कुंभ के लिये धन खर्च करने में पिछड़ी डबल इंजन की सरकार: हरीश रावत
देहरादून। पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक बार फिर कुभ मेले के आयोजन के लिये केंद्र सरकार से आर्थिक पैकेज की मांग करने के बाद विकास कार्यों को लेकर राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिये है। कुंभ पर इस बार भी करीब 800 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। हालांकि यह उस चार हजार करोड़ रुपये की योजना का पांचवां भाग ही है जिसे सरकार ने कोरोना काल से पहले तैयार किया था।कांग्रेस के पूर्व सीएम और राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत कुंभ आयोजन को लेकर प्रदेश सरकार पर लगातार हमलावर हो रहे हैं। हरीश रावत ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे के समय भी यह सवाल उठाया था और कहा था कि केंद्र सरकार और पैसा दे। रावत ने इसके साथ ही यह भी कहा था कि कुंभ के निर्माण पूरे नहीं हो पाए हैं और सरकार कुंभ में स्थायी निर्माण को तवज्जो नहीं दे रही है। शासकीय प्रवत्तफा मदन कौशिक इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे हैं। कौशिक का कहना है कि न तो कुंभ आयोजन के लिए पैसे की कोई कमी है और न ही निर्माण कार्य की अनदेखी हो रही है। कुुंभ से पहले-पहले हर हाल में सारे निर्माण कार्य पूरे कर लिए जाएंगे। इतना होने पर यह अभी साफ नहीं है कि कुंभ का बजट कितना है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक इस पर कुछ कहने को तैयार नहीं है। इतना जरूर है कि सरकार ने पहले चार हजार करोड़ रुपये की कार्ययोजना तैयार की थी। कोविड को देखते हुए इस कार्ययोजना को दरकिनार कर दिया गया है। यह कार्ययोजना थी मेला क्षेत्र का विस्तार करना। इसकी जगह अब पंरपरागत मेला स्थान को ही आधार मेला क्षेत्र बनाया गया है। एनएचएआई के आधिकारिक सूत्रों का दावा है कि दून-हरिद्वार राजमार्ग चैड़ीकरण का काम जनवरी तक तकरीबन पूरा हो जाएगा। परियोजना पर युद्धस्तर पर काम चल रहा है। हरिद्वार में हर की पौड़ी के पास एनएच 58 पर पुल बना दिए गए हैं। 40 किमी लंबे रुड़की छुटमलपुर बाइपास का निर्माण पूरा हो गया है। आठ किमी छुटमलपुर बाइपास भी तैयार है। बाकी कार्यों में भी तेजी है।एनएचएआई शांतिकुंज के सामने फ्लाइ ओवर और एलीवेशन का काम कर रहा है। ये काम कुंभ से पहले पूरा नहीं हो पाएगा। इसे कुंभ के दौरान भी जारी रखने का फैसला किया गया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा है कि कुंभ मेले को लेकर भाजपा क्यों उत्तराखंड वासियों को गलत आंकड़े परोस रही है! जब हमारी सिंगल इंजन की सरकार थी, वो भी भाजपा की केंद्र सरकार से चोट खाया हुआ इंजन था, लेकिन तब भी 400 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किये और आप डबल इंजन हैं, आप उतने रूपये भी कुंभ में खर्च नहीं कर पाये। आप एक काम बता दीजिये जो स्थाई प्रकृति का हो, जिसको आपने शुरू करवाया हो और आपने ही उसको पूरा करवाया हो? सबसे दुःख की बात यह है कि कुंभ क्षेत्र का आप विस्तार कर रहे थे या नहीं कर रहे थे! प्रश्न यह नहीं है, प्रश्न यह है कि यदि धन था, धन है तो बहादराबाद से श्यामपुर तक एलिवेटेड रोड कम ब्रिज गंगा जी के ऊपर बनना चाहिये, ये ब्रिज यदि कभी सामान्य स्थिति में कुंभ आयोजित हुआ, तो उस समय की आवश्यकता है। चण्डीघाट, चिल्ला ऋषिकेश आकास्मिक निकासी मार्ग का सुधार भी इसी समय संभव है। मुख्यमंत्री जी दावा कर रहे हैं, हरिद्वार में शुद्ध पानी देने का यह कार्य मुनीकिरेती से हरिद्वार तक इंटरसेप्टर कैनाल बनाये बिना संभव नहीं है, मध्य हरिद्वार की जलभराव की समस्या का निदान भी इसी कैनाल के साथ है, जब तक इंटरसेप्टर कैनाल नहीं बनेगी और उसके जरिये आप सारे नालियों के पानी को रानी रौ तक नहीं ले जाएंगे और उससे आगे घाट क्षेत्र में नहीं लेकर के जाएंगे, तो आपका विशुद्ध पानी देने का जो वादा है वो कभी पूरा नहीं होगा, खैर देवप्रयाग तो आपकी लिस्ट में है ही नहीं आप उसको कुंभ क्षेत्र मानते ही नहीं हैं, मगर अन्य क्षेत्रों में भी काम कहां हो रहा है? मैं एक काम नहीं, ऐसे कई और काम भी गिना सकता हूं, लेकिन फिर बात केवल राजनैतिक बनकर के रह जायेगी। कम से कम उस पल के लिए केंद्र सरकार से पैसा मंजूर करवा दीजिये जो हरिद्वार के भविष्य में होने वाले कुंभों के लिए आवश्यक है और इंटरसेप्टर कैनाल के लिए भी पैसा मंजूर करवाईये।