स्कूली बच्चों से भरी बस का टायर फ़टने से मचा हड़ंकप
बड़ी लापरवाही : बस में न परिचालक और न स्टेपनी,एक घंटे तक दूसरी बस का इंतजार करना पड़ा
रूद्रपुर। शहर एवं आस पास के निजी स्कूलों की बसें आये दिन हादसों को शिकार हो रही है। आज प्रातः एक निजी स्कूल के बच्चों से भरी चलती बस का अचानक पिछला टायर फटने से हड़कंप मच गया। बस चालक ने टायर फटने की आवाज सुनते ही बस रोक दी जिससे सड़क पर देर तक जाम लगा रहा। बस चालक ने स्कूल प्रबंधन को फोन कर घटना की जानकारी दी। जिसके एक घंटे बाद दूसरी बस से बच्चों को स्कूल भेजा गया। हादसे में सभी बच्चे सुरक्षित हैं। जानकारी के अनुसार से आज प्रातः लगभग सात बजे रोडवेज बस अड्डे के निकट श्याम टाकी रोड पर जा रही एडीएम पब्लिक स्कूल की बस संख्या यूके06 पीए 0030 का पिछला टायर अचानक धमाके के साथ फट गया। धमाके की आवाज सुनकर बच्चे भी सहम गये। धमाके के बाद चालक ने तुरंत बस रोक दी। इस बीच आस पास के लोग भी वहां आ पहुंचे और उन्होंने घटना की जानकारी ली। इस बीच बस चालक ने स्कूल प्रबंधन को फोन पर जानकारी दी। जिसके करीब एक घंटे बाद दूसरी बस आयी और बच्चों को स्कूल लेकर गई। इस बीच हादसे के चलते स्कूली बच्चों को करीब एक घंटा फजीहत झेलनी पड़ी। बताया गया है कि एडीएम पब्लिक स्कूल प्रीत बिहार में स्थित है। इसमें कक्षा एक से कक्षा नौ तक के बच्चे पढ़ने जाते हैं। बच्चों को लेकर बस रोजाना की तरह स्कूल जा रही थी इसी बीच प्रातः करीब सात बजे यह हादसा हो गया। संयोग से बस अधिक स्पीड में नहीं थी अन्यथा हादसा बड़ा हो सकता था।
बड़ी लापरवाही : बस में न परिचालक और न स्टेपनी
रूद्रपुर। श्याम टाकीज रोड पर हादसे में स्कूल प्रबंधन की लापरवाही भी सामने आयी है। एक ओर जहां सुबह सात बजे हुए इस हादसे की जानकारी देने के बाद भी स्कूली बच्चों को एक घंटे तक दूसरी बस का इंतजार करना पड़ा। इस बीच बस चालक टायर बदलने की बजाय बस को छोड़कर बाजार की तरफ चला गया। काफी देर तक चालक नहीं लौटा तो सभी बच्चे बस से बाहर आकर सड़क पर टहलने लगे। कुछ देर बाद चालक आया लेकिन कोई मैकेनिक उसके साथ नहीं था। काफी देर तक बच्चे चिलचिलाती धूप में गर्मी से जूझते रहे। इस दौरान बस में कोई परिचालक भी नही था। बस में सिर्फ एक महिला शिक्षिका और एक शिक्षक थे। उन्होंने बताया कि बस में स्टेपनी उपलब्ध नहीं है। इस तरह की लापरवाही स्कूली बच्चों पर कभी भी भारी पड़ सकती है। निजी स्कूल प्रबंधक बच्चों से फीस तो मोटी वसूलते हैं लेकिन बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाये गये मानकों का पूरी तरह पालन नहीं करते।