नई दिल्ली (उद ब्यूरो)। आतंकवाद का समर्थन करने और आतंकी संगठनों को फंडिंग करने वाले पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका मिला है। शुक्रवार को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के एशिया प्रशांत क्षेत्र ग्रुप ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट की सूची में डाल दिया है। ऐसा पाकिस्तान की ओर से टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के 40 मानकों में से 32 मानकों में फेल होने पर किया गया है। एफएटीएफ की ओर से ब्लैकलिस्ट की सूची में डाले जाने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर और बुरा असर होगा। अब पाकिस्तान को वैश्विक स्तर कर्ज लेने में और मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।अभी पाकिस्तान वैसे भी कंगाली के दौर से गुजर रहा है।कश्मीर मुद्दे पर उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जती भी झेलनी पड़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान आतंकवाद से लड़ने के लिए अपने कमिटमेंट में विफल रहा है। ये कदम एपीजी की बैठक में उठाया गया है। ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में हो रही एपीजी की बैठक का शुक्रवार को अंतिम दिन था। एफएटीएफ जी-7 देशों के ओर से संस्थापित अंतरसरकारी संगठन है। इसकी स्थापना 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग से लड़ने के लिए किया गया था। 2001 में इसने आतंकी फंडिंग से भी लड़ने को लेकर काम शुरू किया था। इसका सचिवालय पेरिस में है। इससे पहले पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में था। सूत्रों के मुताबिक एफएटीएफ ने जांच में पाया है कि मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों को फंडिंग से जुड़े 40 में से 32 स्टैंडर्ड पर पाकिस्तान खरा नहीं उतर पाया। इसके बाद पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। पाकिस्तान पर इस कार्रवाई के बाद अब उसकी आर्थिक हालात और पतली होनी तय है। पाकिस्तान को दुनिया में कर्ज मिलना और अधिक मुश्किल हो जाएगा। थ्।ज्थ् की ओर से कहा गया है कि पाकिस्तान न सिर्फ जनवरी की समय सीमा में एक्शन प्लान लागू करने में नाकाम रहा है। बल्कि मई 2019 तक कार्ययोजना को पूरा करने में भी असफल रहा।