—और जब भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आगे आये थे सुखीजा
उत्तर प्रदेश लोकतंत्र रक्षक सेनानी संघ के महासचिव एडवोकेट सुभाष छाबड़ा ने उत्तरांचल दर्पण के संस्थापक और सम्पादक तिलकराज सुखीजा को उनकी छठी पुण्य तिथि पर बड़ी ही श्रृद्धा से याद किया और उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पत्रकारिता में उनके योगदान को ऐतिहासिक बताया। एडवोकेट छाबड़ा ने कहा कि तिलकराज सुखीजा ने रूद्रपुर जैसे छोटे नगर से सांध्य दैनिक प्रारम्भ करके बड़ी बड़ी कठिनाईयों का सामना करते हुए उसका प्रकाशन लगातार जारी रखा और बहुत बड़े बड़े नामी अखबारों की तरह पत्रकारिता के प्रति उन्होंने स्वस्थ मापदण्ड स्थापित िकये और समाचार पत्र और पत्रकारिता की आड़ में कभी कोई ऐसा कार्य नहीं किया जिससे समाचार पत्र के प्रति कोई खराब संदेश जाता हो या पत्रकारिता की छवि धूमिल होती हो। ये उनके दिखाए रास्ते का ही परिणाम है कि रूद्रपुर के अन्य अखबार भी उनके दिखाये रास्ते पर चल रहे हैं। उनका यह योगदान रूद्रपुर के पत्रकारिता इतिहास मेंस्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा। रूद्रपुर को उन्होंने पूरे उत्तर प्रदेश में एक अलग पहचान दी और उत्तराखण्ड निर्माण के बाद रूद्रपुर को इसका भरपूर लाभ मिला। मुझे आज भाई तिलकराज सुऽीजा की छठी पुण्य तिथि पर मुझे 1999 से 2001 का जमाना याद आ रहा है, सन 1998 में उधमसिंहनगर की जिला जजी की स्थापना रुद्रपुर में हुई थी ,सन 1999 में उस तत्कालीन जिलाजज के िऽलाफ वकीलों ने उसके भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष का एलान किया था। वकीलों ने भूऽ हड़ताल शुरू की तो तिलक राज सुखीजा ने उस समाचार को समाचार पत्र के पहले पन्ने पर जगह दी जबकि बड़े-बड़े अऽबार हमारे आंदोलन से कन्नी काट रहे थे और सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिये कहीं एक कोने में ऐसी जगह ऽबर छापते थे जो आमजन को बड़ी मुश्किल से नजर आती थी। उस वत्तफ़ उन्होंने वो कर दिऽाया जो हर किसी के बूते में नही था ऐसा सिर्फ वहीकर सकता है जो अन्याय और जुल्म का विरोध करता है। वो जमाना यूपी का था जज के िऽलाफ हम लोग शिकायत लेकर इलाहबाद जाते थे वो उधमसिंह नगर का दर्पण में छपती थी हम इलाहबाद से लौट कर आते थे उसकी ऽबर भी विस्तार से छपती थी। एक तरह से देऽा जाए तो हमारा ये छोटा भाई हमारे आंदोलन की रीढ़ था। अगर वो साथ न देता न तो हमारा आंदोलन चलता और न ही हमे सफलता मिलती। आज तिलकराज सुऽीजा की कमी नजर आती है।उन्होंने जो उस वक्त हमारा साथ दिया वो ताउम्र याद रहेगा और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने वाले वकील व सभी संघर्षशील लोग उनके आभारी रहेंगे। मैं तो व्यत्तिफ़गत रूप से भी उनका ऋणी हूँ क्योंकि उस आंदोलन की शुरुआत मेरे द्वारा ही की गयी थी उनकी पुण्य तिथि पर उन्हें विनम्र और भावभीनी श्रद्धांजलि।
-सुभाष छाबड़ा एडवोकेट
महासचिव लोकतंत्र रक्षक
सेनानी संघ उत्तर प्रदेश