हल्द्वानी के ‘अन्ना’ तुम बहुत याद आओगे

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देहरादून। पंकज जी तुम इस तरह चले जाओगे यकीन ही नहीं हो रहा। स्वतंत्रता दिवस के दूसरे दिन 16 अगस्त को वह उत्तरांचल दर्पण के प्रधान कार्यालय में पहुंचे थे। लेकिन ठीक तीन दिन बाद ही उनके निधन की सूचना मिलने से पूरा दर्पण परिवार गमजदा है। उत्तरांचल दर्पण से वह पिछले डेढ दशक से अधिक समय से जुड़े रहे। कार्यालय में कार्यरत सभी सदस्यों ने उनकी आत्मा की शांति और परिवार को दुख की घड़ी में शक्ति देने के लिये ईश्वर से प्रार्थना की। वरिष्ठ पत्रकार पंकज वार्ष्णेय के निधन पर रूद्रपुर के कई वरिष्ठ पत्रकारों समेत पत्रकार संगठनों के सदस्यों ने दुख व्यक्त किया है। पंकज कुमाऊं मंडल में सक्रिय पत्रकारिता कर रहे थे। वह अपनी निर्भीक पत्रकारिता के हमेशा चर्चित रहते थे। इसी लिए उन्होंने अपना उपनाम भी ‘निर्भय’ रख लिया था।पिछले दिनों जब देश के वरिष्ठ समाजसेवी श्री अन्ना हजारे हल्द्वानी पहुंचे थे तो उन्होंने तमाम आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए स्वयं उनके साथ आंदोलन में कूद पड़े थे। इतना ही नहीं अन्ना हजारे से वह इतने प्रभावित हो चुके थे कि वह अन्ना की वेषभूषा में जनजागरण करने लगे थे। लोग उन्हें हल्द्वानी का अन्ना हजारे भी कहने लगे थे। पेशे से एक पत्रकार श्री वार्ष्णेय अनेक सामाजिक और धार्मिक कायों में भी हमेशा आगे रहते थे। इन कार्यक्रमों में वह प्रतिभाओं को भी मंच देकर उन्हें आगे बढ़ाने का काम कर रहे थे। राजनीतिक पार्टियों को अपनी खबरों के जरिये वह समय समय पर आईना दिखाने से भी नहीं चूकते थे। पंकज अपनी निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता के लिये भी हमेशा याद किये जायेंगे। हल्द्वानी में उनकी सक्रिय पत्रकारिता का एक और किस्सा काफी चर्चाओं में रहा था जब यहां आयोजित एक जनसभा में जाते वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के काफिले पर विपक्ष के कुछ नेताओं ने पत्थरबाजी कर दी थी। इस दौरान भारी बवाल हुआ था। पुलिस की लाठीचार्ज में वरिष्ठ पत्रकार पंकज बुरी तरह से घायल हो गये थे। वह कई दिनों तक एक निजी अस्पताल में भर्ती रहे थे। बाद में सरकार की ओर से कई प्रतिनिधि उन्हें मिलने यहां पहुंचे थे। ऐसे ही कई और भी चर्चित मामलों में वह सक्रियता से मुद्दों को उठाते रहते थे। शहर की समस्याओं के साथ ही सामाजिक कुरीतियों , प्रशासन की नाकामियों व अपराधिक घटनाओं को वह काफी फोकस करते थे। सही मायने में कहें तो पत्रकारिता क्षेत्र में उनके निधन से हुई इस क्षति की भरपाई नहीं की जा सकती।

नरेंद्र सिंह ईवनिंग डेली उत्तरांचल दर्पण देहरादून।

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