निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने को किया जा रहा मजबूर
जुलाई माह से नयी किताबें की गयी लागू,कई विद्यालयों में में प्राईवेट पब्लिकेशन की किताबें लाने पर किया जा रहा मजबूर
लालपुर। प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय और उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद विद्यालय प्रशासन द्वारा मात्र ऽानापूर्ति करते हुए माह अप्रैल और मई में एनसीईआरटी की किताबें लगाकर अभिभावकों को गुमराह किया गया और अब जुलाई माह आते ही बच्चों को प्राईवेट पब्लिकेशन की किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। अभिभावकों द्वारा पूछने पर विद्यालय प्रबन्धन का कहना है कि उन्हें हाईकोर्ट के आदेश प्राप्त हैं। क्षेत्र के कई विद्यालयों में ऽुलेआम प्राईवेट पब्लिकेशन की एक-दो नहीं बल्कि 5 से 10 तक नई किताबें लागू कर दी गयी हैं और बच्चों द्वारा ये किताबें नहीं लाने पर उन्हें दण्ड भी दिया जा रहा है। इस मनमानी के िऽलाफ अभिभावकों में रोष है। शिक्षा मंत्री व हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद शिक्षा विभाग ने शहरों के बड़े बड़े विद्यालय में तो छापेमारी की लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में संचालित निजी विद्यालयों के किसी विद्यालय में छापेमारी कर ऽामियों को नहीं पकड़ा गया है जिससे स्कूल प्रबन्धकों के हौंसले बुलन्द हैं। पिछले दिनों शासन प्रशासन की सख्ती के बाद स्कूलों पर कुछ अंकुश जरूर लगा था लेकिन अब फिर से मनमानी शुरू हो गयी है। क्षेत्र के कई विद्यालयों में किताबों के पैसे जमा कराये जा रहे हैं तथा एक ही दुकान से किताबें लाने को कहा जा रहा है। जब तक इन विद्यालयों के िऽलाफ सख्त कार्यवाही नहीं की जाती तब तक यह अपनी मनमानी करते रहेंगे और अभिभावकों का शोषण होता रहेगा। शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे शोषण से अभिभावक परेशान हैं तथा अपने बच्चों के पढ़ाने के लिए आर्थिक बोझ में दबे जा रहे हैं।