प्रकाश पांडे और उत्तरा जीरो टाॅलरेंस का शिकार!
चैतरफा घिरी सरकार के ‘मुखिया’ने खुद संभाला मोर्चा,दी ‘सफाई’ सोशल मीडिया पैनलिस्टों की टीम में भरी हवा
(ईवनिंग डेली डेस्क) देहरादून। सोशल मीडिया और विपक्षियों के निशाने पर आयी त्रिवेंद्र सरकार ने अब लोगों में गये बुरे संदेश को मिटाने की कोशशि शुरू कर दी है। वहीं अपनी ही सरकार के खिलाफ भाजपा विधायकों की बयानबाजी के बाद सियासी भूचाल को थामने के लिये मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने खुद मोर्चा संभाल लिया हैं। बीते दिनों उन्होंने पहले मुख्यमंत्री बदले जाने की अफवाहों को लेकर जिस प्रकार दो टूक लहजों में सबकी बोलती बंद कर दी। वहीं अब विपक्ष के निशाने पर आये मुख्यमंत्री ने पूर्व में हुए प्रकाश पांडे प्रकरण और मौजूदा उत्तरा बहुगुणा मामले को लेकर बड़ा पलटवार किया है। उन्होंने इस दोनों मामलों पर किये जा रहे विरोध को न सिर्फ बकवास करार दिया बल्कि उन्होंने यहां तक कहा कि यह सब उनकी सरकार के जीरो टाॅलरेंस का नतीजा है। ऐसी मांगो को पूरा करना सरकार के लिहाज से सही नहीं उनके फैसले पूरी तरह से सही हैं। गौर हो कि हल्द्वानी के प्रकाश पांडे प्रकरण में मुआवजा नहीं देने पर सरकार की किरकिरी हो चुकी है। इसके बाद उत्तरकाशी की शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा प्रकरण में नेशनल मीडिया व सोशल मीडिया में प्रदेश सरकार की फजीहत झेल चुके मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी के मीडिया पैनलिस्ट को तराशना शुरू कर दिया है। विगत दिवस मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में भाजपा के मीडिया पैनलिस्टों को दावत दी। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने सरकार बनने के बाद अब तक के सभी गंभीर प्रकरणों पर खुलकर बात रखी है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का साफ कहना है वह जीरो टाॅलरेंस नीति के तहत किये गये अपने फैसलों पर अडिग हैं। पिछले दिनों जनता दरबार में हुए उत्तरा प्रकरण समेत पूर्व में व्यापारी प्रकाश पांडे के मामले को लेकर सरकार ने किसी तरह की गलती नहीं की। सरकार ऐसे मामलों का समर्थन नहीं करेगी जिससे भविष्य में अपराधिक और अनुचित मांगों को बढ़वा मिले। अगर ऐसा किया गया तो और लोग भी ऐसा करने लगेंगे। पार्टी का उद्देश्य मीडिया पैनलिस्टों के जरिए मीडिया खासकर सोशल मीडिया में सरकार व पार्टी का पक्ष मजबूती से रखने का है। सूत्रों के मुताबिक हालिया घटनाओं से यह संदेश भी गया कि भाजपा भले ही सोशल मीडिया में बहुत मजबूत रही हो लेकिन उत्तरा प्रकरण में वह ट्रोल हुई है। इधर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश पर हरिद्वार के भाजपा विधायक संजय गुप्ता को कारण बताओं नोटिस भेजते हुए दस दिन में जवाब मांगा है। एक ओर जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं भाजपा विधायकों को तवज्जों देने की बात कर रहे हैं वहीं कुछ ऐसे भी विधानसभा क्षेत्र के विधायक है जिनका उन्हें विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है। सवाल यह भी उठता है कि आखिर मुख्यमंत्री सभी जनपदों में विधानसभावार समीक्षा बैठक बुलाकर विकास कार्यों और अपनी घोषणाओं की समीक्ष भी करते है तो फिर ऐसा क्या है जो हरिद्वार विधायक संजय गुप्ता एवं यतीश्वरानंद की सरकार के प्रति नाराजगी और सीएम पर की गई बयानबाजी को सही ठहराया जाये। अल्मोड़ा में इस मामले को लेकर जब मीडिया ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले को लेकर पूछे गए सवाल पर कोई बात नहीं की। सीएम ने सिर्फ इतना कहा कि यह मामला भाजपा पार्टी के परिवार का है। इसलिए मीडिया इसे ज्यादा तूल देने से बचे। बहरहाल नेताओं के पास मीडया की सुर्खियों में बने रहने का यह अच्छा तरीका भी है लेकिन इस मामले में पार्टी आलाकमान ने दोनों की बातों को गंभीरता से लिया है। हरिद्वार के विधायक संजय गुप्ता को बगावती तेवर दिखाना महंगा पड़ सकता है अगर उन्होंने अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा तो। वहीं दूसरे भाजपा विधायक यतीश्वारानंद की नाराजगी के पीछे भी कई तरह की चर्चाये हो रही है। माना जाता है कि यहां से पूर्व सीएम हरीश रावत जैसे नेता को हराने वाले इस नेता को तवज्जो नहीं दी जा रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि यतीश्वरानंद सरकार में मंत्री ही नहीं बल्कि डिप्टी सीएम का पद मांग रहे हैं।