त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे तिलकराज सुखीजा

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उत्तरांचल दर्पण के संस्थापक तिलकराज सुऽीजा की आज छठी पुण्य तिथि है। आज ही के दिन वह हमें हमेशा के लिए लिए अलविदा कह गये। अब उनकी स्मृतियां शेष है। उन्होंने आदर्श पत्रकारिता की जो राह हमें दिऽाई थी उत्तरांचल दर्पण आज उन्हीं के आदर्शों पर चलकर प्रदेश में सांध्य दैनिक समाचार पत्रें में लगातार नंबर वन पर समाज के प्रहरी के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। स्व- तिलकराज सुऽीजा की पूरी जीवन यात्र एक साधारण आम आदमी की कथा है। पत्रकारिता में उन्होंने जो कुछ पाया एकाएक नहीं पाया। संघर्ष से पाया, नियमित लेऽन से पाया, अपनी रचनाशीलता से पाया। इसी संघर्ष की वृत्ति ने उन्हें असाधारण पत्रकार और संपादक बना दिया। सही मायने में वह पत्रकारिता में विचारों के एक ऐसे प्रतीक पुरुष बनकर सामने आये जिसने अपने लेऽन के माध्यम से एक बौद्धिक उत्तेजना का सृजन किया। आदर्श पत्रकारिता के प्रति उनकी सोच ने ही उधमसिंहनगर से पहली बार प्रकाशित सांध्य दैनिक समाचार पत्र को इस मुकाम पर पहुंचाया कि आज लोगों को उत्तरांचल दर्पण समाचार पत्र का उसी तरह इंतजार रहता है जिस तरह सुबह के अऽवारों का रहता है। उनके संघर्ष से उत्तरांचल दर्पण ने न सिर्फ इस जनपद में बल्कि पूरे प्रदेश में एक अलग पहचान कायम की। स्व0सुऽीजा जैसा बोलते थे वैसा ही लिऽते थे। सच को सच कहने के साथ वह निर्भीक होकर उसे लिऽने का माद्दा भी रऽते थे। उनके व्यत्तिफ़त्व में एक बौद्धिक आर्कषण साफ झलकता था। उनके लेऽन में आदर्श पत्रकारिता और निर्भीकता साफ झलकती थी। उन्होंने सांध्य दैनिक समाचार पत्र को ऐसे समय में सफलता के मुकाम तक पहुंचाया जब लोग सांध्य दैनिक समाचार पत्रें की सफलता की कल्पना भी नहीं करते थे। उनसे पहले प्रदेश में प्रकाशित होने वाले कई सांध्य दैनिक समाचार पत्र या तो कुछ दिनों में बंद हो गये या फिर निरंतरता के साथ प्रकाशित नहीं हो पाये। आर्थिक रूप से सुदृढ नहीं होने के बावजूद एक साधारण पत्रकार के लिए समाचार पत्र की निरंतरता को बनाए रऽना कितना मुश्किल होता है यह स्व- सुऽीजा से बेहतर कोई नहीं जान सकता। समाचार पत्र को निरंतर ईमानदारी के साथ प्रकाशित करने के लिए आज भी कहा जाता है कि यह घर फूककर तमाशा देऽने जैसा है। स्व0 सुऽीजा ने जब समाचार पत्र शुरू किया तो उनके करीबियों ने भी उन्हें  यह सलाह दी लेकिन उन्होंने हौंसला नहीं छोड़ा और जो सोचा उसे करके दिऽाया। उनके पास न तो बहुत पैसा था और न ही उनके अंदर बेईमानी से पैसा कमाने की चाह। उनके पास थी तो बस सच्चाई और ईमानदारी। उसी की बदौलत उन्होंने न सिर्फ नाम कमाया बल्कि पत्रकारिता जगत में एक अलग पहचान भी कायम की। व्यवसायिक हो रही पत्रकारिता के बीच उन्होंने अपने जीवन में पत्रकारिता को व्यवसायिक नहीं होने दिया। व्यावसायिकता की बढ़ती हुयी चुनौती को स्वीकार करते हुए अपने समाचार पत्र को हमेशा इससे बचाये रऽा। उनमें बौद्धिकता और सच्चरित्रता का असाधारण संगम था, इसीलिए वह पत्रकारिता में एक अलग स्थान बना सके। स्व0 सुऽीजा एक श्रेष्ठ संपादक थे। उनकी कार्यशैली उत्तरांचल दर्पण को एक ऐसा समाचार पत्र बनाने में सफल हुयी जिस पर पत्रकारिता को नाज है। वह बेहद परिश्रमी संपादक थे शुरूआत में महज कुछ सहकर्मियों की मदद से ही उन्होंने कई वर्षों समाचार पत्र की निरंतरता बनाए रऽी। आज की पत्रकारिता में घुस आई तमाम बुराईयों से उनका व्यत्तिफ़त्व बेहद अलग था। संपादक की जैसी परिभाषाएं बताई गयी हैं उसमें वह फिट बैठते हैं। उनका व्यत्तिफ़त्व बौद्धिक ऊचाइयां लिए हुए था। अपनी पत्रकारिता को कुछ पाने और लाभ लेने की सीढ़ी बनाना उन्हें नहीं आता था। पत्रकारिता जीवन में वह भी कई प्रलोभनों के पास जा सकते थे। लेकिन उन्होंने इससे हमेशा ऽुद को बचाया। सही मायने में वह एक ऐसे संपादक थे जिसने अपने पत्रकारीय व्यत्तिफ़त्व को वह उंचाई दी जिसके लिए आज भी वह सभी के दिलों में जिंदा है। उनके पत्रकारीय व्यत्तिफ़त्व की विशिष्टता ही थी कि वह समाचार पत्र को एक नई और सही दिशा देने में सफल रहे। उनमें मानवीय गुण कूट कूट कर भरे हुए थे जिसके चलते वे मानवीय कमजोरियों और पद के अहंकार के शिकार नहीं हुए। अऽबार के संपादक का पद, रूतबा और अहं उन्हें कभी छूं नहीं पाया। उन्होंने भावना से ऊपर विचार और बौद्धिकता को महत्व दिया। उनकी बौद्धिकता ने उत्तरांचल दर्पण को समाचार पत्रें में सबसे अलग कहलाने लायक बनाया। आज उनके आदर्श ही उत्तरांचल दर्पण परिवार के लिए ऊर्जा के स्रोत हैं। उनकी प्रेरणा से उत्तरांचल दर्पण निरन्तर बुलन्दियों पर पहुंच रहा है। हिन्दी सान्ध्य दैनिक के रूप में प्रदेश वासियों की पहली पसन्द बन चुका उत्तरांचल दर्पण अब सोशल मीडिया में अपनी पकड़ मजबूत कर चुका है। जून 2018 में शुरू हुए उत्तरांचल दर्पण के न्यूज पोर्टल ूूूण्नजजंतंदबींसकंतचंदण्पद में जुलाई 2018 में लगभग 3 लाख से अधिक बार लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यही नही न्यूज पोर्टल पर प्रतिदिन पाठकों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। जिसके लिये हम अपने पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं और यह विश्वास दिलाते हैं कि आगे भी हम स्व0 सुखीजा के आदर्शों पर चलकर पाठकों की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे।

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