत्र, कब्जा प्रमाण पत्र, रजिस्ट्री सहित फ्रलैट का कब्जा देने के आदेश राज्य आयोग ने पारित किये थे। लेकिन उसके बाद भी फ्रलैट पर कब्जा नहीं दिया गया। जिले में जिला उपभोक्ता फोरम की स्थापना 27 मई 1996 से लेकर अब तक फोरम के आदेश की अवमानना का पहला मामला आया है। इस पर संज्ञान लेते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष आरडी पालीवाल और सदस्य सबाहत हुसैन खान ने मेट्रोपोलिस कालोनी के अध्यक्ष आरके अरोड़ा, एमडी मोहित अरोर, ज्वाइंट एमडी संगीता अरोड़ा, निदेशक अनिल शर्मा, जीएल खेड़ा, विकास कंसल, प्रदीप कुमार गोयल, एके जैन, केजी अरोरा, अनिल कुमार सेठ को अभियुक्त मानते हुए उनके खिलाफ एसएसपी गौतमबुद्धनगर को समन तामील कराने के निर्देश दिये हैं। फोरम सदस्य सबाहत हुसैन ने बताया कि यदि पैसा वापसी का प्रकरण होता तो आरसी निर्गत करके पैसा वसूल कर फ्रलैट के आवंटी को दिया जा सकता था लेकिन मामला फ्रलैट पर कब्जा देने का है। इसके आदेश 11 अक्टूबर 2017 से लम्बित है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 27 के अंतर्गत अपराध के संबंध में अभियोजन कार्यवाही करने के पर्याप्त आधार हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 27 पठित धारा 204 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत के अधीन उक्त निदेशक मंडल के सदस्यों को 28 सितम्बर को फोरम के समक्ष पेश होने के लिए समन जारी किये गये हैं।
वायदों से मुकर रही है सुपरटेक कम्पनीः बिष्ट
रुद्रपुर। मेट्रोपोलिस सिटी की निर्माण कंपनी सुपरटेक पर निर्माण संबंधी वादों से मुकरने का आरोप लगाते हुए मेट्रोपोलिस रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रवक्ता ने अवतार सिंह बिष्ट ने कहा कि सुपरटेक ने मेट्रोपोलिस सिटी के निर्माण के समय जो नक्शा और सुविधाएं लोगों की दिखाई थीं, उनमें बहुत बदलाव कर दिया। विद्यालय और चिकित्सालय की जमीन बेच दी, पार्कों को छोटा कर दिया, निर्माण में भवनों के स्थान बदल दिए और रखरखाव को बदहाल कर दिया है। उन्होंने कहा कि कालोनी में सड़कें टूटी हुई हैं, नाले-नालियां मिट्टी व गंदगी से पटी हैं, जलभराव रहता है, पूल में गंदा पानी भरा रहता है, लिफ्ट्स खराब रहती हैं, सुरक्षा व्यवस्था लचर है। हाल ही में फेसिलिटी मेनेजमेंट ने मेंटिनेंस चार्ज बढ़ाकर डेढ़ गुना कर दिया लेकिन सुविधाएं और घट गईं। कंपनी ने निवासियों से करीब 5 करोड़ रुपया भी एडवांस में ले रखा है। यही नहीं आवासों के हस्तांतरण में भी कंपनी के बिचौलिये लाखों की हेराफेरी कर रहे हैं और कालोनीवासियों से अवैध वसूली कर रहे हैं। बिष्ट ने कहा कि सुपरटेक कंपनी कालोनीवासियों की समस्याओं की उपेक्षा करती रही है। जिसके खिलाफ कालोनीवासियों की यूनियन ने मुकदमे भी किये हैं।