बड़ा खुलासा : कार्यक्रम सूची से कांग्रेस और निर्दलीय विधानसभा वाले क्षेत्र गायब

विधानसभा वार समीक्षा बैठक बुलाई..कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पर साधा निशाना

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देहरादून। उत्तराखंड की भाजपा सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गया है। इस बार भी मामला मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रदेश में विधनसभा वार बुलाई गई समीक्षा बैठक का है जिसमें ऐसा सनसनीखेज खुलासा हुआ कि कांग्रेस झल्ला उठी है। मुख्यमंत्री के निजी सचिव की ओर से एक पत्र जारी कर राज्य की 57 विधानसभाओं यजहाँ से बीजेपी के विधायक जीते हैं के विकास कार्यों की समीक्षा का कार्यक्रम जारी किया है। राज्य की विधान सभा के विकास कार्यों की समीक्षा के इस कार्यक्रम से कांग्रेस के 11 विधायकों और 2 निर्दलीय विधायकों की विधानसभाएं गायब हैं। वहीं विपक्ष के नेता मुख्यमंत्री के इस रवैये को लेकर सख्त तेवर अख्तियार कर लिये है। रूद्रप्रयाग के कांग्रेस विधयक मनोज रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर कड़ा प्रहार किया है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री जी शायदयह भूल गए हैं कि आपने संविधान की शपथ लेते हैं। आप ने शपथ ली थी कि आप राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करेंगे। खैर लोकतंत्र पर और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आपका और आपकी पार्टी का भरोसा कहाँ था। आप क्यों कांग्रेसी विधायकों और निर्दलीय विधायकों की समीक्षा भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के साथ नहीं करना चाहते हैं या आपके अनुसार इन विधानसभाओं के विकास कार्यों की समीक्षा होनी ही नही चाहिए । आप जिन 13 विधानसभाओं में जहां कांग्रेस पार्टी के या निर्दलीय विधायक जीते हैं उन विधानसभाओं की के विकास कार्यों की समीक्षा करना ही नहीं चाहते। मुख्यमंत्री बनने के बाद स्वयं को बहुत ही लोकतांत्रिक मुख्यमंत्री सिद्ध करने के लिए घोषणा की थी कि हर विधायक को एक साल में 10 करोड़ की सड़कें दी जाएंगी और एक साल में उनकी संस्तुति पर 50 लाख रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष से जरूरतमंदों को दिए जाएंगे। लेकिन पिछले एक साल के आंकड़ों को उठाकर देखें तो कांग्रेस के विधायकों को कुछ भी नहीं दिया गया है।
मुख्यमंत्री भले ही कांग्रेस के विधायकों को विकास योजनाएं न दें लेकिन कम से कम गरीब बीमारों और जरूरतमंदों को आवश्यकता पड़ने पर कुछ सहायता तो दें। मुख्यमंत्री जी उत्तरा कांड और पौड़ी की महिला के पत्थर मारकर भगाने वाले बयान के बाद इस आदेश को देख कर हर कोई हैरान है। सरकार के सहयोगी और सलाहकार राजनीतिक रुप से डुबाने में और भविष्य में समाज से दूर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

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